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जानिए कौन था अंग्रेज अफसर ‘मेजर आर कैंट’? जिसकी जान बचाने को दौड़ पड़ा था पूरा गांव, बाद में लहराया था तिरंगा

देवरिया : गुलामी के दौरान अंग्रेज शासकों ने भारतीयों पर खूब जुल्म ढ़ाया। मगर कुछ ऐसे भी अंग्रेज अधिकारी थे जिन्होंने भारतीयों के साथ मित्रवत व्यवहार रखा। ऐसे ही एक अंग्रेज अधिकारी थे मेजर आर कैंट, जो देवरिया जिले की चकियां कोठी में निवास करते थे। कैंट गांव-गांव घूमकर लोगों से हाल-चाल पूछते थे और हर संभव मदद भी करते थे। मेजर कैंट की उदारवादी नीतियों के चलते क्षेत्रीय जनता ने क्रांतिकारियों से मेजर कैंट के परिवार और चकिया कोठी की सुरक्षा की थी। जिससे खुश होकर कैंट ने ग्रामीणों के साथ भारत माता का जयकारा लगाते हुए खुद ही तिरंगा फहराया था।

अंग्रेजी सत्ता का केंद्र थी चकिया कोठी, नील की खेती कराते थे अंग्रेज
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान बिहार बॉर्डर पर स्थित चकिया कोठी अंग्रेजी हुकूमत का केंद्र हुआ करती थी। इस कोठी को अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के बाद 17 वीं शताब्दी में बनवाया था। अंग्रेज अफसर यहां निवास करते थे और हुकूमत की व्यवस्था का संचालन करते थे। चकिया कोठी में सर्वप्रथम एआरसी वाटसन एवं टायस मार्किन मेकडॉनल्ड नाम के अंग्रेज अफसर सपरिवार यहां आए थे। इन अधिकारियों ने इस क्षेत्र में नील की खेती शुरू कराई थी। नील बनाने के लिए अंग्रेजी सरकार ने यहां ब्रिटिश इंडिगो फैक्ट्री स्थापित की जहां से तैयार नील का व्यापार विदेशों में होता था ।

भारतीयों के दुख दर्द में शरीक होते थे मेजर आर कैंट
साल 1940 में मेजर आर कैंट यहां प्रशासक बनकर आए थे। चकिया कोठी में वह सपरिवार निवास करते थे। अंग्रेज यहां के लोगों पर जुल्म ढाते थे। जबकि मेजर कैंट का स्वभाव ठीक इसके विपरीत था बताया जाता है कि वह नित्य घोड़े पर सवार होकर लाल पगड़ी बांधकर गांव-गांव में घूमकर लोगों का हाल-चाल पूछते थे। क्षेत्र के लोग भी उनके साथ अपनापन रखते थे। इस इलाके के पिछड़ेपन को देखते हुए उन्होंने यहां एक अस्पताल व एक स्कूल तथा प्रतापपुर में एक चीनी मिल की स्थापना कराई।

कैंट के व्यवहार से खुश ग्रामीणों ने बचाई थी उनकी जान
साल 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में भारतीय क्रांतिकारियों ने जगह-जगह अंग्रेजों की कोठियां लूटनी शुरू कर दी। इसी क्रम में क्रांतिकारी चकिया कोठी भी लूटने आ पहुंचे। बताया जाता है कि क्रांतिकारियों का मंसूबा कैंट को सपरिवार कोठी में बंद कर आग लगा देने का था। इस बात की खबर जब अगल-बगल के ग्रामीणों को हुई तो क्षेत्र के सैकड़ों लोग मेजर कैंट और उनके परिवार की सुरक्षा करने चकिया कोठी पहुंच गए और कोठी को लूटने से बचाया तथा कैंट के परिवार की सुरक्षा की। इससे खुश होकर मेजर कैंट ने भारत माता का जयकारा लगाते हुए ग्रामीणों के साथ खुद ही तिरंगा फहराया था। चकिया कोठी आज खंडहर बन चुकी है। मगर उसके अवशेष अंग्रेजी हुकूमत और मेजर कैंट के व्यवहार की याद दिलाते रहते हैं।
रिपोर्ट- कौशल किशोर त्रिपाठी