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Editorial: क्या बिहार में फि र से लौट आया ‘जंगलराज

21-8-202

देश का सबसे पिछड़ा राज्य यानी बिहार जहां के एक नेता को सुशासन बाबू कहा जाता है लेकिन असल में यह नेता कुशासन का पर्याय बनकर रह गए है। मुख्यमंत्री पद से प्रेम और प्रधानमंत्री बनने की चाह में यह नेता कुछ यूं बावले हुए कि अपनी ही रही बची इज्जत की मिट्टी पलीद कर ली। ये कोई और नहीं बल्कि नीतीश कुमार है जो कि रंग बदलने में गिरगिट से भी आगे निकल गए हैं लेकिन अहम बात यह है कि इन्होंने जिस दिन से बीजेपी का साथ छोड़ राजद से हाथ मिलाया है ठीक उसी दिन से राज्य में जंगलराज की शुरुआत हो गई है और बिहार के पिछडऩे की शुरुआत एक बार फि र हो गई है।

नीतीश कुमार ने बीजेपी को टाटा करके क्रछ्वष्ठ से हाथ मिलाया और राज्य में फि र से सीएम पद की शपथ ले ली। इसके साथ ही राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। अहम बात यह है कि नीतीश कुमार की कैबिनेट में छ्वष्ठ के मंत्रियों की संख्या से ज्यादा क्रछ्वष्ठ की है और इसमें आपराधिक मामलों का सामना कर रहे अनेक मंत्री नीतीश कुमार के लिए मुसीबत बन रहे हैं।

स्वयं राजद नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर ही भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप हैं लेकिन नीतीश जी आवाज कैसे उठाएंगे क्योंकि पीएम की कुर्सी में बैठने का सपना पाल कर बैठे हैं।

क्रछ्वष्ठ कोटे से बिहार के नीतीश मंत्रिमंडल में रूरुष्ट कार्तिकेय सिंह को मंत्री बनाया गया और वे नीतीश के लिए मुसीबत बन गए क्योंकि उन पर किडनैपिंग के गंभीर आरोप हैं। उनके खिलाफ कोर्ट में वारंट जारी किया गया था और अहम बात यह है कि जिस तारीख को मंत्री शपथ ले रहे थे उसी दिन 16 अगस्त को उन्हें कोर्ट में पेश होना था लेकिन कानून से बचकर भाग रहे ये मंत्री अब स्वयं ही कानून मंत्री बन गए हैं। उन्होंने न कोर्ट में सरेंडर किया है और न ही जमानत की अर्जी दी है उन पर राजीव रंजन नाम के एक शख्स की किडनैपिंग का आरोप लगा है लेकिन  नीतीश कुमार को यह कुछ भी नहीं दिखा है।

कार्तिकेय सिंह के बारे में जब नीतीश कुमार से पूछा गया तो सीएम साहब बोले की उन्हें इस बारे में कुछ पता भी नहीं है, अब पता भी कैसे होगा क्योंकि पता 7 लोककल्याण मार्ग का याद कर लिया है और वहां पहुंचने के लिए गुंडे मवाली भ्रष्टाचारी जिसका भी समर्थन मिले ले लेंगे प्रभु! इतना ही नहीं नीतीश के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह और शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के ऊपर भी आपराधिक आरोप सामने आ गए हैं जिससे बिहार के आपराधिक विकास में बढिय़ा बढ़ोतरी हुई है।

रिपोर्ट के मुताबिक कृषि मंत्री बने सुधाकर सिंह पर खेती-किसानी से जुड़े मामले में मुकदमा रामगढ़ थाने में दर्ज है। उनके ऊपर इस मामले में सरकार का लाखों रुपया भी बकाया है, जिसकी रिकवरी की प्रक्रिया चल रही है। वहीं शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर इस साल 20 फरवरी को दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर 10 जिंदा कारतूसों के साथ पकड़े गए थे। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था लेकिन उनके खिलाफ आपराधिक मामला जारी है।

एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि बिहार में 70 प्रतिशत से अधिक नए मंत्रियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। यह दिखाता है कि बिहार में जंगलराज की गाजे बाजे के साथ शुरुआत हो गई है और इसे नीतीश कुमार लीड कर रहे हैं जो कि असल में हमेशा जंगल के खात्मे का जिक्र कर अपनी ही पीठ ठोका करते थे। अब बड़ी बात यह है कि जिस सरकार में डिप्टी सीएम और उनके परिवार का अच्छा-खासा आपराधिक रिकॉर्ड रहा हो, उस राज्य की सरकार और मुख्यमंत्री के विवेक पर शक करना व्यर्थ है।

पुराने समय में भले ही मास्टर जी सबसे शैतान बच्चे को कक्षा का मॉनीटर बनाकर कक्षा में शांति स्थापित करते हों लेकिन नीतीश ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए राजद से गठबंधन कर अपना राजनीतिक अंत तो निश्चित किया है लेकिन उनके अंत से पहले कुछ दिन तक राज्य को राजद का जंगलराज फिर झेलना पड़ेगा जिसका नीतीश को अतिरिक्त शाप भी लगने वाला है।