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पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ को संयुक्त राष्ट्र ने सराहा,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का लोहा आज पूरी दुनिया मानती है। 2014 में देश की सत्ता संभालने के बाद उन्होंने ‘नमामि गंगे’ मिशन की शुरुआत की थी। अब भारत सरकार की ओर से पवित्र नदी गंगा को साफ करने लेकर चलाई जाने वाली ‘नमामि गंगे’ परियोजना की दुनिया कायल हो गई है। संयुक्त राष्ट्र ने नमामि गंगे परियोजना को 10 अभूतपूर्व प्रयासों में शामिल किया है जिन्होंने प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र (natural ecosystem) को बहाल करने को लेकर अहम भूमिका निभाई। इसको लेकर संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (COP15) के दौरान एक रिपोर्ट जारी की गई है। संयुक्त राष्ट्र की इस मान्यता के बाद गंगा नदी के संरक्षण एवं जैव विविधता को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र समर्थित प्रमोशन, कंसल्टेंसी और डोनेशन प्राप्त हो सकेगा। कनाडा के मॉन्ट्रियल में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (COP15) में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने इस दौरान कहा कि यह पृथ्वी के प्राकृतिक स्थानों के क्षरण को रोकने और उसे पुन: पूर्व की भांति प्राकृतिक स्थिति में करने के लिए बनाया गया है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को भी अपनाया गया है। इसके तहत प्रवासी, अनिवासी और भारतीय मूल के अन्य व्यक्तियों, संस्थाओं और कारपोरेट घरानों को गंगा संरक्षण में योगदान करने को प्रोत्साहित करने हेतु ‘स्वच्छ गंगा कोष’ की भी स्थापना की गई है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत गंगा ग्राम नामक पहल भी की गई है। इस कार्यक्रम के तहत स्थायी स्वच्छता के बुनियादी ढांचे और साफ-सफाई की प्रक्रियाओं के विकास के माध्यम से मॉडल गांव विकसित किए जा रहे हैं। पहले चरण में सरकार ने 306 गांवों में गंगा-ग्राम पहल की शुरुआत कर दी है। गंगा की विशाल तलहटी वाले इलाकों के आसपास रह रहे 52 करोड़ लोगों को व्यापक फायदे पहुंचाने के लिए यह अहम है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 31,098.85 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कुल 374 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 210 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इसके अलावा अभी तक 30,000 हेक्टेयर जमीन का वनीकरण किया जा चुका है और 2030 तक 1,34,000 हेक्टेयर भूमि का वनीकरण करने का लक्ष्य है।