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साकार हो रहा है पुरखों, किसानों, नौजवानों का सपना

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में तेजी से साकार हो रहा है हमारे पुरखों, किसानों और नौजवानों का सपना। हमारे पुरखों ने विकसित, समृद्ध और खुशहाल छत्तीसगढ़ का सपना देखा था। आज यह सपना साकार हो रहा है। मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय मेें छत्तीसगढ़ गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। राज्य सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर आज पूरे राज्य में छत्तीसगढ़ गौरव दिवस मनाया जा रहा है। 
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ’मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा’ की घोषणा करते हुए इस योजना के लिए 100 करोड़ रूपए, सभी शालाओं, छात्रावासों, आश्रमों, शासकीय भवनों के रख रखाव और उन्नयन के लिए एक हजार करोड़ रूपए और तकनीकी शिक्षा के स्तर में सुधार हेतु औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं के उन्नयन के लिए ’स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट आईटीआई योजना’ की घोषणा करते हुए इस योजना के लिए 1200 करोड़ रूपए देने की घोषणा की । 
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़ गौरव दिवस की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि राज्य सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के साथ छत्तीसगढ़िया संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। हमारे अन्नदाता खुशहाल हैं। स्वावलंबी बन रही महिलाओं के चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक है। यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। श्री बघेल ने कहा कि हमारे पुरखों ने विकसित, समृद्ध और खुशहाल छत्तीसगढ़ का सपना देखा था। आज यह सपना साकार हो रहा है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने सीधे मंत्रालय जाकर 19 लाख किसानों के लगभग 11 हजार करोड़ रूपए की ऋण माफी और 2500 रूपए में धान खरीदी का फैसला लिया। इस फैसले के साथ ही न्याय का जो सफर प्रारंभ हुआ था वह आज भी जारी है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वावलंबी गांवों का सपना देखा था उनकी परिकल्पना का अनुसरण करते हुए सुराजी गांव योजना प्रारंभ की। गांवों को उत्पादन का केन्द्र बनाने और शहरों को वाणिज्य और व्यापार का केन्द्र बनाने की शुरूआत हुई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 9000 से अधिक गौठानों में हजारों महिलाएं गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने सहित अनेक आजीविका मूलक गतिविधियों में संलग्न है। इससे उनकी आय बढ़ी है और वे स्वावलंबी बनी है। गौठानों में तैयार की गई लगभग 20 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खेतों में पहुंची। राज्य सरकार के आव्हान पर हजारों हजार किसानों ने मवेशियों के लिए पैरादान किया। गौठानों के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग कम करने, कार्बन उत्सर्जन कम करने छत्तीसगढ़ का छोटा सा योगदान है। हमारे चार हजार से अधिक गौठान स्वावलंबी बन गए हैं। गौठान समितियों के पास 15 से 16 लाख रूपए तक की राशि जमा है। इस राशि से ये गौठान गोबर खरीद रहे हैं और गांवों के विकास के लिए काम कर रहे हैं। यह एक बड़ा सकारात्मक बदलाव है। सामान्यतः राज्य अथवा केन्द्र सरकार से मिली राशि से गांवों के विकास के कार्य किए जाते रहे हैं। अब हमारे गौठानों ने खुद की पूंजी से गांव के विकास में योगदान देना प्रारंभ किया है।