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अयोध्या के इस तपस्वी छावनी मठ को लेकर क्यों छिड़ी है साधुओं में जंग? जानिए असली कहानी

अयोध्या : अयोध्या की तपस्वी छावनी मठ की महंती को लेकर जो विवाद चल रहा है। वह वास्तव में त्यागी संन्यासियों की महत्वपूर्ण उद्गम स्थल के तौर पर जाना जाता है। जहां के कार्यक्रमों में देश के कोने-कोने से त्यागी तपस्वी आते रहे हैं। इस 400 साल पुराने मठ में अपनी अलग ही शैली के संन्यासी रहते हैं, जो अल्प वस्त्र धारण कर भभूति तिलक आदि लगाकर चलते हैं। इनकी भक्ति शैली भी त्यागी परंपरा के मुताबिक होती है। इस मठ में त्यागी संन्यासियों के अलावा विद्यार्थी भी रहकर शिक्षा ग्रहण करते हैं।

यहां के महंत रहे सर्वेश्वर दास इस परंपरा के त्यागी संत थे। जिनके निधन के बाद से ही इसकी महंती को लेकर दो गुटों में विवाद चल रहा है। एक गुट को जहां दिगंबर अखाड़ा के संतों के अन्य प्रतिष्ठित मठ मंदिरों का समर्थन मिला हुआ है। वहीं दूसरे गुट के परमहंसदास को हनुमान गढ़ी के नागा साधुओं ने समर्थन देकर उनको ही महंत बनाने की पैरवी कर रहे हैं।

महंत परम दास का क्या है दावा?
महंत परम दास का दावा है कि 2017 में ही छावनी के महंत सर्वेश्वर दास ने उन्हें महंती की लिखा पढ़ी में जिम्मेदारी सौंपी थीं। इस लिए उनके निधन के बाद उनका ही यहां की महंती का हक बनता है। जबकि उनके विरोधी गुट ने जगन्नाथ मंदिर के दिलीप दास को तपस्वी छावनी का महंत नामित कर दिया है। यह निर्णय सर्वसम्मति से दिवंगत महंत सर्वेश्वर दास द्वारा गठित ट्रस्ट ने लिया है। संतों ने बताया कि परमहंसदास की उलूल जुलूल हरकतों के चलते महंत सर्वेश्वर दास ने उन्हें 2019 में महंती के दायित्व से हटा कर मंदिर के संचालन के लिए ट्रस्ट का गठन किया था। हिंदू राष्ट्र घोषित करने को लेकर परमहंस के मनमानी कृत्यों पर उनके खिलाफ पुलिस में केस भी दर्ज हैं। इस बीच उन्होंने महंती से इस्तीफा देकर अयोध्या छोड़ने का ऐलान किया था। जिससे अब उनकी महंती का दावा निराधार है। लेकिन विधिक तौर पर अब महंत कौन होगा? इसको लेकर कवायद चल रही है।

असली झगड़ा प्रॉपर्टी को लेकर
बताया गया कि मंदिर की महंती के पीछे तपस्वी छावनी मंदिर की करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा बनाने को लेकर है। चूंकि मंदिर का महंत ही इसकी प्रापर्टी का मुख्य संरक्षक रहता है, इसलिए महंती को लेकर अयोध्या में हिंसक वारदातें भी होती रहती हैं। बताया गया कि तपस्वी छावनी के पास गोंडा अयोध्या और अन्य जिलों में करीब 500 बीघा जमीन भी है। जिसकी कीमत अयोध्या के विकास के साथ बहुत बढ़ गई है। मंदिर की 5 एकड़ जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करने की भी कोशिश हो चुकी है। अब महंती को लेकर दोनों गुटों ने कमर कस रखी है। दोनों गुटों के महंती के दावेदारों के 12 सितंबर को होने जा रहे महंती के चादर कंठी भंडारे के कार्यक्रम को लेकर टकराव की आशंका के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी पुलिस कर रही है।
रिपोर्ट-वीएन दास