लखनऊ: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा इस बार लखनऊ के तमाम मुस्लिम कारीगरों को निराश कर गया। इस पर्व पर रावण तैयार करके अपनी आर्थिक स्थिति में थोड़ी सुधार की उम्मीद रखने वाले इन कारीगरों को 5 अक्टूबर की बारिश से बड़ा नुकसान हुआ है। लखनऊ की पॉलीटेक्निक बांस मंडी के करीब 20 से 25 दुकानदार और उनके कारीगर पूरी साल इस पर्व का इंतजार करते हैं। उनका कहना है कि इस पर्व पर हमें रावण तैयार करने के लिए जो आर्डर मिलते थे वह काम इस बार की बारिश से पूरी तरह चौपट हो गया।
एक टाल पर बैठे बीस साल के अजमल ने हमें बताया कि वो इस मंडी में दिहाड़ी के हिसाब से मजदूरी करते हैं। अपने कई साथियों की तरह अजमल ने भी खुद से रुपए लगाकर 25 से 30 रावण के पीस तैयार किए थे। लेकिन बारिश के कारण उनके तमाम पीस बिके ही नहीं। उनका कहना है कि इससे उन्हें करीब 8 से 10 हजार रुपए का नुकसान हुआ है।
मड़ी के एक हिस्से में हमें कई कारीगर बैठे मिले। उन्होंने बताया कि बारिश के कारण, कई दुकानदारों और कारीगरों का पैसा डूब गया। उनकी महनत तक वसूल नहीं हो सकी। बातचीत के दौरान वहीं पास में बैठे एक बृद्ध कारीगर ने हाथ उठाकर इशारा करते हुए कहा वो देखों वहां वो रावण तैयार किया हुआ गल गया है…. कोई लेने तक नहीं आया।
आगे चलकर हमारी बात आरिफ अंसारी से हुई। आरिफ दुकानदार हैं, उन्होंने भी दशहरा के पर्व पर हर बार की तरह इस बार भी आर्डर लिए थे। इस बार उन्होंने 20 से 25 फीट के रावण भी तैयार किए थे। आरिफ ने बताया कि एक रावण की कीमत 3500 से 5हजार और 7 हजार तक थी। आरिफ ने बताया कि मंडी में 25-25 हजार के भी रावण तैयार किए गए थे। लेकिन बारिश ने खेल खराब कर दिया। लोगों का मेहनताना तक नहीं निकला।
आरिफ ने महंगाई को लेकर कहा कि इस्तेमाल में आने वाला वांस जो पिछली साल 120 रुपए का था वो अब 250 रुपए का हो गया। तार…80 रुपए किलो था वो 150 रुपए किलो हो गया। आरिफ ने बताया कि मजदूर की दिहाड़ी 700 रुपए थी, उसकी दिहाड़ी भी नहीं निकली। जिस दिन बिक्री होनी थी, उस दिन बारिश हो गई। आरिफ ने बताया हमने जब आर्डर वालों को रावण ले जाने को कहा तो उन्होंने कहा अब हम क्या करेंगे….। आरिफ बताते हैं आर्डर पार्टियों ने बयाना के रुपयों से ही संतोष करने को कहा…आरिफ के मुताबिक उनका लगभग 25 हजार का नुकसान हुआ है।
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