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Good News: कन्‍या सुमंगला योजना ने बेटियों को बनाया आत्‍मनिर्भर, इस साल विद्या के प्रकाश में मनाएंगी नवरात्रि

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लखनऊ: मंजू बुलंदशहर के हीरापुर गांव की रहने वाली है। वह आर्थिक मजबूरियों की वजह से आगे नहीं पढ़ पा रही थी। लेकिन उसने भी ठान रखा था कि वह किसी भी हाल में हिम्‍मत नहीं हारेगी। वह कहती हैं, इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद मैने बहुत से विकल्‍पों पर विचार किया और राज्‍य सरकार की कन्‍या सुमंगला योजना (Kanya Sumangala Yojana) के लिए अप्‍लाई कर दिया।’ मंजू खुश होकर कहती है, ‘जल्‍द ही मेरे बैंक अकाउंट में 5 हजार रुपये आ गए।’

मंजू का कहना है, ‘आज बेटियां बोझ नहीं हैं। वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं और राष्‍ट्र निर्माण में योगदान भी दे सकती हैं। मैं इस साल की नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। यह पर्व आखिर महिला शक्ति का ही पर्व तो है।’

‘बेटी को पढ़ाना सपने जैसा था’
महोबा जिले के चरखारी ब्‍लॉक के कामता प्रसाद दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्‍होंने और उनकी पत्‍नी सुमित्रा ने कभी सोचा भी न था कि उनकी बेटी खुशबू किसी दिन स्‍कूल जाएगी। लेकिन एक दिन आशा वर्कर ने उनसे मुलाकात की और उन्‍हें सुमंगला योजना के बारे में बताया।

कामता कहते हैं, ‘उस दिन मुझे लगा कि मां दुर्गा ने हमारी प्रर्थानाएं सुन लीं। जैसे ही मुझे सरकारी योजना का पता चला मैंने अपनी बेटी का रजिस्‍ट्रेशन करा दिया। इसके बाद 19 दिसंबर 2019 को मेरी पत्‍नी के बैंक अकाउंट में 2000 रुपये की पहल किश्‍त मिली। अब मुझे लग रहा है कि मेरी बेटी का भविष्‍य सुरक्षित है। यह नवरात्रि हमारे लिए अलग है।’

14 लाख लाभार्थी हैं इस समय
मंजू और खुशबू कन्‍या सुमंगला योजना के 14 लाख लाभार्थियों में से एक हैं, जिन्‍हें पढ़ाई के लिए सरकारी मदद मिली है। यह योजना साल 2019 में शुरू हुई थी। यह योजना लिंगानुपात का संतुलन बनाने और लड़कियों को आत्‍मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका अदा करती है। अब तक 13.67 लाख कन्‍याओं के खाते में पैसा भेजा जा चुका है।

इसके मिल रहे हैं सकारात्‍मक परिणाम
महिला कल्‍याण और बाल विकास विभाग के निदेशक मनोज राय का कहना है कि इस पहल के सकारात्‍मक परिणाम मिले हैं। इसकी वजह से स्‍कूलों में लड़कियों का रजिस्‍ट्रेशन बढ़ा है। इसके अलावा लिंगानुपात में भी काफी सुधार हुआ है। सरकार ने इस योजना के लिए सालाना 1200 करोड़ रुपयों की व्‍यवस्‍था की है। इस योजना के तहत लाभार्थी कन्‍या को 15 वर्ष की होते-होते 15 हजार रुपये मिलने हैं।