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अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में “लघु वनोपज से आत्म-निर्भरता” विषय पर हुई कार्यशाला

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उत्तराखण्ड के वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि जंगल लोगों की आजीविका से जोड़ने और जंगल को बचाने के लिए वर्तमान में बड़ा यक्ष प्रश्न है। वन मंत्री श्री उनियाल अंतर्राष्ट्रीय वन मेला भोपाल में ‘लघु वनोपज से आत्म-निर्भरता’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।

श्री उनियाल ने कहा कि जंगल का निर्माण आपसी सहयोग से संभव हुआ है, इसीलिए हमें जंगल बचाने में समुदाय सहभागिता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कान्फ्रेंस में विभिन्न आयुर्वेदिक और वन-शिक्षण संस्थाओं से शामिल हुए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि दुनिया का कोई लक्ष्य आपकी हिम्मत से बड़ा नहीं हो सकता।

राज्य लघु वनोपज संघ के एमडी श्री पुष्कर सिंह ने बताया कि दो दिन तक चलने वाली कार्यशाला में देश-विदेश में हुए विभिन्न अनुसंधानों की जानकारी मिलेगी, जो आयुर्वेद के विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक साबित होगी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री आर.के. गुप्ता ने बताया कि वन मेले में लगे स्टालों से प्रदेश की जैव विविधता झलकती है। यहाँ एक ओर पातालकोट का विश्व विख्यात शहद, झाबुआ का लाल चावल, महाकौशल क्षेत्र का कोदो-कुटकी और कई तरह के पारम्परिक औषधीय पौधों की प्रचुरता है।

कार्यशाला में नेपाल, इंडोनेशिया, भूटान के विशेषज्ञों के साथ मध्यप्रदेश सहित उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश के विषय-विशेषज्ञ, अधिकारी और इंडस्ट्री एक्सपर्ट शामिल हुए।

नेपाल सरकार के जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण सलाहकार डॉ. माधव कर्की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए। उन्होंने मध्यप्रदेश और उत्तराखण्ड राज्य के संसाधनों के सतत प्रबंधन और संवर्धन की तारीफ करते हुए कहा कि नेपाल को इस संदर्भ में सीखना होगा।

वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने लाल परेड ग्राउंड में लगे वन मेले में लगी विभिन्न स्टालों का अवलोकन किया और प्रदर्शित उत्पादों की जानकारी भी प्राप्त की। वन बल प्रमुख श्री आर.के. गुप्ता ने वन मंत्री को प्रतीक-चिन्ह भेंट किया।

इस मौके पर भारतीय वन प्रबंध संस्थान (आईआईएफएम भोपाल) के डायरेक्टर डॉ. के. रविचंद्रन की मौजूदगी विशेष रही। अपर प्रबंध संचालक (व्यापार) श्री विभाष ठाकुर ने आभार माना।