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जज्बे को सलाम: मुफलिसी से लड़कर बेटे को तालीम दिलाई, कोलंबिया यूनिवर्सिटी करेगी जाफरी बेगम का सम्मान

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गोद में एक साल का बच्चा, पति का निधन और बड़े परिवार के भरण-पोषण के लिए सिर्फ एक बीघा जमीन। ऐसे में जब कोई मां ठान ले कि मुफलिसी से लड़ने के लिए अपने बच्चों की तालीम को हथियार बनाएगी, तब समाज को जाफरी बेगम जैसी अद्भुत जज्बे वाली शख्सियत मिलती है। दरअसल, यूपी के जिले लखीमपुर खीरी के छोटे से गांव गौरिया में रहने वाली महज पांचवीं पास जाफरी बेगम को अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने साल 2022 के लिए प्रतिष्ठित ‘प्रेसिडेंशियल गोल्डन हार्ट अवार्ड’ से नवाजने का फैसला किया है। अवार्ड कमेटी के चेयरमैन ने उन्हें मई-2023 में न्यूयार्क में होने वाले विश्वविद्यालय के 269वें सत्र के शुभारंभ समारोह में शामिल होने और सम्मान ग्रहण करने का न्योता भी भेज दिया है।

अवार्ड कमेटी जब इस साल विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों से आए करीब 3200 आवेदनों को परख रही थी, तब उनकी नजर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के एक गांव के पते वाले छात्र मुनीर खान की मां के ब्योरे पर ठहर गई। मुनीर कोलंबिया यूनिवर्सिटी के फू फाउंडेशन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के ग्रेजुएट हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित माइक्रोइलेक्ट्रानिक्स में रिसर्च असिस्टेंट हैं। वह पिछले दो सेमेस्टर से लगातार विश्वविद्यालय में टॉप कर रहे हैं। अवार्ड कमेटी ने मुनीर की मां का ब्योरा पढ़ते समय उनके जीवन संघर्ष के साथ ही अपने बेटे की तालीम के लिए किए गए प्रयासों को खास तवज्जो दी। अवार्ड की घोषणा 6 सितंबर को की गई थी। इस बाबत जाफरी बेगम (64 वर्ष) को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि आपको यह सम्मान अपने बेटे के पालन (पैरेंटिंग) और उसको बड़े लक्ष्य के लिए तैयार करने (मेंटरिंग) के लिए दिया जा रहा है। उनको गर्व है कि आपके अच्छे संस्कारों वाले पालन की वजह से कोलंबिया विश्वविद्यालय को मुनीर खान जैसा नोबल ग्रैजुएट स्टूडेंट मिला है।

गांव गौरिया के प्राइमरी स्कूल से प्रारंभिक पढ़ाई करने वाले मुनीर खान इस समय कोलंबिया यूनिवर्सिटी में शोधकार्य कर रहे हैं। मां के लिए अवार्ड घोषित होने के बाद शुक्रवार देर रात से फोन पर बातचीत में मुनीर ने बताया कि जब पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें यंग साइंटिस्ट अवार्ड से नवाजा था, तब उन्होंने उनकी माता की प्रशंसा करते हुए तालीम को लेकर उनके जुनून को सराहा था। मां ने मुनीर को सिखाया है कि सफलता चाहे जितनी ऊंचाई दे, लेकिन जमीन हमेशा पकड़े रखना इसीलिए वह सरकार के विद्याजंलि प्रोग्राम के माध्यम से देश के युवाओं को दिशा दिखा रहे हैं। इसके अलावा वह टेक्नो हब लैब के माध्यम से छात्रों से संवाद करते हैं। अपने खर्च पर वह गांव के स्कूल में लाइब्रेरी शुरू कर रहे हैं और जल्द ही सरकारी स्कूल के बच्चों को प्रोफेशनल कोर्सेज में दाखिले के बारे में जागरूक करने के लिए खास प्रोग्राम बनाने वाले हैं।

गोद में एक साल का बच्चा, पति का निधन और बड़े परिवार के भरण-पोषण के लिए सिर्फ एक बीघा जमीन। ऐसे में जब कोई मां ठान ले कि मुफलिसी से लड़ने के लिए अपने बच्चों की तालीम को हथियार बनाएगी, तब समाज को जाफरी बेगम जैसी अद्भुत जज्बे वाली शख्सियत मिलती है। दरअसल, यूपी के जिले लखीमपुर खीरी के छोटे से गांव गौरिया में रहने वाली महज पांचवीं पास जाफरी बेगम को अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने साल 2022 के लिए प्रतिष्ठित ‘प्रेसिडेंशियल गोल्डन हार्ट अवार्ड’ से नवाजने का फैसला किया है। अवार्ड कमेटी के चेयरमैन ने उन्हें मई-2023 में न्यूयार्क में होने वाले विश्वविद्यालय के 269वें सत्र के शुभारंभ समारोह में शामिल होने और सम्मान ग्रहण करने का न्योता भी भेज दिया है।