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बदलते दौर के साथ किसानों में जैविक खेती की ओर बढ़ता रुझान

छ.ग. राज्य का आदिवासी बाहुल्य जिला दन्तेवाड़ा भारत और विश्व के नक्शे पर अपनी एक अलग पहचान स्थापित करने जा रहा है। परम्परागत कृषि विकास योजनान्तर्गत वृहद क्षेत्र प्रमाणीकरण से जिले के 110 गांवों में 10264 कृषकों एवं 65279.29 हेक्टेयर क्षेत्र को लाभान्वित किया जाना है। जैविक खेती के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया में रासायनिक खेती से जैविक खेती में रूपान्तरण के लिए कम से कम तीन वर्ष का समय लगता है। भारत के कई हिस्सों में विगत कई वर्षों से कृषि रसायनों एवं संशोधित बीजों का प्रयोग नहीं किया जाता है, तथा किसान परंपरागत विधियों से खेती करते हैं। ऐसे क्षेत्रों के लिए भारत सरकार ने वृहद क्षेत्र प्रमाणीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की है, जिसमें जैविक रूपान्तरण अवधि को कम करते हुए कृषकों को तत्कालिक जैविक प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाता है। जिससे किसान बाजार में अपने उत्पाद का अच्छा मूल्य प्राप्त कर सके।
 जिला दन्तेवाड़ा के 110 ग्रामों में विगत 6 वर्षों से किसानों द्वारा कृषि रसायनों, उर्वरकों, कीटनाशी, संशोधित बीजों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। जिले के ऐसे चिन्हांकित 110 गांवों में किसानों ने ग्राम सभा आयोजित कर जैविक खेती अपनाने का प्रस्ताव पारित किया है। 
उक्त चिन्हांकित क्षेत्र के 65279 हेक्टेयर क्षेत्र में ’वृहद क्षेत्र प्रमाणीकरण’ हेतु छाग. शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। जो इन क्षेत्रों में रूपान्तरण अवधि कम करने के सम्बन्ध में अपनी अनुशंसा प्रदान करेगी। संचालक कृषि के अध्यक्षता में गठित यह समिति 11 अक्टूबर 2022 को चिन्हांकित क्षेत्रों का भ्रमण कर कृषकों से चर्चा करेगी तथा 12 अक्टूबर 2022 को बैठक कर उक्त गांवों में रूपान्तरण कम करने के सम्बन्ध में अपनी अनुशंसा तैयार करेगी। भारत सरकार से जैविक खेती का प्रमाण-पत्र प्राप्त किये जाने हेतु सभी किसानों की जानकारी पोर्टल में इन्द्राज की जा चुकी है। प्रमाणीकरण की इस सरल प्रक्रिया में हर वर्ष जानकारियाँ पुनः इन्द्राज करने की आवश्यकता नहीं होगी एवं बहुत सरल विधि के माध्यम से किसानों को साल दर साल जैविक खेती का प्रमाण-पत्र आसानी से उपलब्ध कराया जा सकेगा। इतने बड़े क्षेत्र में एक साथ प्रमाणीकरण सम्भवतः पहली बार होगा एवं इस ऐतिहासिक प्रयास से जिला दन्तेवाड़ा के किसानों के जीवन में खुशहाली एवं आर्थिक समृद्धि की बयार बहेगी।