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हिमा ने कहा- कभी मैंने अपने सस्ते जूतों पर हाथ से एडिडास लिखा था, आज वही ब्रांड मेरे नाम के जूते बनाता है

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भारतीय एथलीट हिमा दास ने रविवार को खुलासा किया कि करियर के शुरुआती दौर में वे साधारण जूतों पर अपने हाथों से एडिडास लिखती थीं। लेकिन अब कंपनी खुद उनकी जरूरत के हिसाब से जूते तैयार करती है, जिस पर उनका नाम लिखा होता है। हिमा ने क्रिकेटर सुरेश रैना से इंस्टाग्राम लाइव चैट के दौरान यह बात कही। 
उन्होंने बताया कि शुरुआत में मैं नंगे पांव दौड़ती थी। जब पहली बार नेशनल्स में हिस्सा ले रही थी, तब पिता मेरे लिए साधारण स्पाइक्स वाले जूते लाए थे। इन जूतों पर मैंने खुद हाथ से एडिडास लिख दिया था। आप कभी नहीं जानते कि भविष्य में भाग्य कैसा होगा, आज यही ब्रांड मेरे नाम के जूते बनाता है।

हिमा अंतरराष्ट्रीय ट्रैक इवेंट में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय 

हिमा ने फिनलैंड में 2018 में हुई अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में 400 मीटर दौड में गोल्ड जीतकर इतिहास रचा था।  वे अंतरराष्ट्रीय ट्रैक इवेंट में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय हैं। इसके बाद जर्मनी की जूते बनाने वाली कंपनी ने उन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया था। कंपनी ने उनकी जरूरत के हिसाब से जूते बनाए, जिसमें एक तरफ उनका नाम और दूसरी तरफ ‘इतिहास रचें’ लिखा है।

2018 एशियन गेम्स के बाद लोगों की एथलेटिक्स में रुचि बढ़ी
बीस साल की इस एथलीट ने रैना से बातचीत के दौरान कहा कि इंडोनेशिया में हुए 2018 एशियन गेम्स के बाद लोगों में एथलेटिक्स को लेकर रूचि बढ़ी है। इन खेलों में हिमा ने 400 मीटर रेस में सिल्वर जीतने के अलावा महिलाओं की 400 मीटर रिले और 400 मीटर मिक्स्ड रिले में भी गोल्ड जीता था। उनके मुताबिक, अब फैंस बार-बार आपका नाम पुकारते हैं। इससे आपको प्रेरणा मिलती है। 

हिमा लॉकडाउन में फिटनेस पर काम कर रहीं

हिमा फिलहाल पाटियाला के नेशनल स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट (एनआईएस) में हैं और खुद को फिट रखने में जुटी हैं। ताकि लॉकडाउन खत्म होने पर ट्रैक पर लौटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहें। अपनी तैयारियों को लेकर उन्होंने कहा कि मैं लॉकडाउन को सकारात्मक रूप से ले रही हूं। हमें मैदान पर जाने की इजाजत नहीं है। इसलिए मैं अपने कमरे में ही वर्कआउट करती हूं। मैं योगा करती हूं ताकि शरीर में खून का संचार अच्छा बना रहे। साथ ही डाइट का भी खास ध्यान रख रही हूं। मैं इस दौरान ज्यादा फल खा रही हूं। मैं अपनी चोट से पूरी तरह उबर चुकी हूं और अब फिट हूं। बस यही सोच रही हूं कि खुद को फिट रखना है, ताकि लॉकडाउन हटते ही ओलिंपिक की तैयारियों में जुट जाऊं।