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Etah Diwali 2022: ये दिवाली उजाले वाली, एटा के तुलाई का नागला गांव की खुशी तो देखिए… इसे बता रहे असली ‘आजादी’

एटा: उत्तर प्रदेश के एटा के सुदूरवर्ती गांव तुलाई का नागला में इस वर्ष की दीवाली बिजली की रोशनी में सफेद होने वाली है। आजादी के बाद से अब तक अंधेरे में डूबे इस गांव की काली दिवाली की खासी चर्चा हुई थी। पिछले वर्ष दिवाली के बाद तुलाई का नागला में काली दिवाली की खासी चर्चा हुई थी। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस मुद्दे को काफी गंभीरता से उठाया। शासन और प्रशासन का ध्यान गांव की समस्या पर गया। मोदी सरकार ने 100 फीसदी गांवों के विद्युतीकरण का ऐलान किया है। ऐसे में तुलाई का नागला तक बिजली के पोल, तार के बाद बिजली भी पहुंची। लोगों के अंधेरे घरों को अब एलईडी की दुधिया रोशनी चमका रही है।

एटा के तुलाई का नागला गांव में विद्युतीकरण का कार्य पूरा करा लिया गया है। जली विभाग ने ट्रांसमिशन पोल और सप्लाई लाइन बिछा दी है। गांव के लिए एक डेडिकेटेड ट्रांसफॉर्मर लगाया गया है। गांव के लोगों ने इस पर अपनी खुशी जाहिर की है। गांव के करीब 100 वर्षीय राजाराम कहते हैं कि यह अविश्वसनीय है, लेकिन सच है। पहली बार गांव की सड़कों को बिजली की रोशनी से नहाया देख रहे हैं। आंखों पर यकीन नहीं होता। इसके लिए हमने पिछले कई दशकों की लड़ाई लड़ी। साल बीतते गए। सरकारें बदलती रहीं। लेकिन, गांव की किस्मत का अंधेरा दूर नहीं हुआ। जन प्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक के यहां गुहार लगाई। फिर भी हम अंधेरे में रहे। अब स्थिति बदली है। इसे स्वीकार करने में समय तो लगेगा। खुशी उनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती है।

राजाराम ने कहा कि अब हमारे पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। यह हमारे लिए बहुत खुशी की दिवाली होगी और मुझे खुशी है कि मैं अपने जीवन में अपने गांव को रोशनी से भरा हुआ देख पाया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए तत्कालीन बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अधिकारियों को गांव में बिजली सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। गांव में बिजली को लोग अंधेरे से आजादी की संज्ञा दे रहे हैं। इसके लिए हर प्रयास को याद कर रहे हैं। सराह रहे हैं। धन्यवाद कर रहे हैं। इसे ही असली आजादी बता रहे हैं।

विधायक ने किया गांव में विद्युतीकरण का उद्घाटन

अब कभी नहीं होगी काली दीवाली
बिजली मंत्री की घोषणा के बाद कार्रवाई शुरू हुई। विधानसभा चुनाव के बाद अलीगंज के स्थानीय विधायक सत्यपाल सिंह ने बिजली आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए 9.9 लाख रुपये प्रदान किए। वे कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि गांव इतने लंबे समय तक अंधेरे में रहा। किसी तरह, ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण के लिए बिजली विभाग के सर्वेक्षण से जगह छूट गई। मुझे पिछले साल ग्रामीणों की दुर्दशा के बारे में पता चला और फिर से निर्वाचित होने के बाद, जैसा कि वादा किया गया था, मैंने नियमित बिजली आपूर्ति के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए अपने विधायक-एलएडी फंड का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा। आखिरकार, काम पूरा हो गया है। अब गांव की दिवाली कभी काली नहीं होगी।

गांव में बिजली आई तो घरों में छाई खुशियां

63 केवीए का लगाया गया ट्रांसफार्मर
बिजली विभाग के अनुविभागीय अधिकारी सोनू कुमार ने कहा कि गांव में गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति के लिए 63 केवीए क्षमता का एक डेडिकेटेड ट्रांसफार्मर और 22 बिजली पोल स्थापित किए गए हैं। विद्युतीकरण के लिए 350 मीटर लंबी बिजली आपूर्ति लाइन बिछाई गई है। परीक्षण के बाद विधायक सत्यपाल सिंह ने शनिवार को गांव में बिजली सुविधा का औपचारिक उद्घाटन किया। अलीगंज अनुमंडल के अंतर्गत 300 की आबादी वाले इस गांव में करीब 30 घर बिना बिजली के बल्ब के थे।

विद्युतीकरण के बाद उम्मीदों को लग गए हैं पंख

फोन चार्ज करने के लिए भी 2 किलोमीटर की यात्रा
गांव के लोगों को अपने मोबाइल फोन चार्ज करने जैसे बुनियादी काम करने के लिए पड़ोसी गांव राजा का रामपुर जाना पड़ता था। तुलाई का नागला से इसकी दूरी करीब 2 किलोमीटर है। साथ ही, छात्रों को शाम को पढ़ाई के लिए मोमबत्तियों का इस्तेमाल करना पड़ रहा था। लेकिन अब सब बदल जाएगी। स्थानीय निवासी 45 वर्षीय रंजना शाक्य कहती हैं कि हमें इस दीवाली पर अपना सबसे बड़ा उपहार मिला है। सूर्यास्त के बाद, हमें मोमबत्तियों, दीयों के सहारे नहीं रहना होगा। लैंप-लालटेन की रोशनी अब नहीं जलानी होगी। उन्होंने कहा कि अब मैं एक टीवी सेट खरीदने की योजना बना रही हूं।

तुलाई का नागला में इस वर्ष बिजली की रोशनी वाली होगी दिवाली

रंजना ने कहा कि गांव के जो लोग बिजली नहीं होने के कारण काम के लिए बाहर गए थे। अब उनके सामने गांव लौटकर आने और यहीं पर अपना कार्य करने का विकल्प होगा। कई लोग तो वापस लौटने की तैयारी भी कर रहे हैं। इस बिजली ने गांव की स्थिति बदल दी है। यह रोशनी केवल गांव में नहीं, हमारे जीवन में भी आई है।