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लाल बहादुर शास्त्री जन्मदिन: ‘युद्ध कोई हल नहीं…बांटने वाला हमारा सच्चा दोस्त नहीं’

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लखनऊ: आज 2 अक्टूबर है, आपके दिमाग में गांधी जी की ही छवि आ रही होगी, लेकिन आज एक और महापुरुष का जन्मदिन, जो अपनी सादगी और सौम्यता के लिए हमेशा याद किए जाते हैं। जिनकी एक आवाज पर पूरे देश ने एक समय का भोजन त्याग उनके साथ खड़ा हो गया है। हम बात कर रहे हैं, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बारे में। यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में दिया गया उनका भाषण इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में आज भी दर्ज है। ये वो भाषण था, जब चीन युद्ध खत्म ही हुआ था और शास्त्री जी एएमयू में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे।

एएमयू के सालाना समारोह में 19 दिसंबर 1964 को बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे शास्त्री जी
भविष्य में आपका मुकाम जो भी हो, आप सबको खुद को सबसे पहले देश का नागरिक मानना चाहिए। इससे आपको संविधान के मुताबिक निश्चित अधिकार मिलेंगे, लेकिन अधिकारों के साथ जो कर्तव्य भी आपके हिस्से आएंगे, उन्हें भी ठीक से समझ लेना चाहिए। हमारे लोकतंत्र में आजादी की शर्त समाज के हित में कुछ कर्तव्यों के साथ जुड़ी हुए है। एक अच्छा नागरिक वह है, जो कानून का पालन करे, तब भी जब भी कोई पुलिसकर्मी मौजूद न हो। पहले जमाने आत्मसंयम और अनुशासन परिवार व शिक्षकों से मिलता था, लेकिन वर्तमान के आर्थिक तंगी वाले जीवन में अब ये मुमकिन नहीं रहा, चूंकि शैक्षणिक संस्थानों में भी संख्या बढ़ती जा रही है, इसलिए शिक्षक और शिष्य के बीच व्यक्तिगत संपर्क की गुंजाइश कम हो गई है।

आप ये कभी न भूलें कि देश के लिए वफादारी आपकी किसी भी वफादारी से पहले है। हमेशा याद रखिए कि पूरा देश एक है और जो भी बांटने या अलगाव की बाते, वो हमारा सच्चा दोस्त नहीं है। एक लोकतांत्रिक देश किसी एक के नहीं, बल्कि सहयोग के आधार पर सभी के प्रयासों से महान बन सकता है। देश का भविष्य आपके हाथों में है। अगर आप नागरिक के तौर पर सही होंगे तो देश का भविष्य सुनहरा होगा। हमारी जिम्मेदारी जो भी हो, काम जो भी हो, हम उसे पूरी ईमानदारी और काबिलियत से करने का नजरिया अपनाएं, यह युवा नागरिकों की महती भूमिका है।

भारत में हमारी अपनी अलग समस्याएं हैं। हमारा लक्ष्य हर भारतीय की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना और आजादी से जीवन जीने का अवसर देना है। एक ऐसा लोकतांत्रिक समाज, जहां सबके लिए एक समान स्थान हो, समान सम्मान हो और सेवा व तरक्की के लिए समान अवसर हो, हम भेदभाव और छूआछत मिटा सकें। युद्ध और संघषों से किसी कीमत पर कोई हल नहीं निकलता है, बल्कि समस्या और बढ़ती ही हैं। न्यक्लियर और थर्मोन्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिक ने महत्वपूर्ण उपलब्धियों हासिल की है। अब हमें सोचना है कि हम इनका इस्तेमाल रचनात्म ढंग से करें या विध्वंस के लिए। आर्थिक असमानता की गहरी खाईं को पाटना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। हम नहीं चाहते कि सारी पूंजी कुछ हाथों में केंद्रित हो जाए। सदियों की हमारी महान सांस्कृतिक धरोहर किसी एक समुदाय की नहीं है, बल्कि इतिहास में जितने महान लोग यहां रहे हैं, उन सबके साक्षा योगदान का नाम हमारी संस्कृति है। मैंने यहां जितने लक्ष्य बताए हैं, उन्हें हासिल करना मामूली बात नहीं है। मुझे पता है कि इनमे से अभी हम कुछ ही हासिल कर सके हैं, लेकिन जब तक पूरी सफलता न मिले, तब तक दृढ़ संकल्पित रहना है।

(एएमयू में दिए गए भाषण का कुछ अंश है)