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Editorial :- उदयनराजे के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा परिवार में हुआ स्वागत

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13 march 2020

आज राहुल गांधी ने कहा कि सिंधिया ने अपनी विचारधारा को जेब में रख दिया और बीजेपी-आरएसएस के साथ चले गए. राहुल ने कहा कि यह विचारधारा की लड़ाई है, एक तरफ कांग्रेस और दूसरी तरफ भाजपा-आरएसएस है. मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया की विचारधारा को जानता हूं. कांग्रेस नेता ने कहा कि वह अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में चिंतित थे, अपनी विचारधारा को त्याग दिया और आरएसएस के साथ चले गए.
अगस्त 24, 2018 में बर्लिन में अपने इस कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, ‘आज हिन्दुस्तान में जो सरकार है वह दूसरे तरीके से काम करती है. बीजेपी-आरएसएस के लोग हमारे ही देश को बांटने में लगे हैं. हमारे ही देश में नफरत फैला रहे हैं. हमारा काम देश को जोडऩा है और आगे बढ़ाना है.
लोकतंत्र सहमति के आधार पर चलने की एक प्रक्रिया है। यही कारण है कि नरेन्द्र मोदी जी ने भी अपनी सरकार का मंत्र दिया है सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास।
सिंधिया परिवार भी लोकतांत्रिक पद्धति और सहमति के आधार पर चलने वाला परिवार रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म १ जनवरी १९७१ को हुआ था। उनका जन्मोत्सव समारोह कई दिनों तक मनाया गया। परंपरागत नामकरण संस्कार १३ वे दिन से प्रारंभ हुआ, जब युवराज की चाची ने सामूहिक रूप से युवराज का नाम घोषित किया। राजामाता श्रीमंत विजयाराजे सिंधिया अपने पोते का नाम कुलदेवता के नाम पर ज्योतिबा रखना चाहती थी, परंतु युवराज के माता-पिता उनका नाम विक्रमादित्य रखना चाहते थे। अत: एक सहमति के आधार पर युवराज का नाम ज्योतिरादित्य रखा गया।

राहुल गांधी के उक्त दो वक्तव्यों के संदर्भ में मैं उदयनराजे और और ज्योतिरादित्य सिंधिया का उल्लेख कर रहा हूं। सिंधिया जी ने तो कल ही भाजपा में प्रवेश किया है और आज भोपाल में उनका भव्य स्वागत हुआ है।
आरएसएस की आलोचना करने के पूर्व राहुल गांधी को यह समझना चाहिये कि १९२५ में पांच युवाओं ने आरएसएस की स्थापना की और आज विश्व की वह सबसे बड़ी गैर राजनीतिक संस्था है। ऐसा कैसे संभव हुआ इसे जानने के लिये राहुल गांधी को संघ से संबंधित अधिकारियों या संघ को भलिभांति जानने वाले व्यक्तियों से संपर्क करना चाहिये।
आरएसएस लोगोंं को जोडऩे वाला और देश की एकता के लिये कार्य करने वाला संगठन है। कांग्रेस के प. नेहरू सत्ता के लालच मेें प्रधानमंत्री बनने की लालसा मेंं देश को धार्मिक आधार पर तोडऩे वाले थे। उन्हीं की नीतियों पर चलकर उन्हीं के वंशज गांधी नामधारी आज भी सत्ता लोभ के कारण धर्म के आधार पर लोगों को विभाजित करने में और मुस्लिम तुष्टिकरण करते हुए हिन्दुओं के प्रति नफरत फैलाने में लगे हुए हैं।
आज संसद में प्रकाश जावड़ेकर जी ने और गृहमंत्री अमित शाह जी ने दिल्ली दंगों की चर्चा करते समय जो तथ्य प्रस्तुत किये हैं उसी से समझ जाना चाहिये कि आरएसएएस और भाजपा क्या हैं?
