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विश्व के 75 रिकॉर्ड में दर्ज हुआ काशी कोतवाल भैरव उत्सव, पहली बार मनाई गई भैरव दीपावली

काशी काल भैरव उत्सव ने नया विश्व कीर्तिमान रच दिया है। पहली बार भैरवाष्टमी पर काशी में जहां भैरव दीपावली मनाई गई। वहीं, एक लाख आठ हजार पार्थिव भैरव को एक लाख आठ हजार दीप और इमरती का भोग लगाया गया। भैरव अष्टमी पर भैरवमय हुई काशी में भक्ताें के जयकारे और तालियों के बीच आयोजन को पूर्णाहुति दी गई। 25 राज्य और 20 देशों से आए श्रद्धालुओं ने सौ फीट के बटुक भैरव की मूर्ति की परिक्रमा की और देर रात तक दर्शन पूजन के लिए कतार लगी रही।

बुधवार शाम रामनाथ चौधरी लॉन में भैरव देव के समक्ष दीपदान मंत्र से एक लाख आठ हजार दीप रोशन किए गए। साथ ही मां गंगा की भी 21 पंडितों ने आरती उतारी। भैरव देव के साधक डॉ. बसंत विजय महाराज ने कहा कि रुद्र रूप, त्रिकाल दर्शी भगवान भैरव देव का जन्मदिवस इस ब्रह्मांड में सर्वथा प्रसन्नता प्रदान करने वाला है।

भैरव देव अपने भक्तों की सच्ची, सरल भक्तिसे शीघ्र प्रसन्न होकर उसे निर्भय, समृद्धिवान एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला बना देते हैं। डॉ. बसंत विजय ने कहा कि आज का आयोजन भारत, एशिया सहित विश्व के 75 रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गया।

इस दौरान 53 पाउंड का केक व आठ तरह की हजारों चॉकलेट्स भी बटुक भैरव को अर्पित की गई। कहा कि भगवान को रिझाने के लिए स्वार्थ छोड़ें तथा भक्ति की डोज बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि भक्ति छोटी है, प्रभु की कृपा सबसे बड़ी है।

भैरव अष्टमी पर बुधवार को अष्ट भैरव मंदिर सहित शहर के सभी भैरव मंदिरों में जन्मोत्सव मनाया गया। बाबा कालभैरव के भक्तों ने विधिविधान के साथ 801 किलो का केक काटकर और कारन का भोग लगाकर बाबा काल भैरव को हैप्पी बर्थ डे बोला। काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के दर्शन पूजन के लिए सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी हुई थी, देर रात तक दर्शन का क्रम अनवरत चल रहा।

चौखंडी बीर बड़ी पियरी स्थित काल भैरव बाबा के मंदिर में शृंगार के बाद भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर का कपाट खोल दिया गया। महंत राजेश्वरानंद ने बाबा को नूतन वस्त्र धारण कराया। उन्हें भोग लगाया। भैरवाष्टमी पर प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में पांच ब्राह्मणों द्वारा बाबा का षोडशोपचार पूजन किया गया।

विशेष स्नान, सिंदूर लेपन, नूतन वस्त्र धारण कराने के बाद बाबा को रजत मुखौटा धारण कराकर बाल रूप में शृंगार किया गया। मध्यान्ह 12 बजे विशेष शृंगार दर्शन, झांकी सायंकाल 5 बजे, अष्ट भैरव हवन सायंकाल 7 बजे, श्रीकालभैरव जन्म लीला, कृष्ण-सुदामा लीला, महिषासुर वध, काली तांडव, मसान की होली, शीतला झांकी कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा। अर्द्धरात्रि 12 बजे बाबा काल भैरव का जन्मोत्सव व महाआरती की गई। इसी प्रकार बटुक भैरव, लाट भैरव, भूत भैरव, क्रोधन भैरव सहित अन्य भैरव मंदिरों में बाबा का शृंगार पूजन कर जन्मोत्सव मनाया गया।

काशी काल भैरव उत्सव ने नया विश्व कीर्तिमान रच दिया है। पहली बार भैरवाष्टमी पर काशी में जहां भैरव दीपावली मनाई गई। वहीं, एक लाख आठ हजार पार्थिव भैरव को एक लाख आठ हजार दीप और इमरती का भोग लगाया गया। भैरव अष्टमी पर भैरवमय हुई काशी में भक्ताें के जयकारे और तालियों के बीच आयोजन को पूर्णाहुति दी गई। 25 राज्य और 20 देशों से आए श्रद्धालुओं ने सौ फीट के बटुक भैरव की मूर्ति की परिक्रमा की और देर रात तक दर्शन पूजन के लिए कतार लगी रही।

बुधवार शाम रामनाथ चौधरी लॉन में भैरव देव के समक्ष दीपदान मंत्र से एक लाख आठ हजार दीप रोशन किए गए। साथ ही मां गंगा की भी 21 पंडितों ने आरती उतारी। भैरव देव के साधक डॉ. बसंत विजय महाराज ने कहा कि रुद्र रूप, त्रिकाल दर्शी भगवान भैरव देव का जन्मदिवस इस ब्रह्मांड में सर्वथा प्रसन्नता प्रदान करने वाला है।

भैरव देव अपने भक्तों की सच्ची, सरल भक्तिसे शीघ्र प्रसन्न होकर उसे निर्भय, समृद्धिवान एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला बना देते हैं। डॉ. बसंत विजय ने कहा कि आज का आयोजन भारत, एशिया सहित विश्व के 75 रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गया।