अंबेडकर अस्पताल के जिरियाट्रिक यानी बुजुर्गों के वार्ड को कोविड वार्ड में तब्दील कर दिया गया है। 40 बिस्तरों का वार्ड तैयार कर लिया गया है। आईसीयू व एमआईसीयू के स्थान पर 80 बेड का आइसोलेटेड कोविड वार्ड बनाया जा रहा है। यहां का काम पूरा होते ही पहले फेज में कोरोना मरीजों के लिए 120 बेड का आइसोलेटेड वार्ड तैयार हो जाएगा। इसे 500 बिस्तर तक बढ़ाया जाएगा। इसी में पेंच आ गया है, क्योंकि मेडिसिन, गायनी और पीडिया विभाग की शिफ्ट तकनीकी कारणों से अटक गई है।
जिला अस्पताल पंडरी के ओटी, लेबर रूम में एसी व ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं है। इसी स्थिति में मरीजों का इलाज करने में कई तरह की दिक्कतें आएंगी। इस वजह से इस विभाग को जिला अस्पताल में तुरंत शिफ्ट करना मुश्किल है। मेडिसिन विभाग को डीकेएस में 139 बेड दिया जाना है, लेकिन अब तक केवल 39 बेड ही मिले हैं। इसलिए मरीजों को भर्ती करने में दिक्कत है। डाक्टर सभी मरीजों को वहां शिफ्ट नहीं कर पा रहे हैं। पीडियाट्रिक विभाग को कालीबाड़ी स्थित मातृ-शिशु अस्पताल में शिफ्ट किया जाना है, लेकिन वहां नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट, जरूरी मशीन व उपकरण ही नहीं है। इस वजह से शिफ्टिंग को लेकर फैसला नहीं लिया जा सका है।
पं. नेहरू मेडिकल कॉलेज की पूर्व डीन डॉ. आभा सिंह ने सोमवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के पहले तीनों विभागों की शिफ्टिंग की समीक्षा की थी। उन्होंने तीनों विभाग के एचओडी को डीकेएस, जिला अस्पताल पंडरी व मातृ-शिशु अस्पताल कालीबाड़ी भेजकर वहां की रिपोर्ट मांगी थी। तीनों एचओडी की रिपोर्ट उन्होंने शासन को भेज दी है।
आईसीयू व एमआईसीयू पहले ही शिफ्ट
मेडिसिन विभाग की एमआईसीयू व आईसीयू 15 दिनों पहले डीकेएस में शिफ्ट हो गया है। जबकि ओपीडी व वार्ड अंबेडकर अस्पताल में है। शिफ्टिंग को लेकर जब दोनों अस्पताल के जिम्मेदारों की बैठक हुई थी तब डीकेएस प्रबंधन ने 140 बेड देने पर सहमति जताई थी। वहां वेंटीलेटर व माॅनीटर की भी कमी है। ऑर्थोपीडिक विभाग का प्रशासनिक ब्लॉक भी ग्राउंड फ्लोर में ओपीडी के बगल में आ गया है। ये विभाग शिफ्ट नहीं होगा। इसके अलावा कार्डियोलॉजी, कार्डियक सर्जरी, रेडियो डायग्नोसिस, पैथोलॉजी, माइक्रो बायोलॉजी, बायो केमेस्ट्री, जनरल सर्जरी, ईएनटी, नेत्र, स्किन विभाग शिफ्ट नहीं होगा।
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