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Editorial: शांत और समृद्ध हो रहा है भारत का पूर्वोत्तर भाग

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15-9-2022

देश का एक हिस्सा ऐसा रहा है जिसे हमेशा से ही अलग नजरों से देखा जाता रहा हैं। देश की आजादी के दशकों बाद भी पूर्वोत्तर देश में ही अलग-थलग पड़ा रहा। लंबे समय तक पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्य स्वयं को भारत का ही हिस्सा नहीं मान पाए थे। कारण है दशकों से इनके साथ चला आ रहा भेदभाव। हालांकि फिर देश की सत्ता में बड़ा परिवर्तन हुआ और “सबका साथ, सबका विकास” का मंत्र लेकर मोदी सरकार सत्ता में आयी और पूर्वोत्तर का पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया।

देखा जाए तो ऐसे कई कार्य थे जो कुछ वर्षों पहले तक असंभव से लगते थे परंतु मोदी सरकार तो “असंभव कार्यों को संभव” करने के लिए ही जानी जाती है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण से लेकर कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त करने जैसे कई असंभव कार्यों को संभव कर दिखाया। अब मोदी सरकार का प्रयास शांत और समृद्ध पूर्वोत्तर बनाने की है।

इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने विभिन्न नगा समूहों के राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की। नगालैंड के मुख्यमंत्री नीफियू रियो के नेतृत्व में हुई बैठक में कई मुद्दों को लेकर चर्चाएं की गयीं। पिछले कई वर्षों से नगा समूहों के साथ बातचीत का सिलसिला जारी है, परंतु इस पर अभी तक कोई सफल नतीजा नहीं निकल पाया। जिस कारण नगा समूहों के साथ ही वहां के राजनेताओं में भी अधीरता बढ़ रही है।

जानकारी के अनुसार बैठक में नगा समूह के प्रतिनिधिमंडल ने नगालैंड के राजनीतिक मुद्दों को जल्द सुलझाने की मांग की है। इस दौरान सरकार की तरफ से भी आश्वासन दिया गया कि इस संबंध में बातचीत जारी है और निकट भविष्य में इसका सकारात्मक हल निश्चित रूप से निकलेगा। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार केंद्र सरकार एनएससीएन-आईएम जैसे नगा समूहों से चल रही वार्ता के माध्यम से कई जटिल मुद्दों का समाधान इस प्रकार निकालने के प्रयासों में जुटी है, जिससे सभी पक्ष संतुष्ट रहे। प्रवक्ता ने बताया कि नगा मुद्दे पर बातचीत में गत कई सालों में प्रगति हुई है, क्योंकि वार्ता जारी है।

पिछली सरकारों ने पूर्वोत्तर के साथ अनाथों जैसा व्यवहार किया। विकास तो दूर की बात रही, पूर्वोत्तर जब भी कभी खबरों में आता था तो हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर ही आता था। हालांकि फिर मोदी सरकार ने इस खाई को मिटाया और पूर्वोत्तर को भारत की मुख्यधारा का हिस्सा बनाने पर तेजी से काम किया। आज के समय में देखा जाए तो पूर्वोत्तर किसी भी मामले में पीछे नजर नहीं आता।

पूर्वोत्तर में अब उग्रवाद का अंत निकट आता दिख रहा है और यह क्षेत्र शांति की ओर अग्रसर है। विद्रोही समूहों के सरकार के साथ लगातार शांति वार्ता के कारण पूर्वोत्तर में उग्रवाद में भारी कमी देखने को मिल रही है। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में अहम समूह एनएससीएन-आईएम के साथ मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। वर्ष 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा कुछ आंकड़े जारी किए गए थे, जिसके अनुसार साल 2014 के बाद से पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्रोह में कमी देखने को मिली।

केंद्र सरकार पूर्वोत्तर में शांति लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। विवादित अफ्सफा कानून अभी तक पूरी तरह से हटा नहीं है, परंतु मई 2022 में ही गृह मंत्रालय ने नागालैंड, असम और मणिपुर के कुछ इलाकों से अफ्सफा को हटाने का बड़ा निर्णय अवश्य लिया। इससे पहले भी पूर्वोत्तर की कई जगहों से इस विवादित कानून को हटाया जा चुका है।

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (्रस्नस्क्क्र) के तहत देश के अशांत क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को कुछ विशेषाधिकार मिलते हैं। जैसे कि वो संदेह के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं या फिर उन्हें बिना वारंट के ही तलाशी अभियान चलाने की भी शक्ति प्रदान है।

 सुरक्षा बलों पर कई बार इस कानून का गलत तरीके से प्रयोग करने के चलते ्रस्नस्क्क्र विवादों में घिरा रहता है और समय-समय पर इसे हटाने की मांग उठती आयी है

विकास के मामले में ही देख लिया जाए तो आज पूर्वोत्तर रफ्तार पकड़ रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को छोड़कर 2014 से पूर्व सभी सरकारों द्वारा पूर्वोत्तर की पूरी तरह से अनदेखी ही कई। वहीं सत्ता में आने के बाद 8 सालों में नरेंद्र मोदी सरकार ने इस क्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। पिछले आठ वर्षों में अपने कार्यकाल के दौरान 50 बार से अधिक बार पूर्वोत्तर का दौरा करने वाले नरेंद्र मोदी एकमात्र प्रधानमंत्री हैं।

2014-15 में पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए वार्षिक बजट आवंटन 24,819.18 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर 70,874.32 करोड़ हो गया। पिछले आठ वर्षों में इसमें 285त्न से अधिक की वृद्धि की गयी। सरकार ने परिवहन और संचार पर विशेष ध्यान देकर वहां की दशा बदलने का एक सफल प्रयास किया।  ऐसे में जो पूर्वोत्तर कभी हीन भावना, भेदभाव वाली नजरों से देखा जाता रहा था, जहां उग्रवादी घटनाएं अपने चरम पर रहती थीं, वहां अब उग्रवादी घटनाएं भी लगातार तेजी से घटती जा रही हैं। आज पूर्वोत्तर पूरी तरह से बदल गया है।