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UP में जिन सीटों पर मुरझाया था कमल, वहां के भूपेंद्र और धर्मपाल पर BJP को भरोसा, 2024 में खिलाएंगे कमल

मेरठ: भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 2019 में हारी हुई बाजी 2024 में जीत में बदलने की उम्मीद है। दरअसल, पश्चिमी यूपी की जिन दो लोकसभा सीटों पर 2019 में कमल मुरझा गया था, वहीं के रहने वाले नए प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और नए संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह सैनी पर बीजेपी को भरोसा है कि 2024 में इन दो सीट ही नहीं बल्कि यूपी में शान से कमल खिलाएंगे।

दरअसल, बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मुरादाबाद के रहने वाले है। मुरादाबाद से बीजेपी लोकसभा चुनाव 2019 में हारी थी, यह सीट सपा ने जीती थी। एच.टी. हसन वहां सपा के सांसद हैं। बीजेपी के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह सैनी बिजनौर के रहने वाले है। बीजेपी बिजनौर भी पिछले लोकसभा चुनाव में हार गई थी। फिलहाल बिजनौर सीट बसपा के पास है। मलूक नागर वहां से सांसद हैं। रिकार्ड के मुताबिक भूपेंद्र खुद भी दो चुनाव हार चुके हैं लेकिन बीजेपी ने हमेशा उनको तवज्जो दी। हाईकमान के विश्वास के बल पर वह संगठन में हमेशा सियासी चौधरी साबित हुए।

यूपी में बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह सैनी दोनों एक ही मंडल मुरादाबाद के रहने वाले हैं। भूपेंद्र मुरादाबाद और धर्मपाल बिजनौर से ताल्लुक रखते हैं। भूपेंद्र चुनावी जंग भी लड़ चुके है। संगठन में वेस्ट यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष भी रह चुके है, एमएलसी और मंत्री का दायित्व भी निभा चुके है। उन्हें संगठन का लंबा अनुभव हैं। संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह एबीवीपी और संघ से जुड़कर पूरी तरह संगठन के काम में जुटे रहे हैं।

दिलचस्प बात यह है कि दोनों दिग्गजों के मंडल मुरादाबाद की सभी लोकसभा सीट मुरादाबाद, अमरोहा, संभल, अमरोहा, बिजनौर, नगीना 2019 में बीजेपी हार गई थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के लिए यह मंडल कमजोर कड़ी साबित हुआ था। अब 2024 में दोनों पर अपने मंडल की सीट ही नहीं यूपी फतह यानी सभी 80 सीटें जीतने का टारगेट है।

भूपेंद्र 2 चुनाव हारे लेकिन संगठन के बने रहे चौधरी
प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए भूपेंद्र चौधरी ने दस साल के भीतर दो बार चुनावी जंग लगी लेकिन दोनों बार हार गए थे। इस बार के बाद भी संगठन में उनका कद और दबदबा कम नहीं हुआ। 1999 के लोकसभा चुनाव में को भाजपा ने संभल सीट से भूपेंद्र चौधरी को सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के सामने चुनाव लड़ा दिया था। भूपेंद्र चौधरी को 1,43,596 और मुलायम सिंह यादव 2,59,430 वोट मिले थे। भूपेंद्र हार गए थे। दूसरा चुनाव दस साल बाद 2009 में मुरादाबाद पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से लड़े थे। यह उपचुनाव था।

बसपा विधायक राजीव चन्ना ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। इस उपचुनाव में भी भूपेंद्र चौधरी हार गए थे। बसपा के बलराम सैनी जीते थे। उसके बाद भी बीजेपी ने भूपेंद्र को पहले संगठन में क्षेत्रीय मंत्री नाया। फिर वेस्ट यूपी क क्षेत्रीय अध्य़क्षा का जिम्मा दिया। क्षेत्रीय अध्यक्ष वह दो बार रहे। 2016 में बीजेपी हाईकमान ने भूपेंद्र को एमएलसी बना दिया। फिर योगी-एक सरकार में मंत्री बनाया गया। 2022 में फिर एमएलसी बनाकर योगी-2 सरकार में मंत्री बरकरार रखा।