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Editorial:चीन-पाक के सीपीईसी परियोजना के खतरनाक इरादों को समझना आवश्यक

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3-11-2022

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ पाकिस्तान को भी शंघाई सहयोग संगठन यानी स्ष्टह्र की बैठक में अच्छी तरह से धो डाला है। जयशंकर ने क्चक्रढ्ढ परियोजना को लेकर जमकर लताड़ लगायी है और मजे की बात तो यह है कि इस बैठक की अध्यक्षता कोई ओर नहीं बल्कि चीन ही कर रहा था। यह बैठक चीन की तरफ से ही आयोजित की गई थी और भारत ने ड्रैगन को उसी की बैठक में अच्छी तरह से कूट दिया।
‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिवÓ चीन की महात्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। परंतु हर किसी को मालूम है कि यह ड्रैगन के ऋ ण जाल के सिवाए और कोई नहीं। चीन इस परियोजना के माध्यम से बड़े ही चालाकी से छोटे और गरीब देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसाकर उन्हें अपने इशारों पर चलाने के प्रयास करता है। यही कारण है कि भारत कभी भी चीन की इस परियोजना के पक्ष में नहीं खड़ा हुआ। अब शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्चक्रढ्ढ परियोजना को लेकर भारत के रुख को फिर से दोहराते हुए चीन को जमकर सुनाया है।
जयशंकर ने अपने हालिया बयान में कहा कि शंघाई सहयोग संगठन के क्षेत्र में आने वाले प्रोजेक्ट्स को लेकर चीन को इस बात का ध्यान रखा चाहिए कि इससे किसी भी देश की अखंडता और संप्रभुता को हानि न पहुंचे। क्चक्रढ्ढ यानी “वन बेल्ट, वन रोड” चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए प्रमुख परियोजनाओं में से एक है और इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा ष्टक्कश्वष्ट यानी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है, जो पाकिस्तानी अधिकृत कश्मीर क्कश्य से होकर गुजरता है। यही कारण है कि भारत शुरू से ही इसका विरोध करता आया है। भारत का मानना है कि ष्टक्कश्वष्ट और क्चक्रढ्ढ दोनों ही उसकी संप्रभुता के विरुद्ध हैं।
वैसे जिस समय जयशंकर चीन को फटकार लगा रहे थे, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी वहां मौजूद थे। स्ष्टह्र की बैठक के बाद संयुक्त वार्ता में भी भारत ने क्चक्रढ्ढ का विरोध किया। जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि शंघाई सहयोग संगठन क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता है जिससे केंद्रीय एशिया के हितों का ध्यान रखा जा सके। इन कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के बारे में यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इससे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन न हो और सदस्य देशों की संप्रभुता को नुकसान न पहुंचे। कोई कदम उठाने से पहले हमें यह विचार कर लें कि किसी सदस्य देश को नुकसान न हो। जयशंकर ने आगे ये कहा कि चाबहार पोर्ट और इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर क्षेत्र में आर्थिक क्षमता की संभावनाओं के रास्ते खोलेगा। अभी के समय में शंघाई सहयोग संगठन सदस्यों के साथ हमारा कुल व्यापार 141 अरब डॉलर का है, हालांकि अभी इसके कई गुना बढऩे की संभावना है।
नई दिल्ली ने कई बार बीजिंग के क्चक्रढ्ढ पर क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। यही नहीं भारत ने विभिन्न मंचों पर इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि कनेक्टिविटी परियोजनाओं को “खुलेपन, पारदर्शिता और वित्तीय जिम्मेदारी के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।” चीन ने अपनी इसी क्चक्रढ्ढ परियोजना के जरिए कई देशों को ऋण के जाल में फंसाया है और यह चीन की ऋण कूटनीति का एक हिस्सा है।

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समर्थन करने से भारत का इनकार

यहां यह जान लें कि एससीओ में शंघाई सहयोग संगठन यानि स्ष्टह्र में 8 सदस्य देश शामिल हैं, जबकि चार पर्यवेक्षक देश है। स्ष्टह्र में शामिल कजाखस्?तान, किर्गिस्?तान, पाकिस्?तान, रूस, तजाकिस्?तान और उज्?बेकिस्?तान जैसे देशों ने चीन के ऋण जाल यानी क्चक्रढ्ढ परियोजना को अपना समर्थन दिया है, जबकि भारत का रूख एकदम अलग है। चीन, भारत से कई बार इसमें शामिल होने का प्रस्?ताव रख चुका है परंतु हर बार ही भारत इससे इनकार करता आया है। क्योंकि भारत चालाक चीन की इस योजना के पीछे की सच्चाई से अच्छी तरह से परिचित है।

एस जयशंकर की पहचान मोदी सरकार के सबसे मुखर नेताओं में से एक के तौर पर होती है। मंच चाहे कोई भी हो, सामने कोई सा भी देश हो, जयशंकर हर मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। जयशंकर जब अमेरिका जैसे देशों को नहीं छोड़ते, तो आखिर पाकिस्तान और चीन जैसे देश किस खेत की मूली हैं। वो चीन और पाकिस्तान को उसकी करतूतों के हिसाब से हैंडल करता है। अब शंघाई सहयोग संगठन की 21वीं बैठक में जयशंकर जिस तरह से सुनाया है, उसे ड्रैगन के लिए भूलना आसान नहीं होगा।