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Rampur Byelection: आजम खान को अचानक हुई गोमाता की फिक्र, वोट मांगते वक्त रामपुर के हिंदुओं पर कह दी बड़ी बात

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रामपुर: रामपुर लोकसभा उपचुनाव गंवाने के बाद अब विधानसभा उपचुनाव में आजम खान (Azam Khan) किसी भी कीमत पर हार का सामना नहीं करना चाहते हैं। वह गली-गली जा रहे हैं। लगातार सभाएं कर रहे हैं। विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद हो रहे उपचुनाव में बीजेपी पूरे मिशन मोड में आजम को हराने में लग गई है। इधर, आजम भी सरकार के जुल्म और अपनों की बेवफाई की बातें करके वोट बटोरने की कोशिश में लगे हैं। मंगलवार को उन्होंने गोमाता और हिंदू वोटर्स का भी जिक्र कर दिया।

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान ने रामपुर में चुनावी सभा में कहा, ‘मेरे पास हिंदू भाइयों की जितनी बड़ी टीम है, रामपुर में किसी के पास उतनी बड़ी टीम नहीं है। मेरे पास गोकशों, अपराधियों की टीम नहीं है। सारे गोकश आज भाजपा के स्टेज पर हैं। क्या होगा गौमाता का जिनके ऊपर गोकशी के पचासों केस हैं, जो हिस्ट्रीशीटर हैं?’

‘आसिम को हराकर बेवफाई की’
उन्होंने कहा, ‘आप लोगों ने आसिम रजा को हराकर साबित कर दिया कि तुम जीना नहीं चाहते और जीने देना भी नहीं चाहते। तुमने हिंदुस्तान के कमजोर लोगों को ऐसा सबक दिया है, जो आने वाली तारीखें याद करेंगी। तुमने धोखा किया है, बेवफाई की है। मेरी खराब सेहत के बावजूद गली-गली और दरवाजे-दरवाजे जाकर भीख मांग रहा हूं। भेड़िया तुम्हारे दरवाजे पर खड़ा है। तुम अंजाम से बेखबर हो कि क्या होने वाला है।’
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साथ छोड़कर जाने वाले पर बोले आजम
वह बोले ‘मुझे छोड़कर जाने वाला वफादार दो दिन पहले घर पर बैठा था। क्योंकि वो अपनी दौलत का, जायदाद का, इमारतों का, प्लॉटों का हिसाब नहीं दे सका। वो छोड़ गया, तुम भी छोड़ जाओ मुझे। क्योंकि हमारे समाज की बहादुर पुलिस तुम्हें दौड़ा-दौड़ाकर मार सकती है, ऐसा मुमकिन है। मैंने उनके जज्बात सुने हैं, उनके मंसूबे महसूस किए हैं। हमें छोड़कर जाने वाले ने कहा कि वो दरी नहीं बिछाएगा। याद रखना 8 तारीख के बाद तू वहां दरी नहीं बिछाएगा, बल्कि पोछा लगाएगा। जो बंदों के शुक्रगुजार नहीं होते, वो अल्लाह के शुक्रगुजार नहीं होते।’

आजम ने कहा, ‘मैं थक गया हूं। कब तक सब्र और हिम्मत का इम्तिहान लोगे। सरकारें बहुत सी आईं। हमारी सरकार भी रही। अमन, मोहब्बत, शांति और तरक्की रही। हमें नहीं मालूम था कि सरकारें ऐसी भी रहीं। नहीं मालूम था कि सरकारों का काम घरों के दरवाजे तोड़ना है, औरतों के चेहरों पर थप्पड़ मारना है, घसीट कर थाने में बंद करना, बेगुनाहों को कई साल जेल में बंद करना है।’

बीमार कुत्ते का उदाहरण देकर बोले आजम…
आजम बोले, ‘हमें तो पता था कि सांसद, विधायक और मंत्री हो गए तो घर बनाना है, सड़कें बनाना है, पुलिया बनानी है। विकास करना है। 50 साल के सियासी सफर और चार बार की सियासी ताकत में मैं वो कर देता, जो एक नई ताकत लिख देता रामपुर की तारीख में। लेकिन में गली का बीमार कुत्ता नहीं था, जिसकी तरफ कोई पत्थर उठाते हुए भी डरता था कि उसके जिस्म के कीड़े कहीं खुद को नुकसान ना पहुंचा दें।’
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उन्होंने कहा, ‘मैं और मेरी औलाद अदालत के सामने अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर सके। अस्पताल, नगर निगम, डॉक्टर का बयान साबित नहीं कर सके। मैं अपने बच्चे की उम्र साबित नहीं कर सका। उसे पैदा करने वाली मां उम्र साबित नहीं कर सकी तो ये हमारी बदकिस्मती नहीं है तो ये क्या है। उसके पासपोर्ट और पैन कार्ड दो नहीं हैं।’

हिटलर-यहूदियों का जिक्र कर छलका दर्द
आजम ने कहा, ‘हम सजा के दरवाजे पर खड़े हैं। जेल फिर से हमारा इंतजार कर रही है। हमारे साथ ऐसा सलूक हुआ जो हिटलर ने यहूदियों के साथ किया होगा। दौलत वाले और ठेकेदार हमें छोड़कर चले गए। जो हम पर गुजरी है, वो आप सब पर गुजरेगी। 5 बजे मेरी सदस्यता खारिज हुई और 5 बजकर 10 मिनट पर इलेक्शन कमीशन ने चुनाव का ऐलान कर दिया। 8 बजे तक विधानसभा के स्पीकर ने बैकहैंड दिखा दिया। अगली ही सुबह चुनाव की तारीख का ऐलान भी कर दिया। मेरी बर्बादी की इतनी जल्दी थी।’

सपा नेता ने कहा, ’27 महीने 8 बाई 12 की कोठरी में रहे। एक एक लम्हा, एक एक बरस के बराबर रहा। ये कलम जिसे लगाकर मैं मौत के बिस्तर पर अस्पताल गया था, इसे मैं तुम्हारे हर बच्चे के हाथ में देना चाहता हूं। पुलिस पड़ी हुई है यूनिवर्सिटी में। मेरी दो रोटी का जरिया रिजॉर्ट। चप्पा-चप्पा छान लिया गया। तुम्हारे शहर को बनाने वाला ये चोर तुम्हारे सामने खड़ा है।’