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किसान बताकर कहीं ज्यादा पेमेंट, कहीं किसानों का नाम ही गायब… गंगा एक्सप्रेस-वे जमीन अधिग्रहण में बड़ा घोटाला

मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘गंगा एक्सप्रेस-वे’ के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए दिए गए मुआवजे में करोड़ों का घोटाला होने का मामला सामने आया है। इसमें किसानों के मालिकाना हक के नाम पर खेल किया गया। कई लोगों को असली किसान बताकर उनकी भूमि को तय मुआवजे से अधिक पेमेंट कर दिया और कई किसानों के नाम मुआवजे की लिस्ट से गायब कर दिए। चकबंदी विभाग ने रिकॉर्ड से हेराफेरी भी की।

शिकायत पर जांच कराने के बाद संभल के डीएम मनीष बंसल ने बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी (एसओसी) को सस्पेंड करने की सिफारिश शासन से की है। जांच में कई अन्य अफसरों की मिलीभगत सामने आने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई को लिखा है। मेरठ से शुरू होने वाले गंगा एक्सप्रेस वे संभल से भी होकर गुजरेगा। राज्य सरकार ने सर्किल रेट के चार गुना अधिक रेट पर किसानों से जमीन ली है। इसको लेकर अफसरों ने बड़ा खेल किया। संभल में चकबंदी के पुराने मामलों की अपीलों को निपटाने के बहाने बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी ने नियम विरुद्ध आदेश कर डाले।

एक प्रशासनिक अधिकारी के मुताबिक डीएम संभल की तरफ से गठित की गई जांच कमेटी ने मझोला गांव की निवासी पूनम पत्नी अवधेश के रिकॉर्ड में गड़बड़ी पकड़ी गई। उसे निर्भारित से डेढ़ गुना मुआवजा अदा दिया गया। इस अफसर के मुताबिक उदहारण के तौर पर जांच में सामने आया कि एक केस में पूनम के नाम 0.126 हेक्टेयर जमीन थी, लेकिन यूपीडा के पक्ष में उनसे 0.187 हेक्टेयर भूमि की रजिस्ट्री कराई गई। इससे लाखों रुपये का सरकार को नुकसान हुआ।

चंदौसी के राजपाल पुत्र सुखाड़ी की जमीन खरीदी गई लेकिन पेमेंट किसी अन्य को किया गया। चकबंदी विभाग ने अपने रिकॉर्ड में राजपाल का नाम ही दर्ज नहीं किया। ऐसे कई मामले सामने आए हैं। ऐसी कई शिकायतों की बाबत संभल के लोगों ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल कर रखी हैं। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक जांच टीम की रिपोर्ट के बाद डीएम ने प्रमुख सचिव राजस्व को बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के निलंबित करने की संस्तुति की है। तीन अन्य दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उनके विभाग के अध्यक्षों को पत्र भेजा भेजा है।