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वाराणसी के इस गिरजाघर में होती है भोजपुरी में प्रार्थना,

देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी पूरी दुनिया में मंदिरों के लिए जानी जाती है। वहीं, महमूरगंज में एक ऐसा चर्च भी है जहां प्रभु यीशु के लिए भोजपुरी में प्रार्थना होती है। हर रविवार को लोग यहां भोजपुरी में प्रार्थना करने आते हैं। क्रिसमस पर भी विभिन्न आयोजन होते हैं। सबसे खास प्रार्थना यीशु आवा ना हमरो नगरिया… है।

बेथेल फुल गोस्पेल चर्च को भोजपुरी चर्च के नाम से भी जाना जाता है। 1986 में निर्माण के बाद भोजपुरी को बढ़ावा देने के लिए इसी भाषा में प्रार्थना शुरू की गई जो आज तक जारी है।  प्रभु यीशु की प्रार्थना के साथ कैरल भी भोजपुरी में सुनने को मिलती है। पादरी एंड्रयू थॉमस ने बताया कि भोजपुरी भाषा में प्रार्थना कराने के पीछे का मकसद भोजपुरी का प्रचार-प्रसार करना है।

चर्च में आने वाले लोग अंग्रेजी के बजाय भोजपुरी में प्रार्थना करते हैं। इससे उन्हें खुशी मिलती है। क्रिसमस मौके पर होने वाले गीत-संगीत के विभिन्न आयोजन भी कलाकार भोजपुरी में करते हैं। खास बात ये है कि सभी धर्मों के लोग इस चर्च में आते हैं और इस अनोखे और अद्भुत आयोजन का आनंद लेते हैं।

वाराणसी शहर के बीचोंबीच गोदौलिया के पास है गिरजाघर चौराहा। इसी नाम से इस इलाके को भी जाना जाता है। यहां पर प्रभु यीशु के शिष्य सेंट थॉमस ने आराधना की थी। वह मद्रास से चलकर काशी आए थे। बाद में यहां गिरजाघर की स्थापना की गई और उसका नाम सेंट थॉमस चर्च रखा गया।

सैकड़ों साल पहले प्रभु यीशु के 12 शिष्यों में एक सेंट थॉमस भारत यात्रा के दौरान मद्रास से चलकर काशी पहुंचे थे। यहां उन्होंने गिरजाघर इलाके में प्रवास किया था, जहां उस वक्त जंगल हुआ करता था। प्रवास के दौरान वह क्रूस लगाकर आराधना करते थे। यहीं पर उन्होंने अपना यात्रा वृत्तांत भी लिखा था। बाद में वह मद्रास लौट गए और वहीं रह गए।

बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी के एक सिपाही जॉन थोमर ने सेंट थॉमस के यात्रा वृत्तांत को पढ़ा और यहां आकर उस जगह की खोज की, जहां सेंट थॉमस ने प्रवास के दौरान प्रभु यीशु की आराधना की थी।  फिर यहां चर्च का निर्माण कराया और उसे सेंट थॉमस चर्च नाम दिया। अब यह चर्च सीएनआई द्वारा संचालित होता है। क्रिसमस के समय यहां भव्य सजावट की जाती है। पादरी न्यूटन स्टीवन के अनुसार यह काशी का ऐतिहासिक गिरजाघर है।

देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी पूरी दुनिया में मंदिरों के लिए जानी जाती है। वहीं, महमूरगंज में एक ऐसा चर्च भी है जहां प्रभु यीशु के लिए भोजपुरी में प्रार्थना होती है। हर रविवार को लोग यहां भोजपुरी में प्रार्थना करने आते हैं। क्रिसमस पर भी विभिन्न आयोजन होते हैं। सबसे खास प्रार्थना यीशु आवा ना हमरो नगरिया… है।

बेथेल फुल गोस्पेल चर्च को भोजपुरी चर्च के नाम से भी जाना जाता है। 1986 में निर्माण के बाद भोजपुरी को बढ़ावा देने के लिए इसी भाषा में प्रार्थना शुरू की गई जो आज तक जारी है।  प्रभु यीशु की प्रार्थना के साथ कैरल भी भोजपुरी में सुनने को मिलती है। पादरी एंड्रयू थॉमस ने बताया कि भोजपुरी भाषा में प्रार्थना कराने के पीछे का मकसद भोजपुरी का प्रचार-प्रसार करना है।

चर्च में आने वाले लोग अंग्रेजी के बजाय भोजपुरी में प्रार्थना करते हैं। इससे उन्हें खुशी मिलती है। क्रिसमस मौके पर होने वाले गीत-संगीत के विभिन्न आयोजन भी कलाकार भोजपुरी में करते हैं। खास बात ये है कि सभी धर्मों के लोग इस चर्च में आते हैं और इस अनोखे और अद्भुत आयोजन का आनंद लेते हैं।