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सुप्रीम कोर्ट ने ज्योतिष पीठ के पट्टाभिषेक पर लगाई रोक, अविमुक्तेश्वरानंद बोले- फैसले का कोई असर नहीं

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अभिषेक कुमार झा, वाराणसी: द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का 99 वर्ष की अवस्था मे मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में निधन हो गया । द्वारका पीठ के साथ ही स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ज्योतिष पीठ के भी पीठाधीश्वर थे। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद उनके दो शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सदानंद को ज्योतिष पीठ और द्वारका पीठ का पीठाधीश्वर बनाये जाने की खबर सामने आई ।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के खुद को ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य घोषित करने पर सवाल उठा दिए हैं। दरअसल आज सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करके कहा है कि ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के पद पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक पर रोक लगा दी है।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरथ ने आज एक आदेश जारी करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य पद पर पट्टाभिषेक की कार्रवाई को रोक दिया है । ज्योतिष पीठ पर शंकराचार्य के पद को लेकर ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज और स्वामी वासुदेवानंद महाराज के बीच में कानूनी लड़ाई चल रही है। इस मामले पर 18 अक्टूबर को सुनवाई होनी है।

इसी बीच स्वामी स्वरूपानंद महाराज की मृत्यु हो गई जिसके बाद उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने खुद को ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य घोषित कर दिया । जिसके खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करके उनके शंकराचार्य पद पर अभिषेक पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में स्वामी वासुदेवानंद की तरफ से बद्रिकाश्रम में आयोजित होने वाले पट्टाभिषेक कार्यक्रम पर रोक लगाने की याचिका 14 अक्तूबर को दी थी।

पूरी के शंकराचार्य ने उठाये थे सवाल
पुरी के गोवर्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने बाकायदा ट्वीट कर ज्योतिष पीठ और द्वारका पीठ के शंकराचार्य के तौर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सदानंद के शंकराचार्य घोषित करने पर सवाल उठाए थे। ट्वीट में कहा गया था कि स्वामी स्वरूपानंद ने अपने जीवन मे कभी किसी उत्तराधिकारी की घोषणा नही की है। और स्वामी स्वरूपानंद ने इस बाबत अपने लेटरहेड पर इस बात का खंडन भी किया था।
क्या बोले-स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एनबीटी ऑनलाइन से कहा कि यह फैसला उनके हक में ही है। क्योंकि उनका पट्टाभिषेक श्रृंगेरी मठ और द्वारका मठ के शंकराचार्य की उपस्थिति में पहले ही संपन्न हो चुका है। ऐसे में किसी अन्य के पट्टाभिषेक कार्यक्रम पर रोक लगाई गई है। इस फैसले का मेरे ऊपर कोई असर नहीं डालता। हालांकि स्वासुप्रीम कोर्ट ने ज्योतिष पीठ के पट्टाभिषेक पर लगाई रोक, वासुदेवानंद बोले- कार्यक्रम की नहीं है मान्यतामी अविमुक्तेश्वरानंद इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि पूर्व में उनके द्वारा घोषित पट्टाभिषेक कार्यक्रम कोर्ट की नजर में वैध है या अवैध?

पूर्व के पट्टाभिषेक कार्यक्रम की नहीं है मान्यता- प्रतिनिधि स्वामी वासुदेवानंद
वहीं ज्योतिष पीठ पर अपना दावा ठोंक रहे स्वामी वासुदेवानंद के प्रतिनिधि स्वामी जितेंद्रनंद ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में बताया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने खुद को स्वघोषित किया है, जिसकी कोई वैधता नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट की नजर में पूर्व के किए हुए कार्यक्रम वैध होते तो 17 अक्टूबर के अभिषेक के कार्यक्रम पर रोक लगाने की बात ही सुप्रीम कोर्ट नहीं कहती। 21 सितंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य बनने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी । लेकिन एक हफ्ते बीत जाने के बाद भी जब श्रृंगेरी मठ और भारत धर्म मंडल के एफिडेविट स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नहीं दे पाए तो सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक कार्यक्रम पर रोक लगाई है।