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साधुओं की हत्या में भी दिखा धर्म

सीएए और तबलीगी जमात के बाद अब साधुओं की हत्या में भी दिखा धर्म

आज इस समाज में अधिकतर बुद्धजीवी मुस्लिम के लिए बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के बजाए ष्ट्र्र और हृक्रष्ट और हृक्कक्र पर झूठ और अफवाह फैला कर हिन्दू-मुस्लिम शब्द ढूंढ़ निकाले। यूपीए शासनकाल में इसी प्रकार से भगवा आतंक के शब्दों का भी अविष्कार कर लिया गया था।

मुंबई आतंकी हमले के 22 वर्षों बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पुणे में आयोजित 89वीं मराठी साहित्यिक बैठक को सम्बोधित करते हुए स्वीकार किया था कि उन्होंने जानबूझ कर एक अतिरिक्त बम ब्लास्ट की कहानी गढ़ी ताकि मुस्लिमों को पीडि़त दिखा कर सांप्रदायिक तनाव से बचा जाए क्योंकि ‘पाकिस्तान ऐसा ही चाहता थाÓ। उन्होंने कहा कि उन्हें भी यह पता था कि ये सभी धमाके हिन्दू बहुल क्षेत्रों में हुए थे।

आज भी पालघर में लिंचिंग के शिकार हिन्दू साधु कल्पवृक्ष गिरी के लिए इंसाफ की बात करना सेक्युलर लॉबी के लिए कम्युनल हो जाता है।  अपने इसी छद्म सेक्युलरिज्म को सिद्ध करने के लिये महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने यह कहा है कि गिरफ्तार किये गये १०१ आरोपियों में एक भी मुस्लिम नहीं है।

इसी संदर्भ में अभी-अभी का यह समाचार भी उल्लेखनीय है कि  पालघर मॉब लिंचिंग: 300 से ज्यादा आरोपियों की तलाश कर रही पुलिस की टीम, ड्रोन से ली जाएगी मदद।

अतएव पूरी जांच के पहले ही महाराष्ट्र सरकार आधी-अधूरी टिप्पणी क्यों कर रही है?

क्या पालघर में हुई साधुओं की हत्या में धर्मांतरण भी ऐंगल है?

सुदर्शन न्यूज की रिर्पोट के अनुसार भले ही महाराष्ट्र सरकार अपनेगृहमंत्री अनिल देशमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आगे करके बार बार ये बयानदे रही हो कि पालघर में बेरहमी से मार डाले गये साधुओं के हत्याकांडमें कोई भी धार्मिक एंगल नहीं है लेकिन आखिरकार परतें खुलते हुए ये सामने आने लगाहै कि इसपूरे मामले में कहीं न कहीं कुछ न कुछ बड़ा जरूर है जिसको महाराष्ट्र की पुलिस औरमहाराष्ट्र की सरकार दबाना चाह रही है।

अभी जो खुलासे हो रहे हैं उसके बाद हर कोई उद्धव सरकार से ही सवाल जवाब करेगा कि क्या सच में इस पूरे मामले में कोई धार्मिक एंगल नहीं है ?

लेकिन तभी अचानक ही इस मामलेमें एक नया मोड़ आया है और गिरफ्तार उन सभी साधुओं के हत्यारों के बचाव में अदालत में एक ईसाई समूह खड़ा हो गया है. इस मामले में गिरफ्तार इन सभी हत्यारों के लिए कोर्ट में प्रदीप देशभक्त नाम रख कर हिन्दुओ के बीच जाने वाला क्कद्गह्लद्गह्म् ष्ठ रूद्गद्यद्यश खड़ा होगया है और उसने इन सभी को जल्द से जल्द छुडाने के लिए अभियान छेड़दिया है. क्कद्गह्लद्गह्म् ष्ठ रूद्गद्यद्यश असलमें एक ईसाई पादरी है जो महाराष्ट्र में एक हृत्रह्र चलाता है . इसकी पत्नी पारसी है.

प्रदीप से पीटर बना साधुओं के हत्यारों का ये पैरोकार आगे चल कर ईसाई बन गया था जिसके हिन्दू नाम से किसी को शक नहीं होता था. फिलहाल ईसाइयों का ये समूह अब साधुओ के हत्यारों को जेल से मुक्त करवाने का अभियानचलायेगा जिसनेसभी कानूनी तैयारियां पूरी करनी भी शुरू कर दिया है.

यहॉ यह उल्लेखनीय है कि पालघर मुंबई मंत्रालय से महज ९० कि.मी. की दूरी पर है। इस क्षेत्र में ६० प्रतिशत से भी अधिक आदिवासियों का धर्मांतरण हो चुका है, ऐसी भी मीडिया रिपोर्ट है।