आज राहुल गांधी ने कहा है कि ‘मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया की विचारधारा को जानता हूं. कांग्रेस नेता ने कहा कि वह अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में चिंतित थे, अपनी विचारधारा को त्याग दिया और आरएसएस के साथ चले गएÓ
राहुल गांधी संभवत: ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पिता तथा दादी के संबंध में पर्याप्त जानकारी नहीं रखते हैं। विजयराजे सिंधिया का जनसंघ को और बाद में भाजपा को आज की स्थिति में पहुचाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। यही कारण है कि भाजपा कार्यालय में विजयराजे जी की प्रतिमा भी लगी हुई है।
माधवराव सिंधिया भी राजनीति में प्रवेश करने के लिये जनसंघ की सदस्यता अटल बिहारी वाजपेयी जी से ग्रहण की थी और जनसंघ की टिकट पर ही वे सांसद २६ वर्ष की उम्र में बने थे। यही कारण है कि आज भाजपा कार्यालय में विजयराजे सिंधिया की मूर्ति के बाजू में श्रद्धापूर्वक माधवराव सिंधिया जी की भी फोटो रखी गयी है और उस पर तथा विजयराजे और दीनदयाल जी उपाध्याय की मूर्ति पर माल्यार्पण करते समय ज्योतिरादित्य सिंधिया कितना गौरवान्वित महसुस करते होंगे यह सहज ही समझा जा सकता है।
इसीलिये ज्योतिरादित्य की बुआ यशोधरा राजे ने कहा है कि ज्योतिरादित्य की घर वापसी हुई है। इसी प्रकार की टिप्पणी कल भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा जी ने भी की थी।
यशोधरा राजे जी ने यह भी कहा था कि विजयराजे सिंधिया जी की इच्छा थी कि उनका पूरा परिवार जनसंघ अर्थात आज के भाजपा में रहे। उनकी इच्छा की पूर्ति आज हुई है।
ज्योतिरादित्य की दूसरी बुआ वसुंधरा राजे राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र भी भाजपा मेें ही है। अतएव हम कह सकते हैं कि पूूरा सिंधिया परिवार आज भाजपा मेंं है।
इस संदर्भ में एक बात और कहना आवश्यक है कि भाजपा एक लोकतांत्रिक राजनैतिक संस्था है और कांग्रेस एक परिवारवादी पार्टी है या यूं कहिये कि वह पहले स्वतंत्रता के पूर्व में जिस प्रकार से रजवाड़े थे उस प्रकार की एक संस्था है। कांगे्रस में नेहरू गांधी परिवार ही सबकुछ है।
ठीक इसके विपरीत सिंधिया परिवार भले ही एक रजवाड़ा रहा हो स्वतंत्रता के पूर्व परंतु स्वतंत्रता के बाद में १९६७ से ही वह रजवाड़ा न रहकर एक लोकतांत्रिक पद्धति पर चलने वाला परिवार है। विजयराजे सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक के कार्यकलापों से हम समझ सकते हैं।
कांगे्रस एक किंगडम है रजवाड़ा है और ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा उनका परिवार जनता की सेवा करने के लिये ही राजनीति मेें आए हैं। इसी सत्यता को उजागर करने के लिये सिंधिया जी ने कुछ दिनों पहले ट्विटर अकाउंट से अपना कांग्रेसी परिचय हटा दिया था। इसे लेकर भी पार्टी आलाकमान से उनकी नाराजगी की खबरों ने सुर्खियां बटोरी थी। ट्विटर के नए बायो में सिंधिया ने खुद को जनसेवक और क्रिकेट प्रेमी बताया था।
राहुल गांधी ने आज ये भी कहा है कि वे जानते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया किस विचारधारा के हैं। उनका कहने का तात्पर्य यह है कि वे आरएसएस के सिद्धांतों के विरूद्ध हैं।
इस संदर्भ में मैं ये कहना चाहता हूं कि वे आरएसएस के स्वयं सेवक भले ही न हों और भले ही वे अपने पिता जी की मृ़त्यु के बाद चूंकि वे कांगे्रस में थे इसलिये उनकी विरासत को सम्हालने के लिये वे १८ वर्ष कांग्रेस में रहे हों परंतु उन्होंने राष्ट्रीयता की भावना को कभी त्यागा नही यह हम कह सकते हैं।
उसका आधार यह है कि उन्होंंने ६ अगस्त २०१९ को निष्प्रभावी बनाये जाने के मोदी सरकार के समर्थन में ट्वीट किया था :
छ्व4शह्लद्बह्म्ड्डस्रद्बह्ल4ड्ड रू. स्ष्द्बठ्ठस्रद्बड्ड ?ञ्चछ्वरू_स्ष्द्बठ्ठस्रद्बड्ड
