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prayagraj violence : सांप्रदायिक दंगे फैलाने का आरोपी जावेद पंप अभी रहेगा जेल में, हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत

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प्रयागराज के खुल्दाबाद थानाक्षेत्र के अंतर्गत सांप्रदायिक दंगे, पथराव, अराजकता एवं धार्मिक उन्माद फैलाने के मामले के शातिर अभियुक्त जावेद अहमद उर्फ  जावेद मोहम्मद की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी है। यह आदेश अपर सत्र न्यायाधीश रत्नेश कुमार श्रीवास्तव ने अभियुक्त के वकील एवं शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि एवं अखिलेश सिंह विसेन के तर्कों को सुनकर दिया। 

वादी मुकदमा उपनिरीक्षक दीनदयाल सिंह ने 11 जून 2022 को थाने में रपट दर्ज कराई। आरोप लगाया कि अभियुक्त ने षड़यंत्र करके 10 जून 2022 को जुमे की नमाज के बाद धार्मिक उन्माद फैलाकर सांप्रदायिक दंगे कराए, आते.जाते राहगीरों पर पथराव एवं पुलिस बल पर पत्थर, बम एवं गोलियों से फायरिंग कराई। इसके अलावा सरकारी गाड़ियों में आगजनी की। इससे पुलिस बल के जवान एवं राहगीर गंभीर रूप से घायल हो गए। 

पुलिस ने घेराबंदी करके 34 लोगों को गिरफ्तार किया। याची के वकील ने अभियुक्तों को निर्दोष बताते हुए तर्क दिया कि इन्हें गलत एवं झूठे तथ्यों के आधार पर फंसाया गया है जबकि अभियोजन ने घोर विरोध करते हुए तर्क दिया कि उन्होंने आपराधिक षड्यंत्र करके सांप्रदायिक हिंसा फैलाई है। मामले के तथ्यों, परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीर प्रकृति को देखकर कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी। 

विस्तार

प्रयागराज के खुल्दाबाद थानाक्षेत्र के अंतर्गत सांप्रदायिक दंगे, पथराव, अराजकता एवं धार्मिक उन्माद फैलाने के मामले के शातिर अभियुक्त जावेद अहमद उर्फ  जावेद मोहम्मद की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी है। यह आदेश अपर सत्र न्यायाधीश रत्नेश कुमार श्रीवास्तव ने अभियुक्त के वकील एवं शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि एवं अखिलेश सिंह विसेन के तर्कों को सुनकर दिया। 

वादी मुकदमा उपनिरीक्षक दीनदयाल सिंह ने 11 जून 2022 को थाने में रपट दर्ज कराई। आरोप लगाया कि अभियुक्त ने षड़यंत्र करके 10 जून 2022 को जुमे की नमाज के बाद धार्मिक उन्माद फैलाकर सांप्रदायिक दंगे कराए, आते.जाते राहगीरों पर पथराव एवं पुलिस बल पर पत्थर, बम एवं गोलियों से फायरिंग कराई। इसके अलावा सरकारी गाड़ियों में आगजनी की। इससे पुलिस बल के जवान एवं राहगीर गंभीर रूप से घायल हो गए। 

पुलिस ने घेराबंदी करके 34 लोगों को गिरफ्तार किया। याची के वकील ने अभियुक्तों को निर्दोष बताते हुए तर्क दिया कि इन्हें गलत एवं झूठे तथ्यों के आधार पर फंसाया गया है जबकि अभियोजन ने घोर विरोध करते हुए तर्क दिया कि उन्होंने आपराधिक षड्यंत्र करके सांप्रदायिक हिंसा फैलाई है। मामले के तथ्यों, परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीर प्रकृति को देखकर कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।