Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

स्वदेशी रक्षा उपकरण निर्माण में म.प्र. निभाएगा अहम् भूमिका

Default Featured Image

आत्म-निर्भर भारत’ के विजन के साथ आगे बढ़ते हुए राज्य सरकार, प्रदेश में एयरोस्पेस, रक्षा निर्माण और संबंधित सेवा उद्योग स्थापित करने के लिये तत्परता से कार्य कर रही है। यह प्रयास रक्षा क्षेत्र में आत्म-निर्भरता प्राप्त करने के लिए नवाचार करने और विर्निमाण को स्वदेशी बनाने में मदद करेगा। अतुल्य भारत का ह्रद्य स्थल मध्यप्रदेश, देश में एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग के लिए एक उभरता हुआ राज्य है। देश के मध्य में स्थित होने से रक्षा उपकरणों के विनिर्माण और वितरण केंद्र स्थापित करने के लिए मध्यप्रदेश आदर्श राज्य है। प्रदेश में मजबूत बुनियादी ढाँचा है और मध्यप्रदेा की भारत के सभी हिस्सों से बेहतर कनेक्टिविटी भी है। पिछले एक दशक में, राज्य ने औद्योगिक बुनियादी ढाँचे के विकास, उन्नयन और जल और बिजली की सतत् आपूर्ति सुनिश्चित कर उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण निवेश किया है। इससे प्रमुख उद्योगों में बड़े निवेश के साथ तेजी से औद्योगिक विकास भी हुआ है।

देश की राजधानी नई दिल्ली, ग्वालियर से सिर्फ 4 घंटे की ड्राइव पर है। साथ ही, बुंदेलखंड डिफेंस कॉरिडोर के 2 नोड (उत्तर में आगरा और दक्षिण में झाँसी) ग्वालियर से सिर्फ 100 किमी दूर है। पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण गलियारे और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे जैसे प्रमुख गलियारे राज्य से होकर गुजरते हैं। निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, अटल प्रगति पथ और दिल्ली-नागपुर औद्योगिक गलियारा राज्य में मजबूत कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जिससे यह महत्वपूर्ण रक्षा संबंधी उपकरणों के उत्पादन के लिए तार्किक रूप से व्यवहारिक होगा।

मध्यप्रदेश में रेयर अर्थ मेटल्स की प्रचुर उपलब्धता है, जो मध्यप्रदेश को एक रणनीतिक कच्चे माल केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। रेयर अर्थ एलीमेंट्स (आरईई) का उपयोग लगभग हर उन्नत प्रौद्योगिकी उत्पाद में बड़े पैमाने पर किया जाता है और इसमें वाणिज्यिक, औद्योगिक और सैन्य प्रयोग होते हैं।

वर्तमान में, मध्यप्रदेश में 5 व्यावसायिक हवाई अड्डे संचालित हैं। इसके अतिरिक्त 25 सरकारी और 3 निजी हवाई पट्टियाँ हैं। राज्य सरकार ने ग्वालियर में ड्रोन स्कूल भी प्रारंभ किया है। जल्द ही 4 ड्रोन स्कूल और स्थापित किए जाएंगे। भोपाल और इंदौर के बीच एक मेगा निवेश क्षेत्र के साथ भारत के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक बनाने की योजना है। इसे एमआरओ के साथ 10 हजार एकड़ भूमि में विकसित किया जाना है। इसमें अन्य सुविधाओं के साथ एक समर्पित कार्गो सुविधा होगी।

जबलपुर, इटारसी और कटनी जैसे स्थापित रक्षा उत्पादन केंद्रों के साथ मध्यप्रदेश, देश का एक महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण निर्माण स्थल है। जबलपुर, महू, ग्वालियर और सागर में महत्वपूर्ण सैन्य छावनियाँ हैं। राजधानी भोपाल में स्ट्राइक कॉर्प – सुदर्शन चक्र कोर है। ग्वालियर में आईएएफ के नंबर 1, 7, 9 स्क्वाड्रन (विमान प्रकार-मिराज 2000H) के साथ एक हवाई युद्ध प्रशिक्षण केंद्र- टीएसीडीई (रणनीति और वायु मुकाबला विकास प्रतिष्ठान) है। यहाँ स्थित पीएलआर प्रणाली निजी क्षेत्र की पहली रक्षा इकाई थी जिसे राज्य में निजी निवेशकों के लिए क्षेत्र के खुलने के बाद ग्वालियर में स्थापित किया गया था। प्रदेश में गन केरिज फैक्ट्री और ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में, एक आयुध फैक्ट्री कटनी में और दूसरी इटारसी में है। प्रदेश में पहले से ही एयरोस्पेस और रक्षा उपकरण निर्माण प्रगति पर है। जबलपुर में रक्षा वाहन निर्माण केन्द्र है। इंदौर में वाहन निर्माण की 100 से ज्यादा इकाइयाँ कार्यरत हैं।

महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों का विकास और उत्पादन, ड्रोन निर्माण और परीक्षण के लिये राज्य में लगभग 20 स्थानों पर हवाई पट्टियाँ उपलब्ध हैं। भोपाल और इंदौर के हवाई अड्डे ओवरनाइट पार्किंग और एमआरओ के लिए आदर्श हैं। यहाँ नाइट पार्किंग शुल्क भी बहुत कम है। राज्य में एविएशन टर्बाइन फ्यूल पर केवल 4 प्रतिशत वैट लिया जाता है। राज्य में पर्यटन, वन्य-जीवन और धार्मिक स्थलों पर हेलीकॉप्टर संचालन और हवाई खेल गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य के पास उद्योगों को प्रोत्साहन देने वाली एक सक्रिय और पारदर्शी नीति है।

इन्वेस्ट मध्यप्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023, (राज्य सरकार का प्रमुख निवेश प्रोत्साहन कार्यक्रम) 12 जनवरी को एयरोस्पेस और रक्षा पर एक विषयगत सत्र की मेजबानी करेगा। इस सत्र में राज्य में अवसरों, उद्योग की जरूरतों पर चर्चा होगी। इसमें स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने में मेगा प्लेअर्स और राज्य की भूमिका, एक मजबूत रक्षा और एयरोस्पेस पारिस्थितिकी-तंत्र की स्थापना में निजी क्षेत्र की भूमिका पर विस्तृत संवाद होगा। इससे मध्यप्रदेश में एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में निवेश आने की व्यापक संभावनाएँ है।