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Lucknow : इस वजह से अल्ट्रासाउंड में आर रही दिक्कत! 4 माह से लापरवाही, हाईकोर्ट में याचिका दाखिल, जानिए मामला

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सितंबर माह से जिला सलाहकार समिति की बैठक आयोजित नहीं की गई है। जिसके चलते अल्ट्रासाउंड केंद्रों को असुविधाओं से जूझना पड़ रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच में अपील की गई है। अधिवक्ता सुयश द्विवेदी ने बीते 23 दिसंबर को HC में याचिका दाखिल करते हुए बैठक को आयोजित करने की मांग की है। वहीं एनबीटी ऑनलाइन से पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी ने बताया कि इसकी पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो गई है जिसके कारण इसमें देरी हुई है। फिलहाल इस याचिका पर कोर्ट के फैसले का इंतजार है।

बैठक में हो रहा विलंब, सेंटर्स को हो रही दिक्कत – अधिवक्ता
अधिवक्ता सुयश द्विवेदी ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि सलाहकार समिति की बैठक 60 दिनों के अंतराल में करनी चाहिए। जोकि समय से नहीं की जा रही है। इस बैठक के न होने से शहर के अल्ट्रासाउंड केद्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि केंद्रों से जुड़ी हुई समस्याएं जैसे सेंटर में चिकित्सक डॉक्टर का नाम जोड़ना, पता परिवर्तन करना और अल्ट्रासाउंड मशीनों का नाम जुड़ना चाहिए। जो पेंडिग है। सुयश ने कहा कि यह संवेदनशील मामला है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा नहीं किया जा रहा है। इसलिए इस बैठक को करना चाहिए जिससे की इस समस्या से निजात मिल सके।

पोर्टल में किए गए बदलाव इसलिए हुई देरी- डॉ केडी
नोडल अधिकारी डॉ केडी मिश्रा ने बताया कि अभी कुछ दिन पहले पीसीपीएनडीटी के अध्यक्ष द्वारा पोर्टल में कुछ नवीन बदलाव किए गए हैं। पहले जो काम मैनुअल किए जाते थे वह अब पोर्टल के माध्यम से किए जा रहे हैं। बहुत सारे प्रार्थना पत्र ऐसे थे जो मैन्युअल चल रहे थे लेकिन इस प्रक्रिया के लागू होने के बाद उन्हें ऑनलाइन किया जा रहा है। जिसकी वजह से अब केन्द्रों पर जाकर सारे काम करने पड़ते हैं। वहीं शहर में करीब 500 से अधिक सेंटर्स हैं जहां पर अल्ट्रासाउंड किया जाता है। जहां से शिकायते आती हैं। यही वजह है कि इस बार बैठक में देरी हुई है। हालांकि उन्होंने 3-4 में जिलाधिकारी को प्रस्ताव बनाकर भेजने की बात कही है। इसके साथ ही जो छोटे कामों के लिए विलंब हो रहा है उसे डीएम से मार्गदर्शन लेकर जल्द किया जा सके।

राजधानी में एक भी कन्या भ्रूण हत्या का मामला नहीं
बता दें कि यह बैठक एक कमेटी के तहत की जाती है। इसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी करते हैं। जानकारी के मुताबिक, इस कमेटी में बाल रोग विशेषज्ञ, सूचना विभाग और एनजीओ द्वारा जिलाधिकारी को सलाह यानी प्रस्ताव दिया जाता है। जिससे की इस काम को कैसे और बेहतर किया जा सके। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि लखनऊ में साल 2022 में एक कन्या भ्रूण हत्या का मामला नहीं सामने आया है। जोकि बहुत ही अच्छी बात है।
रिपोर्ट- संदीप तिवारी