कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों को वित्तीय राहत देने के लिए कर्ज लेने की सीमा 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 फीसदी कर दी है। इस दो प्रतिशत की वृद्धि में 0.5 फीसदी (4 हजार 746 करोड़) कर्ज राज्य सरकार बिना किसी शर्त के बाजार से उठा लेगी, लेकिन बाकी के 1.5 फीसदी कर्ज के लिए उसे चार सुधार करने होंगे। अभी तक राज्य सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) का तीन फीसदी तक ही मप्र सरकार कर्ज ले पाती थी।
यह राशि करीब 28 हजार करोड़ होती है। इसमें दो फीसदी की वृद्धि होने से अब राज्य सरकार 18 हजार 983 करोड़ और कर्ज ले पाएगी, लेकिन इसमें 14 हजार 237 करोड़ रुपए तभी लिए जा सकेंगे, जब मप्र चार सुधार कर लेगा। इन चार सुधारों में पहला-वन नेशन वन राशन कार्ड, दूसरा-व्यापार के सरलीकरण के लिए ईज ऑफ डूइंग, तीसरा-शहरी निकायों को बेहतर करना और चौथा-विद्युत के क्षेत्र में सुधार। इन चारों सुधारों में हरेक पर मप्र को 0.25 फीसदी अतिरिक्त कर्ज लेने की पात्रता मिलेगी। हर एक सुधार पर यह राशि 2373 करोड़ (0.25 फीसदी) रुपए होती है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने गुरुवार को वित्त विभाग ने इन सुधारों की जानकारी दी। वित्त विभाग ने बैठक में कहा कि एफआरबीएम 5% होने से जो अतिरिक्त कर्ज लेंगे, उससे सड़क बनाना, बिजली के सुधार और बांधों का निर्माण होगा। अभी तक एफआरबीएम के तहत जो 3% कर्ज लिया जाता है, उसका ज्यादातर पैसा वेतन, भत्ते व पेंशन में खर्च होता है।
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