प्तजम्मूकश्मीर और प्तलद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश मे उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूँ। संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नही होते। लेकिन ये फैसला राष्ट्र हित मे लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूँ।
7:13 क्करू – ्रह्वद्द 6, 2019
इसी प्रकार से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सीएए का भी उन्होंने समर्थन करते हुए ११ दिसंबर २०१९ को नागरिकता संशोधन विधेयक पर सरकार का समर्थन करते हुए उन्होंनेे कहा कि यह विधेयक संविधान के विपरीत है कि नहीं यह अलग बात है, लेकिन इसमें भारत की वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा और सभ्यता है।
महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा चुनाव के समय शिवाजी के वंशज उदयनराजे जी ने शरद पवार की पार्टी से भाजपा मेंं प्रवेश किया था। उस समय वे चुनाव में हार गये थे।
पिछले लोकसभा चुनाव के समय ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से भाजपा की टिकट पर खड़े हुए उन्हीं के एक पूर्व सहयोगी ने हरा दिया था।
इसे एक संयोग ही कहिये कि उदयन राजे को भाजपा ने जहॉ अभी राज्यसभा का उम्मीदवार अभी महाराष्ट्र से बनाया है वहीं अभी होने वाले राज्यसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके भाजपा प्रवेश के उपरांत राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि सिंधिया राजवंश राणोजी सिंधिया, जो महाराष्ट्र के सातारा जिले में कान्हेरखेड गांव के पाटिल जानकोजीराव के पुत्र थे,(जनकोजीराव सिंधिया ये वेडात वीर दौडले सात में से विठोजी शिंदे इनके सुपुत्र हैं) द्वारा स्थापित किया गया था।
कोल्हापूरके वाडी रत्नागिरी गाव के श्री ज्योतिबा(महादेव का रूप)सिंधिया वंश के कुलदैवत है। आज भी चैत्र मास मे होने वाली ज्योतिबा की यात्रा मे सिंधिया राजवंश की सासनकाठी को बडा सम्मान है। यात्रा मे होने वाले मिरवनूक मे सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट की काठी नौ क्रमांक पर रहती है। सिंदिया महाराज की संमतीसे ये सासनकाठी चलाने का सम्मान और भाग्य महाराष्ट्र के सांगली जिले के वालवा तहसील के करंजवडे गाव के लोगो को प्राप्त है।
बाजी राव के अंतिम वर्षों में मराठा महासंघ मजबूत शक्ती के रूप में उभरा। राणोजी 1726 में मराठा विजय अभियान के कार्यभारी थे। राणोजी ने 1731 में उज्जैन में अपनी राजधानी स्थापित की। उनके उत्तराधिकारि जयाजीराव, ज्योतिबाराव, दत्ताजीराव, जानकोजीराव, हादजी और और दौलतराव सिंधिया थे। ग्वालियर का सिंधिया राज्य में 18वीं सदी के उत्तरार्ध में एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति बन कर उभरा और तीन एंग्लो – मराठा युद्ध में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होने राजपूत राज्यों पर अपना बोलबाला रखा और अजमेर के राज्य पर विजय प्राप्त की।
इस संदर्भ में कुछ समय पूर्व ही भीमा कोरेगांव हिंसा तथा उसमें कांगे्रस की सहायता से शहरी नक्सलवाद का प्रवेश दलित समुदाय को भड़काने तथा भारत की एकता को भंग करने के लिये हुआ था उसका स्मरण भी दिलाना आवश्यक है।
इस संबंध में विस्तार से चर्चा इसी पृष्ठ में अलग से की गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वह भीमा कोरेगांव का जो कांड हुआ उसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या किये जाने का षडयंत्र भी था।
अभी शाहीनबाग से लेकर आज तक जो संसद में बहस हुई है दिल्ली दंगों के समय और उस संदर्भ में जिस प्रकार से गृहमंत्री अमित शाह जी ने जो तथ्य प्रस्तुत किये हैं उसे भी समझना होगा।
शाहीनबाग में बच्चों के मुंह से यह कहलवाया जा रहा था वीडियो जो वायरल हुए हैं उसके अनुसार कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की हत्या होगी आदि आदि।
ऊपर दर्शाये गये तथ्यों के आधार पर यह सहज में समझा जा सकता है कि कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रवेश क्यों किया अर्थात अपने ही जनसंघ भाजपा परिवार में वापस क्यों आये।