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शराब पर 10% तक कोरोना टैक्स, 21 से किसानों को प्रोत्साहन राशि, 10वीं-12वीं की बची परीक्षा नहीं होगी

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कोरोना संकट के बीच भूपेश सरकार ने शराब पर कोरोना टैक्स लेने का फैसला किया है। वहीं बीते खरीफ सीजन में जिन किसानों से एमएसपी पर धान खरीदा था उन किसानों के लिए अंतर की राशि देने 21 मई से राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत दी जाएगी। यह रकम किसानों को चार किस्तों में देगी। वहीं माध्यमिक शिक्षा मंडल ने महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि प्रदेश में 10वीं-12वीं की बची हुई परीक्षाएं अब नहीं होंगी। अब आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर ही छात्र-छात्राओं को नंबर दिए जाएंगे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी। बैठक के बाद पत्रकारों से कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि राज्य सरकार भी देशी शराब पर दस रुपए प्रति बोतल आैर सभी प्रकार की विदेशी शराब पर बिक्री दर की दस फीसदी राशि विशेष कोरोना शुल्क के रूप में लेने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में भी शराब पर कोरोना शुल्क लगाया जा रहा है। मंत्री द्वय ने बताया कि धान, मक्का एवं गन्ना (रबी) फसल के लिए 10 हजार प्रति एकड़ की दर से डीबीटी के माध्यम से किसानों को सहायता अनुदान की राशि दी जाएगी। इसी तरह खरीफ 2020 से धान, मक्का, गन्ना, दलहन-तिलहन फसल के पंजीकृत रकबे के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों को कृषि आदान सहायता अनुदान दिया जाएगा।

सरकार ने इसलिए लिए फैसले
इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलेगा: कोरोना टैक्स से इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलेगा। इसके पीछे सरकार की सोच यह है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के कामों को अपग्रेड किया जा सकेगा। सड़क, स्वास्थ्य केन्द्र आैर अन्य सरकारी भवनों के मेंटेनेंस के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने की नई योजना नहींं है इसलिए इस मद से सरकार को साढ़े चार सौ करोड़ रुपए मिलेंगे। इससे सड़क, सफाई, विद्युत लाइन, स्कूल, अस्पताल भवनों के अपग्रेडेशन के लिए राशि दी जा सकेगी।
कैश फ्लो बना रहे : किसान न्याय योजना के तहत 19 लाख किसानों को चार किस्तों में 51 सौ करोड़ की बड़ी मदद मिलेगी। इससे किसानों के जरिए प्रदेश के बाजार में कैश फ्लो बना रहेगा। इससे अब तक जो धान की कीमत मिली थी उसे किसान अगली फसल के लिए लगा चुका है। अब इस नए फैसले से मिले पैसों का बाजार में उपयोग कर सकेगा जो कि किसानों के लिए बड़ी राहत होगी। संकट के समय में यह किसानों के लिए बचत की तरह होगी।