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 पॉलिथीन पर रोक के बावजूद प्रयोग पर छात्रों-अधिवक्ताओं की टीम देगी रिपोर्ट

हाईकोर्ट के आदेश में कानूनी आधार के बिना 500 मीटर तक निर्माण पर रोक लगाई गई है। इससे लोगों को आवास देने की कंपनी की करोड़ों रुपये की योजना पर पूरी तरह से अमल नहीं हो पा रहा है। जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ कर रही है। गंगा प्रदूषण मामले में अधिवक्ता शैलेश सिंह ने बीबर जाम की समस्या उठाई। नगर निगम प्रयागराज के अधिवक्ता एसडी कौटिल्य ने कहा, निगम पुलिस की मदद से पॉलिथीन के प्रयोग पर लगी रोक के आदेश को लागू कराने में जुटी है। किंतु कुछ समय बाद फिर से लोग इसका इस्तेमाल करने लगते हैं। सरकार यदि पॉलिथीन निर्माण बंद कर दें तो कार्रवाई की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।

कोर्ट ने चिंता प्रकट करते हुए कहा, पॉलिथीन के प्रयोग से सीबर व नाले जाम हो रहे हैं। गंगा यमुना में पॉलिथीन बोतल जाकर प्रदूषण फैला रहे हैं। कोर्ट ने मौजूद विभिन्न कॉलेजों के इंटर्नशिप कर रहे विधि छात्रों तथा 2022 में पंजीकृत युवा अधिवक्ताओं को अपने क्षेत्र में व्यापारियों की ओर से पॉलिथीन की खरीद-फरोख्त पर रिपोर्ट तैयार कर पेश करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह, भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी, केंद्रीय जल निगम के अधिवक्ता बाल मुकुंद सिंह तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता डॉ.हरि नाथ  त्रिपाठी ने पक्ष रखा। याचिका पर बृहस्पतिवार को भी दो बजे से सुनवाई होगी।

गंगा प्रदूषण मामले की जनहित याचिका में ओमैक्स  रियलकॉन को पक्षकार बनाने और गंगा के उच्चतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर तक निर्माण पर रोक लगाने पर आपत्ति की सुनवाई की मांग स्वीकार कर ली गई है। हालांकि याची अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव तथा सुनीता शर्मा ने इसका विरोध किया। कहा, गंगा-यमुना किनारे निर्माण से प्रत्येक वर्ष लगने वाले माघ मेला तथा कुंभ मेला  के आयोजन के लिए जमीन नहीं बचेगी। शहर बाढ़ की चपेट में आ जायेगा। माघ मेला प्राधिकरण को मेला क्षेत्र घोषित करना चाहिए। ओमैक्स कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने बहस की। इनका कहना है कि राज्य के शासनादेश में गंगा किनारे से दो सौ मीटर तक ही निर्माण पर रोक लगी है।

हाईकोर्ट के आदेश में कानूनी आधार के बिना 500 मीटर तक निर्माण पर रोक लगाई गई है। इससे लोगों को आवास देने की कंपनी की करोड़ों रुपये की योजना पर पूरी तरह से अमल नहीं हो पा रहा है। जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ कर रही है। गंगा प्रदूषण मामले में अधिवक्ता शैलेश सिंह ने बीबर जाम की समस्या उठाई। नगर निगम प्रयागराज के अधिवक्ता एसडी कौटिल्य ने कहा, निगम पुलिस की मदद से पॉलिथीन के प्रयोग पर लगी रोक के आदेश को लागू कराने में जुटी है। किंतु कुछ समय बाद फिर से लोग इसका इस्तेमाल करने लगते हैं। सरकार यदि पॉलिथीन निर्माण बंद कर दें तो कार्रवाई की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।