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अतीक अहमद को अच्छे क्यों लगने लगे ‘बुलडोजर बाबा’, सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ के पीछे कहीं ये कारण तो नहीं

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय अतीक अहमद चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। चर्चा इस कारण कि उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर बड़ा बयान दे दिया है। राजू पाल की हत्या के मामले में पेशी पर आए अतीक अहमद की जुबान से यूपी सरकार के लिए फूल झड़ते दिखे। हमेशा भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आक्रामक रुख रखने वाले अतीक अहमद के रुख में आए बदलाव ने हर किसी को चौंका दिया है। इसके पीछे के कारणों को तलाशा जाने लगा है। इसके पीछे का कारण माफिया और राजनीति के बीच बने संबंधों में दरक को बताया जा रहा है। ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ के समर्थन में बयान देकर अतीक अहमद ने उन लोगों को संकेत दे दिया है, जिनके साथ खड़ा होकर माफिया डॉन अपनी स्थिति को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा था।

दरअसल, पिछले कुछ समय में पूर्वांचल के एक बड़े हिस्से में अपनी बादशाहत कायम करने वाले अतीक अहमद के साथ तो छोड़ दीजिए, पीछे भी कोई खड़ा होने को तैयार नहीं दिख रहा है। जब अतीक अहमद का सिक्का चलता था तो शासन से लेकर प्रशासन तक उसके सामने खड़े दिखते थे। लेकिन, योगी सरकार बनने के बाद से लगातार अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। गुजरात के साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद ने यूपी चुनाव 2022 तक काफी हाथ-पांव चलाया। इसके बाद भी किसी दल ने उन्हें चारा तक नहीं डाला।

समाजवादी पार्टी में भी नहीं गली दाल
अतीक अहमद खुद को माफिया के रूप में खुद को स्थापित करने के बाद राजनीति में कदम रखा। पहली बार वर्ष 1989 में इलाहाबाद पश्चिमी सीट से चुनावी मैदान में जीत हासिल की। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वे जीते। इलाहाबाद पश्चिमी सीट से उन्होंने वर्ष 1991 और 1993 के चुनाव में भी जीत हासिल की। इस बीच वे समाजवादी पार्टी के सदस्य बन चुके थे। समाजवादी पार्टी के टिकट पर उन्होंने चौथी बार वर्ष 1996 में इसी सीट से जीत हासिल की। बाद में उनकी सदस्यता चली गई।

वर्ष 2002 में वे अपना दल के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे और पांचवीं बार इलाहाबाद पश्चिमी सीट से जीत हासिल की। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने 2004 में उन्हें फूलपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा। जीत दर्ज कर अतीक अहमद लोकसभा पहुंचे। इसके बाद से अतीक अहमद चुनाव नहीं जीत पाए हैं।

निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने वाले अतीक अहमद ने 1993 में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली। वर्ष 1999 तक इस दल से जुड़े रहे। वर्ष 1999 में समाजवादी पार्टी को छोड़कर अपना दल का दामन थाम लिया। 2003 में वापस समाजवादी पार्टी में लौटे और 2018 तक इसी दल में बने रहे। यूपी चुनाव 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद से सपा ने माफियाओं से किनारा करना शुरू किया।

अतीक अहमद भी छिटके। यूपी चुनाव 2022 को लेकर एक बार फिर सपा से टिकट हासिल करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद सितंबर 2021 में एआईएमआईएम की सदस्यता ली। अब सीएम योगी का गुणगान करते दिख रहे हैं।

लगातार चल रही है कार्रवाई
यूपी में माफियाओं के खिलाफ जारी ऐक्शन की सबसे बड़ी मार अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी पर पड़ी है। योगी सरकार के बुलडोजर मॉडल ने संगठित अपराध पर काफी हद तक काबू पाया है। अतीक अहमद के साथ-साथ उसके गुर्गों पर भी लगातार कार्रवाई हो रही है। संपत्ति सीज किए जा रहे हैं। उसके और उसके गुर्गों के खिलाफ करीब एक हजार करोड़ की संपत्ति को जब्त किया जा चुका है। प्रयागराज से लेकर लखनऊ, गाजीपुर तक कार्रवाई हुई है।

माना जा रहा है कि अतीक अहमद को अब राजनीतिक दलों से नैतिक समर्थन की उम्मीद नहीं दिख रही है। इस कारण सीएम योगी आदित्यनाथ का गुणगान शुरू कर दिया है। इससे भले ही सरकार की ओर से चल रही कार्रवाई से कोई राहत न मिले, लेकिन कभी उनको समर्थन करने वाले दलों में खलबली बढ़नी तय है।

राजू पाल की हत्या केस में तय हुआ आरोप
बसपा विधायक राजू पाल की हत्या केस में अतीक अहमद और भाई अशरफ के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई चल रही है। इस मामले में अपराध तय कर दिया गया है। इसी मामले को लेकर पुलिस वाहन से माफिया डॉन को लखनऊ कोर्ट लाया गया था। मीडिया ने जब उनसे बातचीत शुरू की तो उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ का गुणगान शुरू कर दिया। अतीक अहमद ने कहा कि सीएम योगी ईमानदार और बहादुर हैं। राजू पाल हत्या मामले में अतीक अहमद के खिलाफ आरोप गठित हो गया है। अब अगली सुनवाई का इंतजार है।