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मोहम्मद अजहरूद्दीन : सचिन तेंडुलकर से ओपनिंग करवाने के लिए बीसीसीआई से पड़ी डांट

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन (Mohammad Azharuddin) ने सोमवार को उनकी कप्तानी में हुए कुछ ऐसे फैसलों की बात की जिसने भारतीय क्रिकेट और एक महान खिलाड़ी के करियर को हमेशा के लिए बदल दिया।

सोमवार को एक स्पोर्ट्स वेबसाइट के लिए फेसबुक लाइव पर अजहर ने बताया कि उनके करियर का सबसे बोल्ड फैसला सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) को पारी की शुरुआत करने भेजना था। अजहर से जब इसके पीछे की कहानी पूछी गई तो उन्होंने कहा, ‘दरअसल, सचिन बहुत अच्छा खेल रहा है।

वह शुरुआत में मेरे पास ओपनिंग करने की बात करने नहीं आया लेकिन तब मुझे अहसास हुआ चूंकि वह आक्रामक बल्लेबाज है इसलिए नंबर चार या पांच पर बल्लेबाजी करना और 30-40 रन बनाना, यह पोजीशन उसके लिए ठीक नहीं है। तब नवजोत सिंह सिद्धू एक मैच में चोटिल हो गए और मैंने टीम मैनेजर अजीत वाडेकर से बात की और आखिर में वह इस बात के लिए राजी हो गए कि सचिन को पारी की शुरुआत करनी चाहिए।’

स्पोर्ट्सकीड़ा के फेसबुक पेज पर बात करते हुए अजहर ने कहा, ‘हमें लगा कि खिलाड़ी को मौका जरूर दिया जाना चाहिए और इसका हमें फायदा भी हुआ।’


धमाकेदार करियर

21 वर्षीय सचिन ने पहली बार वनडे इंटरनैशनल में ओपनिंग की और धमाकेदार पारी के साथ शुरुआत की। इसके बाद सचिन दुनिया के बेस्ट ओपनिंग बल्लेबाजों में शामिल हो गए। वनडे इंटरनैशनल में पारी की शुरुआत ने सचिन के करियर को हमेशा के लिए बदल दिया। अपने 463 वनडे इंटरनैशनल मैचों लंबे करियर में सचिन ने 49 शतक लगाए। इनमें से 45 शतक पारी की शुरुआत करते हुए लगाए।

अजहर से जब पूछा गया कि पारी की शुरुआत करने के फैसले पर सचिन ने कैसी प्रतिक्रिया दी तो अजहर ने कहा वह (सचिन) बहुत खुश हुए और कहा कि वह हमेशा से पारी की शुरुआत करना चाहते थे।

अजहर ने कहा, ‘आप प्रतिभा को दबा नहीं सकते। सचिन के पास प्रतिभा थी, मैंने सिर्फ उन्हें सपॉर्ट देना और उन्हें ओपनर बनाए रखना सुनिश्चित किया।’

बीसीसीआई से पड़ी डांट
अजहर ने बताया कि 1998 में सिलेक्टर्स ने बांग्लादेश के खिलाफ सचिन को नंबर चार पर बल्लेबाजी करवाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा, ‘मैंने सचिन को चौथे नंबर पर बैटिंग करने भेजा और वहां भी उसने अच्छी बल्लेबाजी करते हुए 80 के करीब रन बनाए। लेकिन मुझे अहसास हुआ कि यह पोजीशन उसके लिए नहीं है और मैंने दोबारा उन्हें ओपनिंग पर भेजा। भारत आने के बाद बीसीसीआई से मुझे डांट भी पड़ी।’