Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

दारुल उलूम देवबंद विवाद: योगी सरकार के सर्वे में पता चला- नहीं है यूपी मदरसा बोर्ड में रजिस्ट्रेशन, ये है वजह

Default Featured Image

योगी सरकार के दिशा-निर्देश पर कराए गए मदरसा सर्वे में सहारनपुर में 306 ऐसे मदरसे मिले हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन यूपी मदरसा बोर्ड में नहीं है। इस लिस्ट में प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद का नाम भी शामिल है। हालांकि यहां के प्रवक्ता ने इससे जुड़ा अपना पक्ष भी सबके सामने रखा है।

 

हाइलाइट्ससहारनपुर के दारुल उलूम देवबंद का नहीं है रजिस्ट्रेशनयोगी सरकार के सर्वे में जानकारी आई सामनेप्रवक्ता ने बताया जकात यानी चंदे से होता है संचालितदारुल उलूम केंद्र और प्रदेश सरकार से नहीं लेता अनुदानसहारनपुर: योगी सरकार द्वारा इन दिनों यूपी में मदरसों का सर्वे कराया जा रहा है। इसके तहत सहारनपुर (Saharanpur) प्रशासन ने भी मदरसों का सर्वे किया गया है। सर्वे में सहारनपुर के 306 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले हैं। गैर मान्यता मदरसों की लिस्ट में विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) का नाम भी शामिल हैं। दारूल उलूम देवबंद का रजिस्ट्रेशन यूपी मदरसा बोर्ड में नही है। दारूल उलूम देवबंद बिना सरकारी सहायता के यानी जकात ( चंदे) से संचालित किया जाता है। दारुल उलूम देवबंद का रजिस्ट्रेशन सोसायटी एक्ट 1866 में कराया गया था।इसके अलावा जिले में ऐसे 754 मदरसे है जो यूपी मदरसा बोर्ड के अधीन संचालित किए जा रहे हैं।

दारुल उलूम देवबंद के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने बताया कि मदरसे का रजिस्ट्रेशन सोसाइटी एक्ट-1866 के तहत कराया गया है। उन्होंने बताया कि दारुल उलूम से देश भर के 4,500 मदरसे संबद्ध हैं। इनमें से 2,100 मदरसे उत्तर प्रदेश के हैं। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद उत्तर प्रदेश या केंद्र सरकार से किसी प्रकार का कोई अनुदान नहीं लेता है। दारूल उलूम देवबंद मदरसे का संचालन जकात यानी चंदे से मिली मदद से किया जाता है। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश काल के दौरान देश में अंग्रेजी पर जोर दिया जा रहा था। उस दौर में अधिकांश हिंदू-मुस्लिम उर्दू भाषा का प्रयोग करते थे। अपनी भाषा को जिंदा रखने और अंग्रेजी हकूमत को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ मौलाना कासिम नानौतवी, हाजी आबिद हुसैन, फजलुर्रहमान, उस्मान, मेहताब अली, निहाल अहमद और जुल्फिकार अली द्वारा 30 सितंबर 1866 को दारुल उलूम की स्थापना की गई थी। पहले उस्ताद मुल्ला महमूद और छात्र मौलाना महमूद उल हसन थे, जिन्होंने रेशमी रुमाल तहरीक चलाई थी।गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को नहीं मिलता सरकारी लाभजिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी भरत लाल गोंड के मुताबिक शासन स्तर से मिले दिशा निर्देशों के तहत सहारनपुर जनपद की पांच तहसीलों में मदरसों का सर्वे कराया गया है। सर्वे में कुल 306 मदरसे ऐसे मिले हैं, जिनका यूपी मदरसा बोर्ड में रजिस्ट्रेशन नहीं है। यूपी मदरसा बोर्ड में पंजीकरण न कराने वाले मदरसों में देवबंद का दारुल उलूम भी शामिल हैं। यूपी मदरसा बोर्ड में मान्यता प्राप्त नहीं होने के कारण ऐसे मदरसों को विभाग की योजनाओं स्कोलरशिप या आधुनिकरण के तहत तीन टीचर की सैलरी जो सरकार देती है, उन सुविधाओं से वंचित रह जाएंगे।754 मदरसों का यूपी मदरसा बोर्ड में है पंजीकरणजिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी भरत लाल गोंड ने बताया कि सहारनपुर के 754 मदरसे विभाग में रजिस्टर्ड हैं। इनमें 5वीं कक्षा स्तर के 664, 8वीं कक्षा स्तर के 80 और 10वीं कक्षा स्तर के 10 मदरसा हैं। ऐसे मदरसों को विभाग की सभी योजनाओं का पूरा लाभ दिया जाता है। इसके तहत उन्हें 3 टीचर रखने की अनुमति है।जिनका वेतन सरकार द्वारा दिया जाता है।जांच के लिए शासन ने 12 बिंदु किए थे निर्धारितजिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी भरत लाल गोंड के मुताबिक शासन ने मदरसा सर्वे के लिए 12 बिंदु निर्धारित किए थे। इसमें स्थापना का वर्ष,कौनसी सोसाइटी संचालित कर रही है।मदरसे का नाम क्या है।मदरसे की सोर्स ऑफ इन्कम क्या है। इंसान बिंदुओं पर जांच हुई थी। जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। इस संबंध में जो भी शासन से दिशा निर्देश मिलेंगे उनका पालन किया जाएगा।
रिपोर्ट – सैयद मशकूर
अगला लेखDarul Uloom Deoband: 156 सालों से चल रहा दारुल उलूम देवबंद मदरसा भी गैर मान्‍यता प्राप्‍त, देश-विदेश से आते हैं स्‍टूडेंट

आसपास के शहरों की खबरें

Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें