भारत के इतिहास में महान वीरों, बलिदानियों, सेनानियों, योद्धाओं की कमी नहीं रही है, लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस ने 70 सालों तक इन्हें राष्ट्रीय पहचान नहीं दी। 70 साल तक देश गुलामी की मानसिकता में ही जीता रहा और अंग्रेजों एवं वामपंथी इतिहासकारों के लिखे इतिहास को ही पढ़ाया गया। जबकि सदियों से भारत में वीर सपूत जन्म लेते रहे हैं और अपने साहस का लोहा मनवाते रहे हैं। लेकिन देश में बहुत से ऐसे वीर हुए हैं, जो कहीं न कहीं गुमनामी के अंधेरे में खो गए और उनके बारे में बहुत बताया नहीं गया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ऐसे कई नायकों को सामने लाकर उचित सम्मान दे रही है। पीएम मोदी का प्रयास रहा है कि गुमनाम नायकों को उचित सम्मान मिले। यही वजह है कि लासित बोरफुकन कोई पहले ऐसे नायक नहीं हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने भारतीय जनमानस के बीच फिर से स्थापित किया है। पिछले कुछ समय में प्रधानमंत्री ने इतिहास के भूले-बिसरे ऐसे कई नायकों को राष्ट्रीय पहचान दी जिन्हें लगभग भुला दिया गया था। इनमें आदिवासी समुदाय के भी कई नायक शामिल हैं।
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