Ranchi: कांके स्थित केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान में एक राष्ट्रीय सीएमई का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (IPS) झारखंड राज्य शाखा द्वारा IPS स्पेशलिटी सेक्शन ऑन सुसाइड प्रिवेंशन के सहयोग से किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत उद्घाटन समारोह के साथ हुई, जिसमें सीआइपी निदेशक प्रोफेसर डॉ बासुदेब दास, इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (आई.पी.एस) अध्यक्ष डॉ. एन. एन. राजू ने भाग लिया.
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आत्महत्या को लेकर जागरूकता जरूरी
कार्यक्रम में मुख्य रूप से आईपीएस सचिव डॉ. अरबिंद ब्रह्मा और डॉ लक्ष्मी विजयकुमार, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संकाय रॉयल ऑस्ट्रेलियन न्यूज़ीलैंड कॉलेज ऑफ़ साइकियाट्रिस्ट (RANZCP) के अध्यक्ष डॉ विनय लकड़ा और वर्ल्ड साइकियाट्रिक एसोसिएशन (WPA) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हेलेन हेरमैन एओ समारोह में मौजूद रहे. इस मौके पर भारत के 11 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित आत्महत्या रोकथाम पर एक बहुभाषी पुस्तिका का विमोचन किया गया. कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि आत्महत्या की रोकथाम के लिए हमारे प्रयासों में तेजी लाने और समुदाय में आत्महत्या की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है.
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अवसाद के प्रभाव पर चर्चा
वैज्ञानिक सत्र की शुरुआत डॉ हेलेन हेरमैन द्वारा “इनसाइट्स इन द लैंसेट डब्ल्यूपीए कमीशन रिपोर्ट ऑन डिप्रेशन” पर मुख्य भाषण के साथ हुई. आत्महत्या पर अवसाद के प्रभाव पर चर्चा की गई. डॉ रवींद्र मुनोली ने मणिपाल में पेशेवर कॉलेज के छात्रों के बीच आत्महत्या की रोकथाम के अपने प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया. वहीं डॉ लक्ष्मी विजयकुमार ने आत्महत्या की रोकथाम के लिए अपने सामुदायिक हस्तक्षेप पर सदन को अवगत कराया.
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200 से अधिक प्रतिनिधियों और आईपीएस रहे मौजूद
डॉ सुजीत सरखेल ने “द्वारपाल प्रशिक्षण और योग्यता के न्यूनतम मानकों: भारतीय संदर्भ” पर बात की. इसके बाद डॉ विकास मेनन ने “आत्महत्या के प्रयास के लिए हस्तक्षेप: वर्तमान साक्ष्य” पर अपने विचार रखे. डॉ एम अलीम सिद्दीकी ने “सोशल मीडिया के माध्यम से आत्महत्या रोकथाम: आगे का रास्ता” पर व्याख्यान दिया. कार्यक्रम में 200 से अधिक प्रतिनिधियों और आईपीएस झारखंड राज्य शाखा के सदस्यों ने भाग लिया.
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