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कोर्ट से फरार हो गए थे बाराबंकी में तैनात एसओ, सीओ सिटी ने की सिफारिश, जज बोले- कोर्ट कचहरी में लगा दो ताला

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सुल्तानपुर: बाराबंकी के दरियाबाद थाने के प्रभारी डीपी शुक्ला के खिलाफ न्यायिक अभिरक्षा में भागने के मामले में मुकदमा दर्ज करने के आदेश पर आनन-फानन में क्षेत्राधिकारी नगर राघवेंद्र चतुर्वेदी जिला सत्र न्यायालय पहुंचे। उन्होंने न्यायाधीश से अनुरोध करते हुए रियायत देने की मांग की। न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा ने तल्ख लहजे में कहा कि कोर्ट-कचहरी में ताला लगवा दीजिए और घर बैठाकर तनख्वाह दीजिए।

जानकारी के अनुसार लंभुआ कोतवाली क्षेत्र के एक गांव से जुड़े छेड़छाड़ और गैर इरादतन हत्या के मामले में दारोगा दुर्गा प्रसाद शुक्ल विवेचक थे। मुख्य बयान छह जून 2022 को कोर्ट में दर्ज किया गया था, कोर्ट ने जिरह के लिए दारोगा को तलब किया था। 2 जुलाई, 16 अगस्त और 25 अगस्त को विवेचक गवाही देने के लिए कोर्ट नहीं आए। इस पर कोर्ट ने विवेचक के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था। मंगलवार को मामले में पेशी नियत थी।

दारोगा के खिलाफ वारंट निरस्त करने की अर्जी हुई थी खारिज
बताया गया कि दारोगा फोन पर 6 घंटे तक कोर्ट पहुंचने की जानकारी देते रहे थे। शाम करीब 4:30 बजे वो कोर्ट पहुंचे और गैर जमानती वारंट निरस्त करने के लिए अर्जी दी। स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट पवन कुमार शर्मा ने दारोगा का वारंट निरस्त करने के लिए दी गई अर्जी खारिज कर उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दिया। कोर्ट ने दारोगा को न्यायिक अभिरक्षा में रखते हुए बुधवार को सुबह 10.30 बजे अदालत में पेश करने का आदेश दिया था।

जानकार बोले, कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मामला
जेल जाने की नौबत आता देख SO डीपी शुक्ला कोर्ट से फरार हो गए। अंत में जब मामला सुर्खियों में आया तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। कानूनी मामलों के जानकार अधिवक्ता विवेक विक्रम सिंह ने बातचीत में बताया कि यह कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट का मामला है। उन्होंने कहा कि कोर्ट मोहर्रिर की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट कार्रवाई कर सकती है।

कोतवाली में दर्ज हो रहा केस
कोर्ट ने हेड मोहर्रिर जरासंत यादव को SO डीपी शुक्ला को अभिरक्षा में लेकर कोतवाली ले जाकर उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया। कोर्ट की इस कार्रवाई के बाद पुलिस महकमें में हड़कंप मच गया है। वादी के अधिवक्ता राजेश पांडे ने मीडिया को बताया कि कोर्ट ने वारंट री कॉल एप्लीकेशन खारिज करते हुए ज्यूडिशियल कस्टडी में ले लिया था। ज्यूडिशियल कस्टडी में इनको जेल जाना चाहिए था। ज्यूडिशियल कस्टडी से फरार होकर जेल नहीं जाकर ये पुलिस कस्टडी में रहे। आज अधिकारियों के साथ पेश हुए, क्षमा याचना की। हमने उसका विरोध किया। कोर्ट ने केस दर्ज कर जेल भेजने का आदेश दिया है।
रिपोर्ट – असगर