Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Allahabad HC: 35 पुलिसवालों के खिलाफ CBI जांच के आदेश, दलित परिवार के खिलाफ दर्ज की थी झूठी FIR

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट (allahabad high court) ने मथुरा जिले में एक दलित परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने के केस में 35 पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीबीआई जांच (cbi probe against 35 policemen) के आदेश दिए हैं। जस्टिस न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वाइज मियां की पीठ ने सुमित कुमार और पुनीत कुमार की एक रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने फिरोजाबाद के रसूलपुर थाने में 24 मार्च, 2022 को दर्ज प्राथमिकी रद्द करने और इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया था।

याचिका में आरोप है कि मथुरा जिले के पुलिस अधिकारियों ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ढेरों फर्जी और झूठे मामले दर्ज किए हैं। ऐसा इसलिए किया गया जिससे वे पूर्व के मामलों में समझौता करने के लिए उन पर दबाव बना सकें। 6 सितंबर को पारित आदेश में अदालत ने कहा, ‘यह प्रत्यक्ष है कि मथुरा जिला के पुलिसकर्मी याचिकाकर्ता के परिजनों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने में कामयाब रहे जिसे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग और अनुसूचित जाति आयोग ने संज्ञान में लिया।’

4 अक्‍टूबर 2013 की है घटना
प्रेम सिंह नाम के एक व्यक्ति ने एक दूसरे व्यक्ति के साथ मिलकर 4 अक्टूबर, 2013 को पुनीत कुमार को जान से मारने का प्रयास किया। इस घटना के बारे में पुनीत की मां माया देवी ने पुलिस को शिकायत की। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय पुनीत के भाई सुमित कुमार के खिलाफ झूठा मुकदमा लिख दिया।

पुलिस ने दर्ज किया झूठा मामला
इसके बाद, माया देवी ने अदालत का रुख किया जिसके आदेश पर चार अक्टूबर, 2013 की घटना का एफआईआर मथुरा के हाईवे पुलिस थाना में दर्ज किया गया। हालांकि इसी थाने की पुलिस ने आरोपी के साथ मिलीभगत कर याचिकाकर्ताओं और उनकी मां के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 504, 506, 452, 354 के तहत झूठा मामला दर्ज कर लिया।

मानवाधिकार पहुंची माया देवी
पुलिस के इस आचरण से दुखी होकर माया देवी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क किया और आयोग के निर्देश पर हाईवे थाना के एसएचओ सुरेंद्र सिंह यादव और उप निरीक्षक नेत्रपाल सिंह के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया। आरोप है कि 10 जनवरी, 2018 को पुलिस की एसओजी टीम ने पुनीत कुमार और एक आटो ड्राइवर को हिरासत में ले लिया और बाद में उन्हें छोड़ दिया।

याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, लखनऊ से संपर्क किया और आयोग ने विशेष जांच प्रकोष्ठ को जांच का आदेश दिया। अपर पुलिस अधीक्षक (विशेष जांच) प्रेम सिंह ने छह सितंबर, 2021 को जांच रिपोर्ट पेश की जिसमें नामजद पुलिसकर्मियों को प्रथम दृष्टया पुनीत कुमार को अवैध रूप से हिरासत में लेने, उन्हें झूठे मामलों में फंसाने और फर्जी आरोप पत्र दाखिल करने में लिप्त पाया गया।

अदालत ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) को अपराध संख्या 108/2022 की जांच सीबीआई को हस्तांतरित करने का निर्देश दिया और जांच एजेंसी को मामला दर्ज कर जांच करने के लिये कहा। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख नौ नवंबर, 2022 तय करते हुए सीबीआई को इस मामले में जांच की प्रगति से अदालत को अवगत कराने को कहा।