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मुफलिसी के खेल को हरा जीत लिया जहां, संसाधनों के अभाव में भी लक्ष्य से निगाहें नहीं हटाईं

हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन का प्रतीक है। इसी क्रम में हम आपको रूबरू करा रहे हैं कानपुर के उन प्रतिभावान खिलाड़ियों से जिन्होंने गरीबी के बीच संघर्ष करते हुए लंबा सफर तय किया। कठिनाइयों और संसाधनों के अभाव में भी लक्ष्य से निगाहें नहीं हटाईं। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तमाम पदक हासिल कर नाम रोशन किया।

बेटी को प्रतियोगिता में भेजने के लिए पिता ने किया ओवरटाइम
मालरोड कुरसवां निवासी हैंडबाल खिलाड़ी सपना कश्यप अभी तक 11 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर सात पदक जीत चुकी हैं। सपना के पिता अशोक कश्यप सिलाई का काम करते हैं। सपना ने 2013 में ग्रीनपार्क में हैंडबॉल का अभ्यास शुरू किया था। सपना ने बताया कि 2014 में पहली बार तेलंगाना में राष्ट्रीय प्रतियोगिता खेलना का मौका मिला तो पापा ने ओवरटाइम कर पैसे इकट्ठा किए। इसके बाद भी कम पड़े तो पड़ोसियों की मदद से मेरी टिकट कराई और मुझे खेलने के लिए भेजा। पिता अशोक ने कहा कि बेटी रोज सुबह पांच बजे अपने आप ग्रीनपार्क पहुंच जाती थी, इस लगन को देखते हुए कभी भी उसके रास्ते में गरीबी को नहीं आने दिया।

ये हैं उपलब्धियां
2014 से 2016 तक सब जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया
2017 से 2019 के बीच कई जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में लिया हिस्सा
2019 से 2022 तक लगातार सीनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में किया प्रतिभाग

धनुष खरीदने के पैसे नहीं थे, अब अपूर्व हैं राष्ट्रीय तीरंदाज
बर्रा दो निवासी अपूर्व वशिष्ठ (17) राष्ट्रीय तीरंदाज हैं। पिता विशाल धागे की सप्लाई का काम करते है। पिता ने बताया कि बेटे ने 2017 में बच्चों को तीरंदाजी करते देखा तो उसका भी मन भी तीरंदाजी करने को किया। आर्थिक स्थिति कमजोर थी तो किदवई नगर के प्रशिक्षक संदीप पासवान ने उसे निशुल्क अभ्यास कराना शुरू किया। एक दिन बेटे को राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में जाना था और एक दिन पहले शाम को अभ्यास के दौरान उसका धनुष टूट गया था। संदीप को पता चला तो उन्होंने तत्काल धनुष की व्यवस्था कराई। बेटे ने प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था। अपूर्व अभी तक राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।

अपूर्व की उपलिब्धयां
2017 से 2022 तक लगातार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया।
2022 में अमरावती में हुई राष्ट्रीय सब जूनियर प्रतियोगिता में टॉप टेन में जगह बनाई।
2022 में जम्मू कश्मीर में हुई सीनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में टॉप टेन में आए।

राष्ट्रीय खिलाड़ी अनुज के पास रैकेट खरीदने तक के पैसे नहीं थे
हैलट कैंपस निवासी बैडमिंटन के राष्ट्रीय खिलाड़ी अनुज गौतम ने बताया कि जब स्कूल में पढ़ते थे तो रैकेट खरीदने के लिए पैसे तक नहीं थे। पिता धीरज कुमार हैलट में वार्ड ब्वॉय है। जब स्कूल में खेलने की इच्छा जताई तो प्रशिक्षक आशुतोष सत्यम झा ने रैकेट उपलब्ध कराया और स्कूल में अभ्यास कराते थे। उनकी बदौलत तीन बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेलने का मौका मिला। दो बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पदक प्राप्त किया। अब अनुज मेडिकल कॉलेज में बैडमिंटन का अभ्यास कर रहे हैं।

अनुज की उपलब्धियां
2015 आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।
2016 दिल्ली में स्कूल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता।
2016 आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया।
2019 महाराष्ट्र में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया।

पिता चलाते थे चाय की कैंटीन, बेटा बना अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी
केके गर्ल्स कॉलेज में चाय की कैंटीन चलाने वाले किदवई नगर निवासी राम बहादुर यादव के बेटे ने अभिषेक ने टेबल टेनिस में अंतरराष्ट्रीय स्तर तक सफर तय किया है। उनका बड़ा बेटा अविनाश यादव भी टेबल टेनिस का राष्ट्रीय खिलाड़ी है। अभिषेक ने बताया कि पहले घर की आर्थिक स्थितियां इतनी अच्छी नहीं थीं, तो भाई घर की टेबल पर ही धागा बांधकर उस पर अभ्यास कराया था। 2014 में यूथ ओलंपिक में जाने का मौका मिला और 2021 में बैंक ऑफ इंडिया में खेल कोटे से नौकरी भी मिल गई।

अभिषेक की उपलब्धियां
2006 से 2022 तक राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया।
2009 में गोवा में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया।
2014 में यूथ ओलंपिक में प्रतिभाग किया।
2015 में कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता।
2021 में नोएडा में बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी लगी।

हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन का प्रतीक है। इसी क्रम में हम आपको रूबरू करा रहे हैं कानपुर के उन प्रतिभावान खिलाड़ियों से जिन्होंने गरीबी के बीच संघर्ष करते हुए लंबा सफर तय किया। कठिनाइयों और संसाधनों के अभाव में भी लक्ष्य से निगाहें नहीं हटाईं। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तमाम पदक हासिल कर नाम रोशन किया।

बेटी को प्रतियोगिता में भेजने के लिए पिता ने किया ओवरटाइम

मालरोड कुरसवां निवासी हैंडबाल खिलाड़ी सपना कश्यप अभी तक 11 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर सात पदक जीत चुकी हैं। सपना के पिता अशोक कश्यप सिलाई का काम करते हैं। सपना ने 2013 में ग्रीनपार्क में हैंडबॉल का अभ्यास शुरू किया था। सपना ने बताया कि 2014 में पहली बार तेलंगाना में राष्ट्रीय प्रतियोगिता खेलना का मौका मिला तो पापा ने ओवरटाइम कर पैसे इकट्ठा किए। इसके बाद भी कम पड़े तो पड़ोसियों की मदद से मेरी टिकट कराई और मुझे खेलने के लिए भेजा। पिता अशोक ने कहा कि बेटी रोज सुबह पांच बजे अपने आप ग्रीनपार्क पहुंच जाती थी, इस लगन को देखते हुए कभी भी उसके रास्ते में गरीबी को नहीं आने दिया।