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चीनी मिल गेट पर गन्ना कृषकों की सुविधा तथामिल यार्ड के कुशल प्रबन्धन के लिये आयुक्त, गन्ना एवं चीनी ने जारी किये निर्देश

गन्ना किसानों के हितों के प्रति सजग मा. मंत्री चीनी उद्योग एंव गन्ना विकास विभाग श्री लक्ष्मी नारायण चौधरी द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एंव चीनी श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वाराचीनी मिल गेट परगन्ना लेकर आने वाले किसानों की सुविधा के दृष्टिगत चीनी मिल यार्ड के कुशल प्रबन्धन एवं अन्यमूलभूत सुविधाओं की समुचित व्यवस्था कराने के निर्देश प्रदेश की समस्त चीनी मिलों के प्रबन्धन एवं विभागीय अधिकारियों को जारी किये गये है।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये आयुक्त, गन्ना एवं चीनी द्वारा बताया गया कि चीनी मिलों द्वारा किसानों से गन्ना खरीद, मिल गेट एवं वाह्य गन्ना क्रयकेन्द्रों के माध्यम से की जाती है। वाह्य क्रयकेन्द्रों पर सूर्याेदय से सूर्यास्त तक तथा मिल गेट पर लगातार गन्ना खरीद चलती रहती है। उन्होंने बताया कि गन्ना कृषकों से गन्ना खरीद की व्यवस्था को सुगम बनाने हेतु समस्त चीनी मिलों के प्रबन्धन को निर्देश दिये गये है कि मिलों का यार्ड प्रबन्धन इस प्रकार किया जाये जिससे गन्ना कृषक कम से कम समय में अपने गन्ने की तौल मिल गेट तथा वाह्य क्रयकेन्द्रों पर सुगमता से करा सकें एवं उन्हें मौसम की प्रतिकूलताओं का सामना भी न करना पड़े।
श्री भूसरेड्डी द्वारा यह भी बताया गया कि चीनी मिलों के यार्डो में समस्त मूलभूत आवश्यकताओं का समुचित प्रबन्धन होना आवश्यक है, जिससे एक आदर्श यार्ड प्रबन्धन की व्यवस्था को प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जा सके। उन्होंने बताया कि आगामी पेराई सत्र में चीनी मिलों के संचालन से पूर्व मिलों के यार्ड में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, कृषकों के विश्राम के लिये छायाशेड, बैठने के लिये कुर्सियां, मिल की साफ-सफाई, प्रकाश की व्यवस्था एवं यार्डो की सड़कों को गड्ढा मुक्त कराने आदि के निर्देश भी चीनी मिल प्रबन्धन को दिये गये हैं।
   परिक्षेत्रीय अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है कि वह गन्ना कृषकों को चीनी मिल गेट पर मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं का औचक निरीक्षण करें तथा यदि कोई कमी पाई जाती है तो उसे मिल संचालन से पूर्व पूर्ण करा लें। पेराई सत्र प्रारम्भ होने के पश्चात् यार्ड का औचक निरीक्षण करते हुए गन्ना आपूर्तिकर्ता कृषकों से फीडबैक भी प्राप्त करें, जिससे गन्ना कृषकों को कोई व्यवहारिक समस्या आ रही है तो उसका तत्परता से निराकरण कराया जा सके।