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वापसी के बाद खिलाड़ियों के ट्रेनिंग शेड्यूल में बड़े बदलाव होंगे, सोशल डिस्टेंसिंग के बीच प्रैक्टिस करनी होगी

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कोरोना वायरस के चलते टोक्यो ओलिंपिक एक साल के लिए टल गया है। कई खेलों के बड़े टूर्नामेंट भी स्थगित हो चुके हैं। देश में स्टेडियम और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तो खुल गए हैं। लेकिन, खेल गतिविधियां बड़े स्तर पर शुरू नहीं हुई हैं। खिलाड़ियों के लिए यह दौर संकट से कम नहीं है, क्योंकि उन्हें रिदम में लौटने के लिए नए सिरे से तैयारी करनी होगी।

इसके लिए अलग-अलग खेलों के विशेषज्ञों ने खिलाड़ियों की वापसी के लिए स्पेसिफिक ट्रेनिंग प्लान बनाया है, जिसमें फिजिकल ट्रेनिंग के साथ-साथ मेंटल सपोर्ट भी शामिल है। ट्रेनिंग शेड्यूल में सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन को भी शामिल किया गया है। क्रिकेट, एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, टेनिस, रेसलिंग, वेटलिफ्टिंग, बैडमिंटन, फुटबॉल और हॉकी के विशेषज्ञों ने बताया कि खिलाड़ियों का शेड्यूल कैसा होगा। 

क्रिकेट: ट्रेनिंग के पहले जजमेंट करेंगे, फिर मोटर स्किल्स पर काम करेंगे 
काफी दिन तक प्रैक्टिस नहीं करने से क्रिकेटरों के प्रदर्शन और उसके स्तर में गिरावट आई है। उसे पहले जैसा बनाने के लिए अलग-अलग पार्ट में मेंटल सपोर्ट के साथ फिटनेस ट्रेनिंग देंगे। ऐसा नहीं करने पर खिलाड़ी के मेंटल ब्रेकडाउन होने का खतरा रहता है। ट्रेनिंग के पहले जजमेंट करेंगे और फिर मोटर स्किल्स (स्पीड, स्ट्रेंथ, एंड्यूरेंस) पर काम करेंगे। मसल मेमोरी डेवलप कर खिलाड़ी की गेंद के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाएंगे। 
-डॉ. पल्लब दास गुप्ता, हाईपरफॉर्मेंस मैनेजर, साई कोलकाता के क्रिकेट कोच 

टेनिस: टेक्निकल और टेक्टिकल लेवल सुधारने पर काम करेंगे 
टेनिस ओपन स्पोर्ट्स है। यहां खिलाड़ियों के बीच वैसे भी दूरी रहती ही है। खिलाड़ियों ने पिछले दो माह में रेस्ट के साथ फिजिकल और मेंटल लेवल पर बहुत काम किया है। अब हम उनका टेक्निकल और टेक्टिकल लेवल सुधारने पर काम करेंगे। आने वाले टूर्नामेंट को देखते हुए प्री-कॉम्प्टिीशन फेज, पोस्ट कॉम्प्टिीशन फेज, एक्टिव रेस्ट और पेसिव रेस्ट फेज से ट्रेनिंग देंगे। इससे खिलाड़ी दो हफ्ते में रिदम में आ जाएगा। 
– साजिद लोधी, पूर्व कोच, नेशनल जूनियर टेनिस टीम

रेसलिंग: टेक्नीक की ट्रेनिंग अलग-अलग कैटेगरी में बांटकर दी जाएगी 
पहलवानों को मेट पर बुल्गारियन और इंडियन डमी के साथ ऑन द मैच तकनीक की प्रैक्टिस कराएंगे। इससे खिलाड़ी बिना कनेक्टिविटी के हिप थ्रो, फ्रंट साल्तो, भारंदाज और वार्मअप थ्रो के साथ प्रैक्टिस पूरी कर फार्म में लौट सके। कोविड-19 के कारण दो माह के लंबे रेस्ट पीरियड में रेसलर फिजिकली रूप से बहुत स्ट्रांग हैं। इसलिए इस पर ज्यादा फोकस करने की जरूरत नहीं है। टेक्नीक की ट्रेनिंग अलग-अलग कैटेगरी में ही बांटकर दी जाएगी। 
– प्रदीप शर्मा, कोच, सीनियर नेशनल महिला कुश्ती टीम 

