मध्य प्रदेश सरकार ने अगले 1000 दिनों तक लेबर कानूनों से इंडस्ट्री को राहत दे दी है. औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 को छोड़कर बाकी प्रावधान को इतने समय तक लागू नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही कारखानों को फैक्ट्री इंस्पेक्टर की जांच से तीन महीने के लिए छूट दे दी गई है.
नए लेबर कानून में ये बड़े बदलाव हुए हैं-
- अलग-अलग लेबर कानूनों के तहत पहले रजिस्ट्रेशन/लायसेंस 30 दिन में जारी होता था, अब इस टाइम पीरियड को घटाकर 1 दिन कर दिया गया है.
- अब नये कारखानों का रजिस्ट्रेशन/लायसेंस जारी करने की व्यवस्था ऑनलाईन होगी.
- पहले मध्यप्रदेश में अभी तक दुकानें सुबह 08 बजे से रात 10 बजे तक खुली रह सकती थीं, लेकिन अब प्रदेश में दुकानें सुबह 6 बजे रात 12 बजे तक खुली रह सकेंगी .
- अब कंपनियों को लेबर से सप्ताह में 72 घंटे तक के ओव्हरटाईम कराने की मंजूरी दी गई है. एक्सट्रा टाइम में लेबर को नियमानुसार ओव्हरटाइम भी मिलेगा.
- कारखाने की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए सुविधानुसार शिफ्टों में बदलाव भी कर सकते हैं.
- कारखानों के काम की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए लेबर कानूनों में 61 रजिस्टर रखने और 13 रिटर्न दाखिल करने की जगह पर अब केवल एक ही रजिस्टर रखने और एक ही रिटर्न दाखिल करने की व्यवस्था की गई है.
- ठेका लेबर अधिनियम के अंतर्गत ठेकेदारों को अभी तक 20 लेबर रखने पर रजिस्टर कराना पड़ता था. अब 50 श्रमिक या उससे अधिक श्रमिकों को नियोजित करने पर ही रजिस्टर कराना होगा.
- इस प्रकार 50 से कम लेबर रखने वाले ठेकेदार बिना रजिस्ट्री भी काम कर सकेंगे. इससे छोटे ठेकेदारों को राहत मिलेगी.
- कारखाना अधिनियम के तहत 3 महीने के लिए कारखानों को फैक्ट्री इंस्पेक्टर की जांच से मुक्ति दी गई है.
- 50 से कम मजदूरों वाली फैक्ट्री या उद्योग को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है. अब इनमें जांच सिर्फ लेबर कमिश्नर की मंजूरी या शिकायत पर ही हो सकेगी
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