प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वित्तीय सहायता देने के लिए शुरू की गई मुद्रा योजना के कारण बड़े स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ावा मिला है। इस योजना के कारण युवा जॉब सीकर की जगह जॉब क्रिएटर बन रहे हैं। इस योजना के लाभार्थियों में ज्यादातर महिलाएं हैं। लेकिन आपको हैरानी होगी कि इस योजना के शुरू होने पर कांग्रेस के करीबी ने एक तरह से इससा विरोध किया था। उन्होंने इससे देश में एनपीए संकट गहराने की आशंका जाहिर की थी।लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मुद्रा योजना के शुरू होने के सात साल बाद भी इसका एनपीए सिर्फ 3.3 प्रतिशत है। इससे लोन लेने वाले छोटे कारोबारी पैसा पचा नहीं रहे, बल्कि समय पर पैसा लौटा रहे हैं। की खबर के अनुसार सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोना संकट के बाद भी इन लोगों ने लोन चुकाने में कोई आनाकानी नहीं की। छोटे कारोबारियों के समय पर किश्त चुकाने से मुद्रा योजना का एनपीए सबसे कम बना हुआ है। मुद्रा योजना के तहत तीन श्रेणियों में लोन दिया जाता है। अगर श्रेणी के स्तर पर देखे तो शिशु ऋण (50,000 रुपये तक) का एनपीए सबसे कम 2.25 प्रतिशत, जबकि किशोर ऋण (50,001 रुपये से 5 लाख रुपये) का एनपीए सबसे ज्यादा 4.49 प्रतिशत था। तरुण लोन (5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक) का एनपीए 2.29 प्रतिशत था।
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