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आश्रम में गोलीबारी: 20 साल से जीवन बाबा से नहीं मिला था परिवार, मां से कहा था-अब जेल में मिलने मत आना

मिर्जापुर के चुनार के सक्तेशगढ़ स्थित स्वामी अड़गड़ानंद के परमहंस आश्रम में बृहस्पतिवार को आशीष बाबा (30) को गोली मारकर घायल करने के बाद खुद को गोली मारकर जान देने वाला जीवन बाबा उर्फ जीत (45)  हत्या के आरोप में जब जेल में बंद था, उस समय परिवार के लोग उससे मिलने जाते थे। जीवन के भाई भीम ने बताया कि जिस दिन वह जेल से दीवार फांद कर भागा था, उसके दो दिन पहले मां शकुंतला उससे मिलने गई थी।

उस समय मां से जीवन बाबा ने कहा था कि अब मिलने मत आना। कहा कि अब वह जेल में नहीं मिलेगा। इसके बाद वह जेल से फरार हो गया था। जेल में बंद जीवन बाबा लगभग 20 वर्ष पहले भागा था। उसके भाई भीम ने बताया कि भागने के बाद वह परिवार के संपर्क में नहीं था। कहां गया किसी को नहीं पता। सात माह पहले जब उसने आश्रम में खौलता तेल फेंका था तो मुकदमा दर्ज होने पर जांच करने के लिए चुनार पुलिस आई थी। तब पता चला कि वह आश्रम से भागा है। 

इसके बाद बृहस्पतिवार को पुलिस से सूचना मिली कि उसने गोली मारकर आत्महत्या कर ली है। यहां आने पर जब पोस्टमार्टम हाउस में उसका चेहरा देखा तो पहचान नहीं पाए। 20 वर्ष के बाद शुक्रवार को उसका चेहरा देखा। इस बीच वह कहां था। इस बारे में परिवार के किसी सदस्य को जानकारी नहीं है।

 

जीवन बाबा के हैं चार भाई

जीवन बाबा उर्फ जीत उर्फ जितेंद्र वैश के चार भाई हैं। सबसे बड़ा भाई धर्मेंद्र सिपाही है। उसे पिता के मरने के बाद नौकरी मिल गई। 2004 में पिता सीताराम की मौत होने के बाद अनुकंपा के आधार पर धर्मेंद्र को नौकरी मिली 2007 वह सिपाही बना। धर्मेंद्र को एक पुत्र और एक पुत्री है।

इसके बाद जीवन बाबा था। जीवन बाबा ने शादी नहीं की थी। तीसरे नंबर पर राजेंद्र है। जो दिव्यांग है। पिता के बाद 2007 में माता का निधन होने पर पेंशन के सहारे जी रहा है।  चौथे नंबर पर भीम है। जिसे दो पुत्र है। भीम अध्यापक है। जो करैरा में एक वर्ष पूर्व स्कूल का संचालन शुरु किया। पांचवे नंबर पर अर्जुन है। जो पंचायत सेक्रेटरी है। उसे दो पुत्री है।

चुनार पुलिस परिवार के संपर्क में थी

सात माह पहले जब जीवन बाबा ने आशीष बाबा और विपिन पर खौलता तेल फेंका था तो पुलिस ने उस पर मुकदमा दर्ज किया था। छानबीन करते हुए पुलिस उसके घर शिवपुरी के छितरी गांव पहुंची थी। उसी दौरान संबंधित थानों में एक बार फिर जीवन बाबा की चर्चा शुरू हुई।

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