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Nikay Chunav: निकाय चुनाव को लेकर मायावती की पदाधिकारियों संग बैठक शुरू, मुस्लिम वोटों पर नजर

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बसपा सुप्रीमो मायावती।
– फोटो : amar ujala

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बसपा सुप्रीमो मायावती लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रही हैं।  उन्होंने पार्टी के सभी मंडल प्रभारियों की बैठक बुलाई है। इसमें बामसेफ और पार्टी के जिलाध्यक्ष भी शामिल हैं।

सभी दल निकाय चुनाव की तैयारियां कर रहे हैं। मायावती भी पार्टी मुख्यालय पर अपने सिपहसालारों के साथ इस पर मंथन करेंगी। निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में बसपा इसमें अपने भविष्य की संभावनाओं को देख रही है।

मायावती कह भी चुकी हैं कि निकाय चुनाव का परिणाम भविष्य के द्वार खोल सकता है। ऐेसे में इस बैठक का उद्देश्य इन्हीं संभावनाओं के लिए है। 

बसपा का ध्यान इस बार मुस्लिम मतदाताओं पर है। पार्टी दलित-मुस्लिम समीकरण साधने के लिए इस निकाय चुनाव में पूरी ताकत लगाएगी। चूंकि विधानसभा चुनाव में तमाम कोशिशों के बावजूद सपा की नैया पार नहीं हो सकी। जबकि मुस्लिमों ने पूरी ताकत के साथ सपा को सपोर्ट किया। ऐसे में बसपा मुस्लिमों को विकल्प देना चाह रही है। यह जताना चाह रही है कि दलितों का बड़ा वोट बैंक उसके पास है। अगर मुस्लिम भी साथ आ गए तो भाजपा को रोका जा सकता है। निकाय चुनाव का परिणाम यह तय कर देगा कि बसपा का यह फॉर्मूला कितना कारगर होगा।

सदस्यता अभियान को दोबारा शुरू करने पर मंथन
बसपा ने सदस्यता अभियान शुरू किया था लेकिन अपेक्षित परिणाम न मिलने पर इसे बीच में ही बंद कर दिया गया। इस बार बसपा सदस्यता शुल्क दो सौ रुपये रखा गया था। माना जा रहा था कि शुल्क अधिक होने के कारण यह अभियान नहीं चल पाया। बैठक में इस पर भी मंथन होगा कि क्या अभियान दोबारा चलाया जा सकता है।

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बसपा सुप्रीमो मायावती लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रही हैं।  उन्होंने पार्टी के सभी मंडल प्रभारियों की बैठक बुलाई है। इसमें बामसेफ और पार्टी के जिलाध्यक्ष भी शामिल हैं।

सभी दल निकाय चुनाव की तैयारियां कर रहे हैं। मायावती भी पार्टी मुख्यालय पर अपने सिपहसालारों के साथ इस पर मंथन करेंगी। निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में बसपा इसमें अपने भविष्य की संभावनाओं को देख रही है।

मायावती कह भी चुकी हैं कि निकाय चुनाव का परिणाम भविष्य के द्वार खोल सकता है। ऐेसे में इस बैठक का उद्देश्य इन्हीं संभावनाओं के लिए है। 

बसपा का ध्यान इस बार मुस्लिम मतदाताओं पर है। पार्टी दलित-मुस्लिम समीकरण साधने के लिए इस निकाय चुनाव में पूरी ताकत लगाएगी। चूंकि विधानसभा चुनाव में तमाम कोशिशों के बावजूद सपा की नैया पार नहीं हो सकी। जबकि मुस्लिमों ने पूरी ताकत के साथ सपा को सपोर्ट किया। ऐसे में बसपा मुस्लिमों को विकल्प देना चाह रही है। यह जताना चाह रही है कि दलितों का बड़ा वोट बैंक उसके पास है। अगर मुस्लिम भी साथ आ गए तो भाजपा को रोका जा सकता है। निकाय चुनाव का परिणाम यह तय कर देगा कि बसपा का यह फॉर्मूला कितना कारगर होगा।

सदस्यता अभियान को दोबारा शुरू करने पर मंथन

बसपा ने सदस्यता अभियान शुरू किया था लेकिन अपेक्षित परिणाम न मिलने पर इसे बीच में ही बंद कर दिया गया। इस बार बसपा सदस्यता शुल्क दो सौ रुपये रखा गया था। माना जा रहा था कि शुल्क अधिक होने के कारण यह अभियान नहीं चल पाया। बैठक में इस पर भी मंथन होगा कि क्या अभियान दोबारा चलाया जा सकता है।