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रेलवे सॉफ्टवेयर किया हैक, ई-टिकट में हो रहा था खेल, जानकारी मिलते ही उड़े रेल अधिकारियों के होश

आगरा रेल मंडल के भरतपुर में रेलवे के सॉफ्टवेयर में एक युवक ने सेंध लगा दी। त्योहारी सीजन में ट्रेनों में पूरे माह सीट मिलना मुश्किल है। ऐसे में आरोपी तत्काल कोटे में टिकट दिला रहा था। इतना ही नहीं आरोपी ने रेलवे के सॉफ्टवेयर को कॉपी करके बेचना शुरू कर दिया था। आरपीएफ के क्राइम प्रिवेंशन एंड डिटेक्टिव स्क्वैड ने रेलवे के ई-टिकट के सॉफ्टवेयर की खरीद-फरोख्त करने वाले इस युवक को दबोच लिया है। उसके पास से 33 ई-टिकट बरामद किए गए हैं। इनमें से पांच ई-टिकट भविष्य की यात्रा के हैं। आरोपी को भरतपुर आरपीएफ ने जेल भेजा है।

आरपीएफ के सीपीडीएस व सीआईबी की टीमें तत्काल कोटे के फर्जी टिकट बनाने वाले शातिर की खोजबीन में लगी थीं। टीम प्रभारी एसआई देवेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि अछनेरा थाने की खेड़ली चौकी के पास भरतपुर से ई-टिकटों की कालाबाजारी करने वाले नदबई, भरतपुर निवासी गौतम सिंह को पकड़ा। गौतम रेलवे के ई-टिकटों के साथ सॉफ्टवेयर खरीदकर 14 टेलीग्राम ग्रुपों से जुड़कर व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बतौर एडमिन उन्हें संचालित करता था।

इसके बाद वह ग्रुप में तत्काल कोटे के ई-टिकट बनाकर बेचता था। उसके साथ इस कार्य में उमेश नामक साफ्टवेयर इंजीनियर भी शामिल है। उमेश बिहार का है। उमेश के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी है। गौतम भी टिकट की कालाबाजारी के लिए अक्सर मुंबई या बंगलूरू में रहता था। उसके मोबाइल पर 32 ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप मिले हैं, जिनकी मार्फत वह ई-टिकटों की कालाबाजारी कर रहा था। एक टिकट से 600 से 700 रुपये तक वसूलता था।

एडिट ई-टिकटों से कर रहा था धोखाधड़ी
आरपीएफ ने बताया कि आरोपी के पास 69260 रुपये के ई-टिकट मिले हैं। वह ई-टिकटों को एडिट करके एक ही पीएनआर नंबर पर कई लोगों को अलग-अलग नाम से टिकट बेच देता था। यात्री जब अपनी सीट पर पहुंचता था तब उसे टीटी चार्ट दिखाकर एडिट टिकट के बारे में बताते थे। इस तरह के सात टिकट मिले हैं। त्योहार पर ई-टिकट और तत्काल कोटे पर टीमें निगरानी कर रही हैं।

आगरा रेल मंडल के भरतपुर में रेलवे के सॉफ्टवेयर में एक युवक ने सेंध लगा दी। त्योहारी सीजन में ट्रेनों में पूरे माह सीट मिलना मुश्किल है। ऐसे में आरोपी तत्काल कोटे में टिकट दिला रहा था। इतना ही नहीं आरोपी ने रेलवे के सॉफ्टवेयर को कॉपी करके बेचना शुरू कर दिया था। आरपीएफ के क्राइम प्रिवेंशन एंड डिटेक्टिव स्क्वैड ने रेलवे के ई-टिकट के सॉफ्टवेयर की खरीद-फरोख्त करने वाले इस युवक को दबोच लिया है। उसके पास से 33 ई-टिकट बरामद किए गए हैं। इनमें से पांच ई-टिकट भविष्य की यात्रा के हैं। आरोपी को भरतपुर आरपीएफ ने जेल भेजा है।

आरपीएफ के सीपीडीएस व सीआईबी की टीमें तत्काल कोटे के फर्जी टिकट बनाने वाले शातिर की खोजबीन में लगी थीं। टीम प्रभारी एसआई देवेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि अछनेरा थाने की खेड़ली चौकी के पास भरतपुर से ई-टिकटों की कालाबाजारी करने वाले नदबई, भरतपुर निवासी गौतम सिंह को पकड़ा। गौतम रेलवे के ई-टिकटों के साथ सॉफ्टवेयर खरीदकर 14 टेलीग्राम ग्रुपों से जुड़कर व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बतौर एडमिन उन्हें संचालित करता था।

इसके बाद वह ग्रुप में तत्काल कोटे के ई-टिकट बनाकर बेचता था। उसके साथ इस कार्य में उमेश नामक साफ्टवेयर इंजीनियर भी शामिल है। उमेश बिहार का है। उमेश के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी है। गौतम भी टिकट की कालाबाजारी के लिए अक्सर मुंबई या बंगलूरू में रहता था। उसके मोबाइल पर 32 ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप मिले हैं, जिनकी मार्फत वह ई-टिकटों की कालाबाजारी कर रहा था। एक टिकट से 600 से 700 रुपये तक वसूलता था।

एडिट ई-टिकटों से कर रहा था धोखाधड़ी
आरपीएफ ने बताया कि आरोपी के पास 69260 रुपये के ई-टिकट मिले हैं। वह ई-टिकटों को एडिट करके एक ही पीएनआर नंबर पर कई लोगों को अलग-अलग नाम से टिकट बेच देता था। यात्री जब अपनी सीट पर पहुंचता था तब उसे टीटी चार्ट दिखाकर एडिट टिकट के बारे में बताते थे। इस तरह के सात टिकट मिले हैं। त्योहार पर ई-टिकट और तत्काल कोटे पर टीमें निगरानी कर रही हैं।