कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश में विभिन्न संस्कृतियों के रोचक नृत्य हैं। इन सबकी जीवंत प्रस्तुति राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में हो रही है। देश के सबसे शीर्ष हिस्से लद्दाख से आये कलाकारों ने बल्की नृत्य की प्रस्तुति दी। यह नृत्य लद्दाख में विवाह समारोहों के अवसर पर किया जाता है। विवाह में अनेक तरह की रस्म होती है। इन सभी रस्मों की सुंदर प्रस्तुति आज लद्दाख से आये लोककलाकारों ने की। पहाड़ी क्षेत्र के अनुरूप खास तरह की वेशभूषा और वाद्ययंत्रों के माध्यम से दी गई प्रस्तुति से लद्दाख का लोकजीवन दर्शकों के आँखों के सामने जीवंत हो गया।
नृत्य में दो पक्ष थे वर पक्ष और वधु पक्ष। दोनों ही पक्षों ने संगीतमय प्रस्तुति दी। बल्की नृत्य को देखकर यह महसूस होता है कि विवाह के अवसर पर होने वाले अनुष्ठान आम जनजीवन में कितनी गहराई से बसे हुए हैं और लोगों को आनंदित करते रहे हैं। बल्की नृत्य में लोगों ने लद्दाख के स्थानीय वाद्ययंत्रों की लोकधुनें सुनीं। सदियों से यह धुनें लोकविश्वास का हिस्सा रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से लोग हमारी राष्ट्रीय लोकसंस्कृति की खूबसूरती और वैविध्य को महसूस कर रहे हैं और देख पा रहे हैं कि भारत अपनी सांस्कृतिक विशिष्टताओं से कितना समृद्ध हैं।
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