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महामना शिक्षण संस्थान आर्थिक रूप से कमजोर, प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को मेडिकल तथा इंजीनियंिरग परीक्षाओं की तैयारी निःशुल्क करवा रहा है

राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने देश की शिक्षा नीति में एक नई नींव डाली है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत युवाओं को शिक्षा के साथ-साथ कौशल मिशन के अंतर्गत हुनरमंद भी बनाया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 21वीं सदी के आधुनिक विचारों को जोड़ा गया है। उक्त बातें प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में महामना शिक्षण संस्थान के नूतन सत्र 2022-23 के कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि महामना शिक्षण संस्थान आर्थिक रूप से कमजोर, प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को मेडिकल तथा इंजीनियंिरग परीक्षाओं की तैयारी निःशुल्क करवा रहा है। उन्होंने कहा कि नये भारत के निर्माणकर्ताओं को संस्थान शिक्षा के साथ-साथ संस्कारी भी बना रहा है। इस दौरान उन्होंने भाऊराव देवरस के चरित्र और कार्यों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि संस्थान के उद्देश्यों और वातावरण एवं यहां के अनुशासन को देखकर यह विश्वास मन में पैदा होता है कि यहां से निकलने वाला हर छात्र राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में अपना योगदान देगा।
जलशक्ति मंत्री ने भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के आडिटोरियम में आयोजित महामना शिक्षण संस्थान के नूतन सत्र 2022-23 कार्यक्रम में मेडिकल व इंजीनियरिंग परीक्षाओं में सफल हुए विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कार्यक्रम में सफल हुए विद्यार्थियों को अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह देकर उनका उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महामना शिक्षण संस्थान छात्र-छात्राओं को एक ऐसी सीढ़ी प्रदान कर रहा है जो उन्हें शिखर तक पहुँचा सकती है। संस्थान द्वारा छात्र-छात्राओं में समाज सेवा और राष्ट्र सेवा की विचार धारा को जागृत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान संकल्पित होकर हर कदम पर छात्र-छात्राओं को विभिन्न अवसर प्रदान कर रहा है, जिससे कि वे आगे चलकर राष्ट्र को आगे ले जा सकें। उन्होंने कहा कि देश के युवा राष्ट्रीय शक्ति और पहचान हैं।
पूर्व निदेशक आईआईटी (बीएचयू), प्रो0 एस0एन0 उपाध्याय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्या और शिक्षा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला इसके अलावा उन्होंने अध्यापक और विद्यार्थी को अपने जीवन में किस प्रकार से कार्य करना चाहिए उसके बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने नवागन्तुक छात्रों को छोटी सफलताओं को लक्ष्य न मानकर अधुनातन ज्ञानार्जन में सदैव प्रयासरत रहने की प्रेरणा भी दी।
उच्च न्यायालय मा0 न्यायमूर्ति जे0जे0 मुनीर ने कहा कि आधुनिक पद्धति को लेकर समाज के साथ चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे छात्र जो अच्छे अंक नहीं ला पाते हैं, लेकिन उनके अंदर प्रतिभा होती है, ऐसे छात्रों को भी संस्थान द्वारा सहायता प्रदान करनी चाहिए।
अपर मुख्य सचिव डॉ0 रजनीश दुबे ने कहा कि महामना संस्थान में आश्रम पद्धति की परिकल्पना को साकार कर रही है। संस्थान द्वारा छात्र-छात्राओं को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार तथा उनके व्यक्तित्व का विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 01 ट्रिलियन डॉलर करने का कार्य किया जा रहा है, जिसमें शिक्षित युवा का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
कुलपति बी0बी0ए0यू0 प्रो0 संजय सिंह ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य सिर्फ रोजगार प्राप्त करना नहीं है, बल्कि सेवाभाव भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र-छात्राओं को समान अवसर मिलना चाहिए, जिससे कि हर वर्ग के लोग समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके।
राज्य सूचना आयुक्त एवं संस्थान के संरक्षक प्रमोद तिवारी ने कार्यक्रम में आये समस्त श्रोताओं एवं संस्थान के उद्देश्यों में सहयोग कर रहे समस्त गणमान्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया। संस्थान के निदेशक डॉ0 ए0डी0 पाठक, महामना बालिका परिकल्प की संरक्षिका नीलिमा दीपक तथा सचिव रंजीत तिवारी उपस्थित रहे। मंच का संचालन करते हुए अनघ ने संस्थान एवं भाऊराव देवरस के विचारों एवं उद्देश्यों में साम्यता पर प्रकाश डाला।