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‘स्वतंत्रता आंदोलन एवं राष्ट्रीय एकता पर केन्द्रित बहुभाषीय विषयक पर काव्य गोष्ठी‘

आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत स्वतंत्रता आंदोलन एवं राष्ट्रीय एकता पर केन्द्रित बहुभाषीय काव्य गोष्ठी का आयोजन यशपाल सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में किया गया। डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की विशेष उपस्थिति में आयोजित इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डॉ0 ओम प्रकाश पाण्डेय द्वारा की गयी।
श्री ओम प्रकाश पाण्डेय ने संस्कृत में अपनी काव्य रचना आर्य विश्वजना विचक्षणा बलिदान स्मृति मुग्धमानसाः कुसुमै: सह यन्तु चत्वरे प्रतिमा यत्र हुतात्मनः क्वाचित पढ़ी।
श्री मनमोहन सिंह तन्हा ने पंजाबी में कविता प्रस्तुत करतेे हुए कहा – दशम पिता तेरी सिक्खी दा मैं वी मान बधावांगां, अगर देश नू थोड़ पवेगी मैं वी शीश कटावांगा। कदे किसे तो पिदे रहना सिक्खी दा दस्तूर नही, परचम अपने देश दा ‘तन्हा‘ दनिया विच लहरावांगा।।
श्री हरिओम ‘हरि‘ ने ब्रज भाषा में काव्य पाठ किया – देश के जवान बीर बांकुरे महान हैं जे, वैरिन सौं कबहुं न हारे हैं न हारिंगे। कैसौ हूं कराल काल भाल चढ़िआवै पीर, कबहुँ न हथियार डारे हैं न डारेंगे।।
श्री सतीश आर्य ने अवधी में कहा – न केऊ भूखा रहै, न तौ नंगा रहै,  जन्म होवै हुवैं, जहं पै गंगा बहै। रात-दिन बस इहै मोरे मन मा रहै, देश भारत रहै और तिरंगा रहै।।
श्री देवकीनन्दन ‘शान्त‘ ने बुन्देली में कहा –  स्तुति झाँसी की रानी की, बुन्देली पानी की, अंग्रेजन खैं मार भगावे, नारी महारानी। घासीराम ‘व्यास‘, ईसुरी, की मीठी वाणी की, बुन्देली में ‘शान्त‘ सुनाए, स्तुति रजधानी।।
श्री कमलेश राय ने भोजपुरी में कहा – कल-कल धुनि में गंगा-जुमना जेकरा गौरव क करे गान पग धोवे जेकर रतनाकर जग में जेकर कीरत महान, जहंवा झुरके तीनों बयार सुन्दर सुदेश क अभिनन्द, भारत का अनुपम पुन्य भूमि ओ हिन्द उसका अभिनन्द।
वरिष्ठ कवि श्री अनन्त मिश्र ने गम्भीर कविता पाठ किया।
श्री शिवओम अम्बर ने पढ़ा – शौर्य विनय प्रज्ञा प्रणय काव्य कला विज्ञान, सात स्वरों की सम्मिलित संज्ञा हिन्दुस्तान।
श्री जनकवि प्रकाश ने कहा – नव-रस रंग के तरंग में तरेगा मन, वाणी वर विमल गढ़ाने चले आये हैं। बड़े भाग्यवान आप हैं महानुभाव जो कि, साहित्य के गंगा में नहाने चले आये हैं।।
श्री महेश अश्क ने ग़ज़ल पढ़ी -आँसू-आँसू क माना पड़ता है, दर्द खै़रात में नहीं मिलता।
श्री अतुल वाजपेयी ने काव्य पाठ किया – सर्वोच्च रहेगा कीर्ति केतु मैं सवा अरब की ताकत हूँ, मैं भारत हूँ, मैं भारत हूँ, मैं भारत हूँ, मैं भारत हूँ,।
डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर संस्थान द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रम का विवरण प्रस्तुत किया साथ ही कविता क्या है, क्या होनी चाहिए इस ओर भी संकेत किया।
इस अवसर पर जयपुर से पधारे डॉ0 अनिल शर्मा ने ‘कलम आज उनकी जय बोल‘ (दिनकर), कदम मिलाकर चलना होगा (पं0 अटल बिहारी वाजपेयी), पता नहीं वो कौन थी (उदय भानु हंस) सहित अनेक सुंदर प्रस्तुतियाँ दी। उनके साथ तबले पर सावन डांगी, गिटार पर संजय माथुर, सिथेसाइजर पर रिंकू ने सहयोग किया।