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क्या कार्बन डेटिंग शिवलिंग को नुकसान पहुंचा सकती है?

प्रयागराज: ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग की आयु की जानकारी के लिए कार्बन डेटिंग की मांग का मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया है। पिछले दिनों वाराणसी जिला अदालत ने इस केस में कथित शिवलिंग को नुकसान पहुंचने की स्थिति को देखते हुए कार्बन डेटिंग का आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था। वहीं, अब इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की सुनवाई चल रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एएसआई के महानिदेशक से इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि क्या हाल ही में अदालत की ओर से किए गए सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी परिसर के वुजू तालाब में पाए गए कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन-डेटिंग और इसी तरह की वैज्ञानिक जांच से नुकसान हो सकता है। क्या किसी भी तरह से संरचना को कोई नुकसान हो सकता है?

इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से वाराणसी के जिला न्यायाधीश के हालिया आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में एएसआई से इस विशिष्ट प्रश्न का जवाब देने के लिए कहा है, जिसमें कार्बन-डेटिंग और ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच को खारिज कर दिया गया था। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की पीठ ने 16 मई को मिले ‘शिवलिंग’ की कार्बन-डेटिंग और वैज्ञानिक जांच की मांग को खारिज करने वाले वाराणसी की अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए एएसआई से जवाब मांगा है।

एएसआई के डीजी से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डीजी एएसआई को इस संबंध में अपनी राय प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। क्या उक्त संरचना की जांच कार्बन-डेटिंग, ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार, उत्खनन और इसकी उम्र और प्रकृति को निर्धारित करने के लिए अन्य तरीकों के माध्यम से जांच करके, इसे नुकसान पहुंचाने की संभावना है। फिर इसकी उम्र के सुरक्षित मूल्यांकन का कोई तरीका है या नहीं। लक्ष्मी देवी और तीन अन्य की दीवानी पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मुनीर ने यह निर्देश दिया। कोर्ट ने डीजी एएसआई को सुनवाई की अगली तारीख 21 नवंबर तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि इस आदेश को 24 घंटे के भीतर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (अनुपालन) की ओर से डीजी एएसआई को सूचित किया जाए।

वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती
वाराणसी कोर्ट की ओर से शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका खारिज किए जाने के बाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता के वकील हरि शंकर जैन की ओर से वाराणसी जिला जज की ओर से जारी किए आदेश को चुनौती दी गई है। कोर्ट का कहना है कि एएसआई की ओर से किसी भी संभावित वैज्ञानिक जांच का रिजल्ट पर प्रभाव पड़ सकता है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जिला जज दिसंबर के पहले हफ्ते में मुकदमे की तारीख तय करें।

कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति, यूपी सरकार, जिला प्रशासन और मामले में अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। इससे पहले पांच हिंदू महिला याचिकाकर्ताओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर श्रृंगार गौरी और अन्य देवताओं की पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी की दीवानी अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दीवानी अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर की अगुआई में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया।

एडवोकेट कमिश्नर की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी कराई गई। कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी गई है। एआईएम ने सर्वेक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसने वाराणसी के जिला न्यायाधीश को मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया। इसके बाद, पांच में से चार याचिकाकर्ताओं ने जिला न्यायाधीश के समक्ष एक आवेदन दायर कर शिवलिंग की उम्र और प्रकृति का पता लगाने के लिए एएसआई के विशेषज्ञों की नियुक्ति की मांग की।