बैडमिंटन: स्टेंडिंग स्ट्रोक और मूमेंट ट्रेनिंग से कॉन्फिडेंस वापस लौटेगा 
खिलाड़ियों के स्टेंडिंग स्ट्रोक के लिए छोटे-छोटे प्रैक्टिस सेशन बनाए हैं, जिसमें वे कोर्ट पर स्मैश, ड्रॉप शॉट, फोरहैंड और बैक हैंड के साथ कई पोजीशन पर काम करेंगे। ऐसा करने से उनका कॉन्फिडेंस लेवल तो बढ़ेगा ही। साथ ही साथ वे कम समय में मूमेंट ट्रेनिंग भी पूरी कर सकेंगे। पुरानी पोजीशन में लौटने में खिलाड़ियों को एक-दो हफ्ते लगेंगे। 
– संजय मिश्रा, भारतीय जूनियर बैडमिंटन टीम के कोच 

हॉकी: बेसिक ट्रेनिंग से शुरुआत करेंगे, ताकि स्टिक पर होल्ड आ जाए
लॉकडाउन में आराम के बाद खिलाड़ियों को लय में लाने के लिए स्टॉपिंग, हिटिंग, पुशिंग, रिसीविंग, शूटिंग, पासिंग टाइमिंग और पासिंग एक्यूरेसी जैसी बेसिक ट्रेनिंग से शुरुआत की जाएगी। इसके अलावा आसान स्किल्स के जरिए खिलाड़ियों को प्रैक्टिस मोड में लाया जाएगा, जिससे उसका स्टिक पर होल्ड आ जाए। एकाएक लोड देने पर खिलाड़ी चोटिल हो सकता है। 
-शिवेंद्र सिंह चौधरी, कोच हॉकी इंडिया और पूर्व ओलिंपियन

एथलेटिक्स: चेनिंग और शेपिंग मैथड से प्रदर्शन सुधारेंगे 
खिलाड़ियों को टीचिंग प्रोगेशन के साथ चेनिंग और शेपिंग मैथड पर काम करना होगा। एंड्यूरेंस स्पोर्ट्स (लॉन्ग डिस्टेंस इवेंट), फील्ड इवेंट (जंपिंग-थ्रो) और स्प्रिंट इवेंट (शॉर्ट डिस्टेंस इवेंट और हर्डल्स) के एथलीट शुरुआती स्टेज में इंटेंसिटी मेंटेन कर तैयारी करेंगे। इसके बाद ही उनका आत्मविश्वास और कॉर्डिनेशन बढ़ेगा। ट्रेनिंग का यह पार्ट सभी के लिए अलग-अलग होगा। 
– प्रो. जेपी भूकर, लेवल-2 कोच, वर्ल्ड एथलेटिक्स 

बॉक्सिंग: तीन फेज की पीक ट्रेनिंग शुरू की जाएगी 
बॉक्सर ने लॉकडाउन के बीच भी घर पर रहकर फिजिकल फिटनेस पर काम किया है। वह रिंग से दूर रहा है। लेकिन, इसका फिटनेस पर असर सिर्फ 5 या 10 प्रतिशत ही आया हाेगा। टूर्नामेंट शेड्यूल आते ही तीन फेज की पीक ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी। इसमें विरोधी को ध्यान में रखकर फिटनेस के साथ स्किल और गेम इम्प्रूवमेंट करने पर काम किया जाता है। तीसरे और अंतिम फेज में बॉक्सर फुल पीक पर रहता है, जिसमें उसे खेलना होता है। 
– महावीर सिंह, द्रोणाचार्य अवार्डी और नेशनल महिला बॉक्सिंग टीम के कोच