जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का नेटवर्क खत्म करने और कानून व्यवस्था के लिहाज से पुलिस खास मिशन पर काम कर रही है। इसके तहत सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाने और उड़काऊ पोस्ट करने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर फेक न्यूज (झूठी खबरों) की आड़ में माहौल बिगाडऩे की कोशिश करने वालों को पुलिस ने ‘कीपैड जिहादी नाम दिया है। पिछले दिनों ऐसे 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। जिन्होंने घटनाओं को गलत तरीके से पेश कर इन्हें साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की। इसे मिशन को अमरनाथ यात्रा के लिहाज से अहम माना जा रहा है।
आज दूसरा महत्व का घटनाक्रम यह है कि कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने रविवार को कहा कि सरकार जहां सोशल मीडिया का समर्थन करती है, वहीं वह इस मंच का दुरुपयोग करने और डेटा कॉमर्स में ‘गैरजिम्मेदाराना ट्रैफिक की अनुमति नहीं देगी।
प्रसाद ने कहा कि भारत ने इन डेटा कंपनियों को स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया है कि वे हमें हल्के में नहीं ले सकतीं। मुझे पूरा भरोसा है हम अपने देश की लोकतांत्रिक साख को मजबूत बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय दूसरे नोटिस पर कैंब्रिज एनालिटिका के जवाब का इंतजार करेगा। उसका जवाब आने के बाद ही इस बारे में अंतिम विचार बनाया जाएगा।
– पुलिस के एक आला अधिकारी के मुताबिक, सोशल मीडिया के जरिए लोगों को गुमराह करने और अफवाहों को वायरल करने के आरोप में 5 ट्विटर हैंडल के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। फेसबुक, वॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे दूसरे प्लेटफॉर्म पर भी बारीकी से नजर रखी जा रही है। साथ ही अमेरिका स्थित ट्विटर ऑफिस से संपर्क कर इन हैंडलर्स की जानकारी मांगी गई है।
– अधिकारी ने मिशन के बारे में बताया कि कीपैड जिहादियों की धरपकड़ के जरिए पुलिस का मकसद आतंकियों को पकडऩा है। वे सरकारी सेवाओं का गलत इस्तेमाल कर माहौल खराब करने की कोशिश करते हैं। इसके पीछे आतंकियों की मदद का मकसद हो सकता है। 2016 में भी अफवाह फैलाने वाले कई ग्रुप सक्रिय थे। लोगों ने राजनीतिक हित साधने के लिए मामूली घटनाओं को साम्प्रदायिक रंग देकर पेश किया।
– पुलिस के मुताबिक, आज आतंकियों के अलावा जवानों की लड़ाई उन लोगों से भी है, जो घर और कैफे में बैठ-बैठे मोबाइल या कम्प्यूटर के जरिए अफवाह फैलाने का काम करते हैं।
– बीते दिनों पुलिस को एजेंसियों की ओर से कई फेसबुक और ट्विटर पेजों के बारे में शिकायतें मिलीं। इन्हें ब्लॉक करने की मांग है। इसके बाद पुलिस ने सर्विस प्रोवाइडरों के संपर्क कर कई सिम इस्तेमाल कर वॉट्सऐप पर अफवाह फैलाने वालों की सेवाएं बंद कीं।
– पुलिस अधिकारी ने कहा, यह एक तरह से काल्पनिक युद्ध का मैदान है, जहां सिर्फ शब्दों के जरिए खूनी लड़ाई चल रही है। इससे नौजवानों की सोच पर गलत असर पड़ता है। सोशल मीडिया के चैट ग्रुप सिर्फ कश्मीर तक ही सीमित नहीं हैं। इन्हें दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों के साथ विदेशों से भी मदद मिल रही है।
– घाटी में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, इसके लिए अथॉरिटी ने 24 से ज्यादा वेबसाइट पर रोक लगाई है। फिर भी जम्मू और कई हिस्सों में समस्या बरकरार है।
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